मुंबई की चकाचौंध और नशे की आदत बनी पति-पत्नी की मौत का कारण, डॉक्टर पिता ने बताई दर्द भरी कहानी
गोरखपुर के ख्यातिलब्ध मनोरोग चिकित्सक डॉक्टर रामशरण दास की बेटी संचिता ने अपने स्कूल के साथी हरीश से दो साल पहले लव मैरिज की थी। शादी के बाद दोनों मुंबई चले गए। वहां की चकाचौंध भरी जिंदगी ने उनमें नशे की आदत डाल दी। पैसे के अभाव और ऐशो आराम की जिंदगी के बीच की खाई बढ़ती गई, जिससे दोनों अवसादग्रस्त हो गए। कोई रास्ता नहीं मिलने पर दोनों आत्महत्या के लिए मजबूर हो गए। इस घटना को लेकर जहां संचिता का परिवार सदमे में है तो वहीं हरीश के घर भी मातम छाया हुआ है।
डॉक्टर रामशरण दास की बेटी संचिता इंटर की पढ़ाई के लिए 2013 में बनारस चली गई थी। वहीं पर उसकी मुलाकात पटना के रहने वाले हरीश से हुई। दोनों की दोस्ती परवान चढ़ी तो दोनों ने शादी का निर्णय कर लिया। हालांकि हरीश के परिवार वाले शादी के लिए तैयार नहीं थे। बावजूद इसके बेटी की खुशी के लिए डॉक्टर रामशरण ने हरीश से गोरखपुर में 2022 में अपनी बेटी की शादी बड़ी धूमधाम से की। हालांकि हरीश के परिवार का कोई भी सदस्य शादी में नहीं आया था।
HDFC बैंक में नौकरी करता था हरीश
शादी के बाद बेटी और दामाद ने मुंबई का रास्ता पकड़ लिया। एमबीए किए हुए हरीश को एचडीएफसी बैंक में नौकरी मिल गई, जबकि संचिता फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करने के बाद इस क्षेत्र में अपना करियर बनाने के लिए प्रयास कर रही थी। मुंबई में दोनों वन बीएचके के फ्लैट में रहते थे, जिसका किराया करीब 45,000 रुपए प्रतिमाह था। अचानक संचिता की तबीयत खराब हो गई तो हरीश ने उसकी देखभाल के लिए नौकरी छोड़ दी। ऐसे में उन दोनों की समक्ष आर्थिक कठिनाई आने लगी तो संचिता के पिता डॉक्टर रामशरण दास ने बीते फरवरी माह में दोनों को गोरखपुर बुला लिया। डॉक्टर दोनों का खर्चा उठाने की कोशिश करते थे।
पति के गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई
बीते छह जुलाई को हरीश ने कहा कि वह पटना जाना चाहता है। संचिता उसे गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर छोड़कर वापस घर आ गई, लेकिन हरीश पटना न जाकर सारनाथ पहुंच गया, लेकिन इसकी जानकारी उसने किसी को नहीं दी। उसने अपने घरवालों को बताया था कि वह छह जुलाई को दोपहर बाद 3 बजे पटना आ रहा है, लेकिन जब वह शाम 6:00 बजे तक पटना नहीं पहुंचा तो उसकी बहन ने संचिता को फोन कर उसके विषय में पूछा। हरीश के पटना नहीं पहुंचने की जानकारी मिलने पर संचिता परेशान हो गई और वह रात में 1:00 बजे कैंट थाने पर पहुंच गई और पति के गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई।
सर्विलांस पर नंबर लगाया तो हरीश का पता चला
इस दौरान हरीश के नंबर को सर्विलांस पर लगाने पर पता चला कि वह बनारस में है। संचिता अपने परिजनों के साथ बनारस जाने की तैयारी सात जुलाई को सुबह कर रही थी। इसी बीच सुबह 9:00 बजे हरीश के आत्महत्या करने की सूचना मिली। यह सदमा वह बर्दाश्त नहीं कर पाई। पति के मौत की खबर सुनते ही वह दौड़ते हुए अपने पिता के मकान के छत पर गई और वहीं से कूद कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर दी। शादी के समय संचिता व हरीश ने साथ जीने-मरने की कसम खाई थी, जिसको उन्होंने अपनी आखिरी सांस तक निभाया।
पोस्टमार्टम के बाद जब संचिता का शव आवास पर आया तो उसे एक बार फिर दुल्हन की तरह सजाया गया। सोमवार को अमेरिका से संचिता का भाई संचित और हैदराबाद से बहन आस्था के आने के बाद उसका दाह संस्कार राप्ती नदी के तट राजघाट पर किया गया। पिता ने बेटी को मुखग्नि दी। हरीश का अंतिम संस्कार वाराणसी के घाट पर उसके परिजनों ने किया।
संचिता को कौन सी बीमारी थी?
पिता डॉक्टर रामशरण ने बताया कि संचिता को मानसिक विकार था, जिसे इंपल्सिव मेंटली डिसऑर्डर कहा जाता है। यह कोई खास बीमारी नहीं है। इससे ग्रसित व्यक्ति की लक्षणों के आधार पर पहचान की जाती है। इससे जो भी व्यक्ति प्रभावित होता है, वह अचानक कोई भी निर्णय ले लेता है। उसे सही गलत की जानकारी नहीं हो पाती है। अचानक गलत लिए गए फैसलों से ही मरीज की पहचान की जाती है। बेटी को जैसे ही दामाद के सुसाइड करने की जानकारी मिली, वह दौड़कर छत पर गई और वहां से कूद कर अपना जीवन खत्म कर लिया। हालांकि मैंने बेटी और दामाद की खुशी के लिए हर उपाय किए, लेकिन मैं उनको वह खुशी नहीं दे पाया।
पुलिस की जांच-पड़ताल में पता चला कि हरीश और संचिता ने मुंबई की हाईप्रोफाइल जीवन शैली को अपना लिया था, जिसके चलते बड़े लोगों के साथ उनका उठना बैठना हो गया था। दोनों को नशे की आदत भी हो गई थी। हरीश की जब नौकरी छूट गई तो पैसे का अभाव हुआ, जिसके चलते दोनों परेशान हो गए। ऐसे में अपनी ऐश की जिदगी की जरूरतों को पूरा करने में उनको काफी दिक्कत होने लगी और वह अवसादग्रस्त हो गए। जीवन से निराश दोनों ने अपने जीवन को ही खत्म कर दिया।
दामाद के लोन की EMI भी भर रहे थे संचिता के पिता
पुलिस सूत्रों ने बताया कि परिजन दंपति की नशे की आदत छुड़वाने के लिए हर प्रयास कर रहे थे, लेकिन अभी तक सफल नहीं हो पाए थे। दंपति कई बार विदेश की सैर पर भी जा चुके थे। ऐसे में जब उनकी चकाचौंध भरी जिंदगी की गाड़ी पटरी से उतरी तो उनको कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था और यह दुर्भाग्यपूर्ण निणर्य ले लिया। संचिता के पिता डॉ. रामचरण ने बताया कि दामाद ने पढ़ाई के दौरान एजुकेशन लोन लिया था, जिसकी 45,000 ईएमआई आती थी। वह भी मैं ही भर रहा था। पांच जुलाई को भी ईएमआई की रकम भरी और उसकी पर्ची दामाद को भेजा था, लेकिन मेरे सारे प्रयासों के बाद भी मेरी बेटी और दामाद हमेशा के लिए दूर हो गए। मैं उनको उनके अनुसार खुशियां नहीं दे पाया।