Lok_sabha_chunav_2024: प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर सपा प्रत्याशी एसपी सिंह के सामने उनके पुत्र हर्षित सिंह स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर लड़ रहे हैं, चुनाव
PRATAPGARH: उत्तर प्रदेश का चर्चित जिला प्रतापगढ़ में 39 संसदीय सीट प्रतापगढ़ का अपना महत्व है। लोकसभा चुनाव चुनाव में प्रतापगढ़ संसदीय सीट पर इस बार चुनावी घमासान में पिता-पुत्र भी आमने सामने हो चुके हैं। यहाँ नामांकन प्रक्रिया खत्म हो गई है और स्क्रूटनी भी समाप्त हो चुकी है। आज नाम वापसी और चुनाव चिन्ह आवंटित किया जायेगा।
लोकसभा चुनाव में 33 सेट नामांकन हुए हैं, वैध
लोकसभा सीट पर सबसे चौकाने वाली बात सामने आई है। यहाँ कुल 51 सेट में नामांकन किये गए और कुल 42 नामांकन सेट वैध पाये गए। कुल 9 नामांकन रद्द किये गए। इस तरह 33 सेट नामांकन को स्वीकृत मिली है जो नामांकन वैध पाए गए। एक उम्मीदवार 3 से 4 सेट में नामांकन पत्र दाखिल किये हैं और सारे नामांकन पत्र वैध पाये जाने के बाद एक उम्मीदवार का एक ही नामांकन पत्र बचेगा, शेष रद्द कर दिए जाएंगे।
प्रतापगढ़ संसदीय सीट पर सपा और कांग्रेस एवं आम आदमी पार्टी के संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर डॉ एसपी सिंह पटेल सपा के सिम्बल पर चुनावी मैदान में ताल ठोकने के लिए उतरे हैं तो वहीं भाजपा के सांसद संगम लाल गुप्ता को भाजपा ने दूसरी बार अपना उम्मीदवार बनाया है। बसपा ने युवा प्रत्याशी प्रथमेश मिश्र जो भाजपा नेता शिव प्रकाश मिश्र सेनानी के इकलौते पुत्र हैं, उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है। प्रतापगढ़ में चुनावी लड़ाई भी आमने-सामने भाजपा और सपा में होती नजर आ रही है।
सपा उम्मीदवार एसपी सिंह क्या पर्चा खारिज होने के डर से अपने बेटे हर्षित सिंह का कराया है, नामांकन
इस चुनाव में सबसे चौकाने वाली बात यह है कि समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार डॉ एसपी सिंह पटेल के पुत्र हर्षित सिंह भी निर्दलीय नामांकन किये हैं और उनका नामांकन भी वैध पाया गया है। देखना यह होगा कि आज वह अपना नामांकन वापस लेते हैं अथवा पिता के सामने पुत्र भी चुनावी मैदान में कदम ताल करता नजर आएगा। निर्दलीय उम्मीदवार हर्षित सिंह और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार डॉ एसपी सिंह पटेल से इस सम्बन्ध में उनका पक्ष जानने की कोशिश की गयी, परन्तु किसी ने फोन नहीं उठाया।
सपा उम्मीदवार डॉ एसपी सिंह पटेल अपने पुत्र का नामांकन जानबूझकर कराया अथवा इस डर से कराया कि कहीं उनका नामांकन रद्द कर दिया गया तो उनके स्थान पर उनका बेटा हर्षित सिंह स्वतंत्र उम्मीदवार होगा और उसे सपा और कांग्रेस सहित आम आदमी पार्टी अपना समर्थन दे देगी। यदि अपना नामांकन हर्षित सिंह वापस लेते हैं तो इस पर मुहर लग जायेगी। नामांकन वापस नहीं लेते हैं और पिता के सामने यदि चुनावी मैदान में डटे रहते हैं तो निश्चित रूप से हर्षित सिंह एक डमी उम्मीदवार साबित होंगे।
चिलबिला हनुमंत नगर के पते से सदर विधानसभा की मतदाता में पिता-पुत्र का नाम मतदाता सूची में है, दर्ज
सबसे चौकाने वाली बात यह है कि दूसरे को आईना दिखाने वाले डॉ एसपी सिंह अपना नाम और बेटे का नाम मतदाता सूची में प्रतापगढ़ में चिलबिला के पते पर दर्ज करवाये हैं, साथ ही कई और नाम भी प्रतापगढ़ की मतदाता सूची में दर्ज करवाये हैं। जबकि किसी का नाम उस संसदीय सीट की मतदाता सूची में तब दर्ज होता है जब वह पूर्व में जहां उसका नाम मतदाता सूची में दर्ज था, वहां से कटवाने का प्रमाण पत्र बीएलओ को प्रस्तुत करे। यक्ष प्रश्न यह है कि हरदोई जनपद के मूल निवासी और राजधानी लखनऊ में ब्यवसाय करने वाले करोड़पति डॉ एसपी सिंह और उनकी पत्नी कांति सिंह व बेटा हर्षित सिंह का नाम लखनऊ व हरदोई की मतदाता सूची में तो नहीं दर्ज है।
यदि लखनऊ और हरदोई की मतदाता सूची में डॉ एसपी सिंह और उनके बेटे का नाम मतदाता सूची में दर्ज है तो प्रतापगढ़ की मतदाता में नाम दर्ज करवाना कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है। चूँकि डॉ एसपी सिंह और उनका बेटा हर्षित सिंह दोनों अपने हलफनामे में चिलबिला का पता ही दर्शाए हैं। यह कृत्य जाँच का विषय है और जिला निर्वाचन अधिकारी को इसकी गहनता से जाँच करानी चाहिए। एक से अधिक स्थानों पर यदि नाम दर्ज मिलता है तो मुकदमा भी लिखाना चाहिए। नियम की बात करें तो एक उम्मीदवार के लिए यह आवश्यक नहीं कि वह प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र में उसका नाम मतदाता सूची में दर्ज ही हो। देश के किसी भी विधानसभा में उसका नाम मतदाता सूची में होना चाहिए।