सोनिया के निजी सचिव किशोरी लाल शर्मा कांग्रेस के टिकट से अमेठी संसदीय सीट से किया नामांकन
अमेठी। लोकसभा सीट अमेठी से कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर नामांकन करने वाले किशोरीलाल शर्मा गांधी परिवार के सबसे नजदीकी स्थानीय कार्यकर्ताओं में से एक हैं। किशोरीलाल शर्मा मूलतः खत्री ब्राह्मण हैं। इनकी लुधियाना की पैदाइश है। केएल शर्मा राजीव गांधी के करीबी थे। राजीव गांधी के साथ पहली बार अमेठी आये और तब से यहीं के होकर रह गये। सतीश शर्मा और शीला कौल के वक्त जब भी गांधी परिवार अमेठी और रायबरेली से चुनाव नहीं लड़ा तब भी केएल शर्मा यहां जमे रहे और स्थानीय लोगों से घुलते मिलते रहे
कांग्रेस की गढ़ अमेठी सीट से चुनाव लड़ने वाले किशोरी लाल शर्मा कौन हैं और कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व उन्हें अमेठी से ही चुनाव क्यों लड़ाया
सोनिया गांधी के सांसद बनने के बाद से लेकर अब तक अमेठी और रायबरेली में जमीनी काम करने और कराने का सारा जिम्मा किशोरीलाल शर्मा ही उठा रहे थे। जो लोग इस इलाके से आते हैं, वो किशोरी लाल शर्मा के नाम को जानते होंगे। मृदु भाषी, सरल व्यक्तित्व, कुशल मैनेजर और मीडिया की चकाचौंध से दूर रहते हैं। पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ताओं में खुशी होगी कि किसी बाहरी को यहां से नहीं थोपा गया। कार्यकर्ता अपनों के बीच से ही कांग्रेसी प्रत्याशी चाहते थे। इंटरनल सर्वे में ये बात निकल कर आई थी। जातीय समीकरण में भी किशोरी लाल फिट बैठते हैं।
अमेठी में दलितों (26%) , मुस्लिमों (20%) और ब्राह्मणों (18%) का दबदबा है।कांग्रेस को लगता है कि जातिय समीकरणों के हिसाब से किशोरी लाल शर्मा को फायदा हो सकता है। गांधी परिवार ने भरोसा दिया है कि वो प्रचार के काम में किशोरी लाल शर्मा के साथ भरपूर साथ देंगे। कांग्रेस पार्टी के चुनाव चिन्ह पर किशोरी लाल शर्मा आज अमेठी संसदीय सीट से चार सेट में नामांकन पत्र दाखिल किया। किशोरी लाल रायबरेली में सोनिया गांधी के निजी सचिव हैं और गांधी परिवार के साथ बहुत लंबे वक्त से जुड़े हुए हैं।
लोकसभा सीट अमेठी से साल- 2019 में शिकस्त खाने के बाद कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी का अमेठी से मानों हो गया, मोहभंग
लगभग 55 हजार वोटों से राहुल गांधी साल- 2019 में स्मृति इरानी से हारे थे। इन पांच सालों में केन्द्रीय मंत्री बनने के बाद स्मृति ईरानी ने यहां पर काम करवाये और स्थानीय लोगों का भरोसा जीतने का काम भी किया। अब तो स्मृति ईरानी ने अपना घर भी अमेठी में बनवा लिया है। स्मृति ईरानी लगातार अमेठी से संपर्क बनाकर रखी हुई थीं। आती-जाती रहीं, जबकि राहुल इक्का-दुक्का बार ही हारने के बाद अमेठी आये। अमेठी सीट भी अब हॉट सीट बन गई है। गांधी परिवार भले ही सीधा चुनाव न लड़ रहा हो, पर मुकाबला गांधी परिवार के ही नुमांइदे से है, जो गांधी परिवार की पसंद से पहली बार चुनावी मैदान में उतरा है।
भाजपा भी रायबरेली संसदीय सीट को लेकर कभी गंभीर मुद्रा में नहीं दिखी। जिस तरह अमेठी में साल- 2014 में स्मृति इरानी को लोकसभा चुनाव लड़ाया गया और हारने के बाद उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया और पूरे पांच साल तक वह अमेठी संसदीय सीट का दौरा करती रही और साल- 2019 में वह राहुल गांधी को हराने में सफल रही साल। चुनाव से पहले ही राहुल गांधी को भी इस बात का एहसास हो गया था कि वह अमेठी से चुनाव इस बार हार जायेंगे, तभी वह साल- 2019 में अमेठी के अतिरिक्त केरल के वायनाड सीट जो क्रिस्चियन बाहुल्य सीट के रूप में जानी जाती है, वहाँ से चुनाव लड़ा और अमेठी हारने के बाद राहुल गांधी का अमेठी से मानों मोहभंग हो गया हो।