Loksabha_Election_2024: आईये जाने सूबे की बस्ती लोकसभा सीट का संसदीय इतिहास, वहां का जातिगत समीकरण और चुनावी आंकड़ों की गुणा-गणित
बस्ती। उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में एक बस्ती लोकसभा सीट है। इस सीट का इतिहास आजादी के बाद से है। साल- 1952 में पहली बार इस सीट पर चुनाव हुआ था। जिसमें कांग्रेस के उदय शंकर दुबे यहां से सांसद चुने गए थे। साल- 1957 में निर्दलीय राम गरीब इस सीट पर चुनाव जीतकर सांसद बने थे। लेकिन उसी साल यहां पर उपचुनाव हुआ था, जिसमें कांग्रेस के केशव देव मालवीय ने जीत दर्ज की थी। साल-1962 का चुनाव भी मालवीय ही कांग्रेस के टिकट पर यहां जीतने में कामयाब हुए थे।
लोकसभा सीट बस्ती का संसदीय इतिहास
साल-1967 के चुनाव में भी इस सीट पर कांग्रेस का ही कब्जा रहा था। शिव नारायण और अनंत प्रसाद धूसिया ने जीत दर्ज की थी। हालांकि साल-1977 के चुनाव में जनता पार्टी से शिव नारायण यहां से सांसद चुने गए थे। साल-1980 के चुनाव में कांग्रेस से चुनाव लड़े कल्पनाथ सोनकर जीते थे। वहीं साल-1984 में कांग्रेस के ही राम अवध प्रसाद सांसद चुने गए थे। साल- 1989 के चुनाव में जनता दल से लड़े कल्पनाथ सोनकर ने जीत दर्ज की थी।
लेकिन साल-1991 के चुनाव में श्याम लाल कमल ने पहली बार इस सीट पर बीजेपी का कमल खिलाया था। फिर उसके बाद साल- 1996, 1998 और साल- 1999 के चुनाव में बीजेपी के ही श्रीराम चौहान यहां से लगातार सांसद बने। लगातार चार चुनाव जीतने वाली बीजेपी और हैट्रिक लगाने वाले श्रीराम चौहान साल- 2004 के चुनाव में हार गए थे। उन्हें बसपा के लाल मणि प्रसाद ने चुनाव हरा दिया था। इसके बाद साल- 2009 के चुनाव में भी बसपा ने इस सीट पर कब्जा बरकरार रखा। इस बार अरविंद कुमार चौधरी यहां से सांसद चुने गए थे।
हालांकि एक दशक इस सीट पर राज करने वाली बसपा साल- 2014 की मोदी लहर में बीजेपी से चुनाव हार गई थी। इस चुनाव में बीजेपी के हरीश द्विवेदी सांसद चुने गए थे। साल- 2019 का पिछला चुनाव भी बीजेपी के हरीश द्विवेदी ने यहां पर बसपा के राम प्रसाद चौधरी को नजदीकी मुकाबले में हराकर जीता था। देखना होगा कि भाजपा के हरीश द्विवेदी साल-2024 में बस्ती लोकसभा सीट पर हैट्रिक मार पाने में सफल होते हैं या सपा और बसपा के उम्मीदवार उनकी राह रोकने में सफल होते हैं।
जनपद बस्ती की ऐतिहासिकता
उत्तर प्रदेश का बस्ती जिला अपनी ऐतिहासिकता और पौराणिक मान्यताओं के आधार पर जाना जाता है। पूर्वांचल के अहम जिलों में शुमार किए जाने वाले बस्ती के बारे में कहा जाता है कि राम अपने भाई लक्ष्मण से साथ ऋषि वशिष्ठ के साथ कुछ समय यहां पर रहे थे। बाद में इस जगह का नाम बस्ती पड़ गया। बस्ती एक मंडल भी है और इसके तहत 3 जिले बस्ती, सिद्धार्थनगर और संत कबीर नगर आते हैं।
प्राचीन काल में बस्ती के आसपास का इलाका कौशल देश का हिस्सा हुआ करता था। शतपथ ब्राह्मण के अनुसार, राम के बड़े बेटे कुश कौशल के सिंहासन पर बैठे, जबकि छोटे बेटे लव को राज्य के उत्तरी भाग का राजा बनाया गया, जिसकी राजधानी श्रावस्ती थी। मुगल बादशाह अकबर और उनके उत्तराधिकारियों के दौर में बस्ती जिला अवध सूबे के गोरखपुर सरकार का हिस्सा हुआ करता था। यह क्षेत्र हिंदी के महान साहित्यकार राम चंद्र शुक्ल की धरती की वजह से भी जाना जाता है।
लोकसभा क्षेत्र बस्ती सीट की 5 विधानसभा सीटें…
बस्ती संसदीय सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें आती हैं। जिनमें हरैया, बस्ती सदर, रुधौली, महादेवा सुरक्षित और कप्तानगंज शामिल है। साल- 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में बस्ती लोकसभा क्षेत्र की तीन सीटों पर समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की। जबकि एक सीट पर सपा की सहयोगी रही सुभासपा जीती थी और एक सीट बीजेपी के खाते में गई थी। जहां कप्तानगंज, रुधौली और बस्ती सदर पर सपा जीती। वहीं हरैया पर बीजेपी और महादेवा सुरक्षित पर सुभासपा का कब्जा है।
लोकसभा सीट बस्ती में मतदाताओं की संख्या
अगर बात मतदाताओं की करें, तो लोकसभा चुनाव में बस्ती सीट पर कुल 18 लाख, 31 हजार, 666 वोटर हैं। जिनमें पुरूष मतदाताओं की संख्या- 9 लाख, 90 हजार, 184 है। जबकि महिला वोटरों की संख्या- 8 लाख, 41 हजार 345 है। वहीं ट्रांसजेंडर वोटरों की संख्या- 137 है।
साल- 2004 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
अगर बात साल- 2004 के लोकसभा चुनाव की करें, तो बसपा के लाल मणि प्रसाद बस्ती सीट पर चुनाव जीते थे। लाल मणि को कुल 1 लाख, 55 हजार, 223 वोट मिले थे। जबकि दूसरे नंबर पर बीजेपी के श्रीराम चौहान थे। श्रीराम को कुल 1 लाख, 29 हजार, 849 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर सपा के रत्नाकर धुसिया थे। रत्नाकर को कुल 1 लाख, 27 हजार, 749 वोट पड़े थे।
साल- 2009 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
साल- 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा के अरविंद कुमार चौधरी बस्ती से सांसद बने थे। अरविंद चौधरी को कुल 2 लाख, 68 हजार, 666 वोट मिले । जबकि दूसरे नंबर पर सपा के राज किशोर सिंह रहे थे । राज किशोर को कुल 1 लाख, 63 हजार, 456 वोट मिले थे । वहीं तीसरे नंबर पर बीजेपी के वाईडी सिंह थे । वाईडी सिंह को कुल 1 लाख, 17 हजार, 259 वोट पड़े थे।
साल- 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
बस्ती लोकसभा सीट पर साल- 2014 के चुनाव में बीजेपी के हरीश द्विवेदी जीते थे। हरीश को कुल 3 लाख, 57 हजार, 680 वोट मिले। जबकि दूसरे नंबर पर सपा के ब्रज किशोर सिंह रहे थे। ब्रज किशोर को कुल 3 लाख, 24 हजार, 118 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर बसपा के राम प्रसाद चौधरी थे। राम प्रसाद को कुल 2 लाख, 83 हजार, 747 वोट पड़े थे।
साल- 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
बस्ती सीट पर साल- 2019 के पिछले लोकसभा चुनाव पर नज़र डालें, तो इस सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। बीजेपी के हरीश द्विवेदी ने बसपा के राम प्रसाद चौधरी को नजदीकी मुकाबले में हराया था। हरीश द्विवेदी को कुल 4 लाख, 71 हजार, 163 वोट मिले थे। जबकि दूसरे नंबर पर रहे राम प्रसाद चौधरी को 4 लाख, 40 हजार, 808 मत मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर कांग्रेस के राज किशोर सिंह रहे थे। राज किशोर को केवल 86 हजार, 920 वोट पड़े थे।
बस्ती लोकसभा उत्तर प्रदेश की सीट नंबर- 61 है । आजादी के बाद लंबे समय तक कांग्रेस के कब्जे वाली इस सीट पर फिलहाल बीजेपी काबिज है । जहां कांग्रेस ने यहां पर सात बार अपना सांसद बनाया है । तो वहीं बीजेपी ने यह कारनामा छह बार अंजाम दिया है । जबकि बसपा दो बार इस सीट पर चुनाव जीतने में कामयाब हुई । लेकिन सपा का यहां पर खाता नहीं खुला है।
लोकसभा सीट बस्ती पर जातीय समीकरण
हालांकि एक-एक जनता पार्टी, जनता दल और निर्दलीय ने जीत दर्ज की है । इस सीट पर बीजेपी के श्रीराम चौहान हैट्रिक लगा चुके हैं और इस बार दूसरी हैट्रिक बनाने का मौका भी बीजेपी के ही हरीश द्विवेदी के पास है। वो पिछले दो आम चुनाव में यहां पर जीत दर्ज कर चुके हैं। बस्ती संसदीय क्षेत्र ब्राह्मण, कुर्मी, यादव और दलित बहुल है। हालांकि मुस्लिम, अन्य ओबीसी और दूसरे सवर्ण बिरादरी के मतदाता भी यहां पर निर्णायक हैं। इस सीट पर पिछले दो चुनाव में मोदी लहर के चलते नजदीकी मुकाबले में हरीश जीते हैं। मगर इस बार यहां पर मुकाबला कड़ा नजर आ रहा है।
बस्ती लोकसभा सीट पर भाजपा, सपा और बसपा के बीच त्रिकोणीय संघर्ष
आम चुनाव- 2024 की जंग में जहां बस्ती सीट पर बीजेपी ने फिर से अपना उम्मीदवार हरीश द्विवेदी को ही बनाया है। वहीं बसपा ने यहां पर बीजेपी के ही दया शंकर मिश्र को अपने पाले में लाकर हाथी का सिंबल दे दिया है। दया शंकर मिश्र की ब्राह्मणों के साथ ही सभी बिरादरी में मजबूत पकड़ बताई जाती है। वो लंबे समय तक बीजेपी के जिलाध्यक्ष भी रहे हैं। हालांकि सपा मजबूत चेहरे के रूप में पूर्व सांसद राम प्रसाद चौधरी पर दांव खेला है। सर्वे में वो यहां की जनता की पहली पसंद बताए गए हैं। ऐसे में इस बार बीजेपी के हरीश की राह बस्ती में आसान नहीं दिखती है। फिलहाल यूपी में बन रहे सियासी माहौल को देखें तो त्रिकोणीय मुकाबले में यहां पर बीजेपी इस बार फंस भी सकती है।