PM मोदी कल करेंगे भारत का सबसे लंबा सी ब्रिज का उद्घाटन,बाइक-ऑटो चलने की इजाजत नहीं, इतनी रहेगी स्पीड लिमिट
मुंबई। सी लिंक की बात होते ही दिमाग में सबसे पहले बांद्रा-वर्ली सी लिंक की तस्वीर उभरकर आती है, लेकिन मुंबई में ही बनकर तैयार हो चुके मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक यानी अटल बिहारी बाजपेयी शिवडी न्वाहा सेवा अटल सेतु से अब यह तस्वीर बदलने वाली है। मुंबई को नवी मुंबई से जोड़ने वाला यह समुद्र पर बना देश का सबसे बड़ा पुल है। इसके जरिए लोग घंटों का समय मिनटों में तय कर सकेंगे, वह भी सुंदर नजारों का आनंद लेते हुए। मुंबई में शिवडी से नवी मुंबई के चिरले तक बना पुल 22 किलोमीटर लंबा है। 12 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पुल का उद्घाटन करेंगे। इसके बाद यह आम जनता के लिए खुल जाएगा।
सीसीटीवी कैमरे रखेंगे हर गाड़ी पर नजर…
इस 22 किलोमीटर लंबे पुल पर कार में चलने का मजा ही अलग है। ना ट्रैफिक ना कोई सिग्नल! बस 100 किलोमीटर की रफ्तार से बस जाना है, लेकिन रफ्तार के बावजूद सभी नियमों का पालन करना जरूरी है। इस पुल पर जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हैं जो हर गाड़ी पर नजर रखेंगे।एमएमआरडीए कमिश्नर डॉक्टर संजय मुखर्जी ने बताया कि, ”इस पुल का इंटेलिजेंट ट्रैफिक सिस्टम, देश का सबसे एडवांस सिस्टम है। इसमें 400 कैमरे लगे हैं, AI बेस्ड सेंसर्स हैं, थर्मल सेंसर हैं। मतलब कोहरा या कुछ और होता है तो थर्मल सेंसर तुरंत अलर्ट करेगा। अगर कोई गाड़ी रुकेगी तो तुरंत कंट्रोल सिस्टम में अलर्ट जाएगा। अगर कोई गाड़ी से उतरता है तो भी कंट्रोल सिस्टम में अलर्ट जाएगा। अगर कोई स्पीड लिमिट का उल्लंघन करता है तो उसका भी पता चल जाएगा। इसी तरह अगर कोई इमरजेंसी SOS होता है तो 6 SOS बूथ हैं जिनसे सही लोकेशन पता चलेगा।
प्रवासी पक्षियों का रखा गया ध्यान…
यह पुल शिवडी से शुरू होता है और शिवडी खाड़ी का बड़ा हिस्सा इस पुल के नीचे आता है। इस खाड़ी में दूर देशों से बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी फ्लेमिंगो आते हैं। उन्हें कोई दिक्कत ना हो, इसके लिए पुल के बगल में साउंड बैरियर लगाए गए हैं। लाइटें भी ऐसी लगाई गई हैं कि उनकी रोशनी समुद्र में ना जाकर सिर्फ पुल पर ही पड़े। डॉक्टर संजय मुखर्जी ने बताया कि, ”इसमें मशीनरी में साइलेंसर लगाकर काम किया गया है, जिससे आवाज ना आए, फ्लेमिंगो की संख्या कम ना हो। उन्हें किसी तरह का नुकसान ना पहुंचे. इसके लिए साउंड बैरियर का इस्तेमाल किया गया है। यह पूल सिसमिकली रजिस्टेंट है। इसकी यह क्षमता जरूरत से ढाई गुना ज्यादा की गई ताकि किसी तूफान या कुदरती आफत में भी बचा रहे। इसकी 100 साल की जिंदगी है।
निर्माण में ऑर्थोटोपिक स्टील डेक तकनीक का इस्तेमाल…
मुंबई को नवी मुंबई को जोड़ने वाले इस 22 किलोमीटर लंबे पुल का साढ़े 16 किलोमीटर हिस्सा समुद्र पर बना है। इसे भारत की दो कंपनियों एल एंड टी और टाटा ने जापान की कंपनियों के सहयोग से बनाया है। इसके निर्माण में ऑर्थोटोपिक स्टील डेक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। डॉक्टर मुखर्जी ने बताया कि, इस पुल में कुछ ऐसी टेक्नोलॉजी इस्तेमाल की गई है जो पहली बार भारत में इस्तेमाल की गई है। सबसे उल्लेखनीय लॉन्ग स्पैन हैं जो 180 मीटर तक के चार हैं। 150 मीटर के स्पैन हैं, 160 मीटर के स्पैन हैं, इसके लिए विशेष जापानी तकनीकी ऑर्थोट्रोपिक स्टील डेक का इस्तेमाल किया गया है। इसके पाइल फाउंडेशन 154 फीट जमीन के नीचे तक बनाए गए हैं। अटल सेतु मुंबई से पुणे और गोवा और अलीबाग जाने वालों के लिए भी उपयोगी होगा। यह मुंबई पोर्ट से जेएनपीटी को जोड़ेगा। यह नवी मुंबई में बन रहे इंटरनेशनल एयरपोर्ट से जुड़ेगा। मतलब यह कि आर्थिक विकास में भी मददगार साबित होगा।
कनेक्टिविटी का केंद्र बिंदू होगा पुल…
मुंबई में शिवडी से अटल सेतु से सीधे फ्री-वे होकर शहर में जा सकते हैं। फिर यह ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे और बाद में जाकर कोस्टल रोड से भी कनेक्ट होगा। यह नवी मुंबई में चिरले से जेएनपीटी, मुंबई पुणे एक्सप्रेस वे और मुंबई गोवा हाईवे से जुड़ेगा। इसे नवी मुंबई में बन रहे इंटरनेशनल एयरपोर्ट से भी कनेक्ट करने की योजना है। यानी यह पुल कनेक्टिविटी का केंद्र बिंदू होगा। इस पर भारत में अपने तरह का पहला टोल सिस्टम है जिसे ओपन रोड टोल सिस्टम कहते हैं। इसका मतलब है टोल भरने के लिए गाड़ियों को रुकना नहीं होगा। हाई टेक सिस्टम से चलती गाड़ी पर लगे फास्ट टैग से टोल टैक्स कट जाएगा। सरकार ने इस पर चलने के लिए 250 रुपये टोल रखा है। आपको यह महंगा जरूर लगेगा लेकिन समय और ईंधन की बचत को देखते हुए इसे बहुत किफायती बताया जा रहा है। वर्तमान में मुंबई से चिरले जाने में दो घंटे का वक्त लगता है जबकि इस पुल से सिर्फ बीस मिनट में पहुंच जाएंगे।
बेहतर कनेक्टिविटी के साथ आर्थिक विकास को गति…
डॉक्टर संजय मुखर्जी ने बताया कि, हमारे कंसल्टेंट ने जो कैलकुलेट किया था, जब ये प्रोजेक्ट बना था, एक ट्रिप पर 700 से 800 रुपये तक की बचत होगी। यह एक बड़ी सेविंग है, दूसरी बात समय और दूरी की भी बचत होगी इसलिए व्हीकुलर इमिशन बड़े पैमाने पर कम होगा जिससे लोगों के जीवन में भी परिवर्तन आएगा। यह पुल भारत में तेजी से हो रहे विकास का अदभुत उदाहरण है। इसकी जरूरत तो 50 साल पहले महसूस की गई थी लेकिन इसका निर्माण शुरू हुआ साल-2014 में देश में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद अब यह रिकॉर्ड समय में बनकर तैयार है। इसके जरिए बेहतर कनेक्टिविटी के साथ आर्थिक विकास को भी गति मिलेगी।
भारत के इस लंबे समुद्री पुल पर सभी गाड़ियां नहीं चल पाएंगी, क्योंकि कुछ गाड़ियों को इस पर चलने की अनुमति नहीं है। मुंबई पुलिस ने कहा कि मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक पर चार पहिया वाहनों के लिए अधिकतम गति सीमा 100 किमी प्रति घंटे होगी, जबकि मोटरबाइक, ऑटोरिक्शा और ट्रैक्टर को समुद्री पुल पर चलने की अनुमति नहीं दी जाएगी।