क्रिकेटर शमी की बहन और जीजा मनरेगा मजदूर, एमबीबीएस और वकालत करने वाले देवरों के खाते में आई मजदूरी
अमरोहा। उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के जोया ब्लॉक के पलौला गांव में क्रिकेटर मोहम्मद शमी की बहन और बहनोई मनरेगा मजदूर निकले हैं। एमबीबीएस और वकालत करने वाले शबीना के दो देवरों के खाते में भी मनरेगा की मजदूरी आई है। मनरेगा में मजदूरी करने का मामला सुर्खियों में आने के बाद जांच शुरू हो गई है।बुधवार को क्रिकेटर शमी की बहन शबीना और बहनोई गजनबी के मनरेगा में मजदूरी करने का मामला सामने आया तो प्रशासन में भी खलबली मच गई। जिलाधिकारी निधि गुप्ता वत्स ने मामले का संज्ञान लेते हुए डीसी मनरेगा और परियोजना निदेशक अमरेंद्र प्रताप सिंह को मामले की जांच सौंपी है।डीएम के निर्देश पर बुधवार को बीडीओ जोया गांव पहुंचे और मामले की जांच की।उन्होंने प्रकरण के संबंध में ग्रामीणों और मनरेगा में मजदूरी करने वाले मजदूरों से बातचीत करते हुए उनके बयान भी दर्ज किए है।
अमरोहा जिले में मनरेगा में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। जोया ब्लॉक के गांव पलौला निवासी क्रिकेटर मोहम्मद शमी की बहन शबीना का मनरेगा मजदूर के रूप में पंजीकरण है। वहीं, शबीना के पति गजनबी और एमबीबीएस व एलएलबी कर रहे उनके दो देवरों ने भी मनरेगा में मजदूरी से रकम निकाली है। चारों के खातों में मनरेगा की करीब 2.66 लाख रुपये मजदूरी भेजी गई है।मोहम्मद शमी की बहन की सास ही ग्राम प्रधान हैं।
क्रिकेटर मोहम्मद शमी की बहन शबीना की शादी जोया ब्लॉक के गांव पलौला निवासी मोहम्मद गजनबी के साथ हुई है। गजनबी की मां आयशा गांव की प्रधान हैं। खास बात यह है कि शबीना गांव में मनरेगा मजदूर के रूप में काम करती हैं। इतना ही नहीं उनके देवर आमिर सुहेल जो वर्तमान में लखनऊ में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं, उनका भी अपनी पंचायत में मनरेगा मजदूर के रूप में जॉब कार्ड बना है। इसके अलावा एलएलबी करने वाला उनका देवर शेखू भी मनरेगा के तहत मजदूरी पाते रहे हैं।
मनरेगा रिकॉर्ड के अनुसार शबीना ने चार जनवरी 2021 से गांव में मनरेगा मजदूर के रूप में जॉब कार्ड बनवाया है। साथ ही गजनबी,उनके छोटे आमिर सुहेल और शेखू का भी इसी तारीख को जॉब कार्ड बनाया गया। शबीना 19 जून 2021 से जुलाई 2024 तक मनरेगा में काम कर मजदूरी पाती रही।
मनरेगा रिकॉर्ड के अनुसार शबीना ने कुल 372 मानव दिवस का श्रम किया। इसके लिए शबीना ने 71,013 रुपये की मजदूरी पाई है। वहीं शबीना के देवर आमिर सुहेल ने 25 जुलाई 2021 से मई 2024 तक 303 मानव दिवस का श्रम कर 63851 रुपये की मजदूरी हासिल की है।शबीना के पति गजनबी ने 65 हजार और देवर शेखू ने 67 हजार की मनरेगा मजदूरी ली। बता दें कि शबीना का देवर और मोहम्मद गजनबी का छोटा भाई आमिर सुहेल भी मनरेगा में मजदूरी करता है।दोनों का पंजीकरण साथ हुआ था,लेकिन 2023 में आमिर सुहेल का दाखिला एमबीबीएस में लखनऊ हो गया था। दाखिला पाने के बाद भी आमिर गांव में मजदूरी करता रहा। मनरेगा का रिकॉर्ड इसकी गवाही दे रहा है।
उच्चाधिकारियों के निर्देश पर बीडीओ जोया लोकचंद आनंद जांच के लिए गांव पहुंचे। उन्हें ग्राम प्रधान के परिवार से कोई सदस्य मौजूद नहीं मिला।कंपोजिट विद्यालय में पहुंचकर बीडीओ ने ग्रामीणों से बातचीत कर बयान दर्ज किए। जहां ग्रामीणों व मनरेगा मजदूरों ने दोनों के मजदूरी करने की बात कही।शबीना के परिवार और ग्राम प्रधान से बातचीत के लिए बीडीओ उनके घर भी गए, लेकिन परिवार का कोई सदस्य मौजूद नहीं मिला।बीडीओ और पंचायत सचिव के अनुसार गांव में करीब आठ से गांव में मनरेगा के तहत कोई काम नहीं किया गया है। साथ ही दो साल से गांव में किसी रोजगार सेवक की तैनाती नहीं हैं।
बीडीओ लोकचंद आनंद ने बताया कि मामला सुर्खियों में आने के बाद अब सभी जॉब कार्डों जांच के दायरे में आएंगे। गलत तरीकों से मनरेगा में काम करने वाले लोगों पर कार्रवाई भी होगी। साथ ही वसूली की कार्रवाई भी की जाएगी। बीडीओ ने बताया कि सभी जॉब कार्डों की गहनता के साथ जांच की जाएगी। गांव में करीब 650 मनरेगा जॉब कार्ड धारक है।
बता दें कि मनरेगा में गड़बड़ी करने का मामला सामने आने का यह कोई पहली बार नही हैं। इससे पहले भी नसीर नंगला में रोजगार सेवक और ग्राम प्रधान के परिजनों को मनरेगा में मजदूर दिखाते हुए मजदूरी दिए जाने का मामला सामने आया था। यहां रोजगार सेवक ने अपने माता-पिता के नाम 68720 रुपये व ग्राम प्रधान द्वारा पत्नी के नाम 55720 रुपये निकाले जाने का मामला सामने आया था,जिसमें दोनों से रिकवरी भी कर ली गई थी। बाद में डीएम ने परियोजना निदेशक को तत्कालीन सचिव, रोजगार सेवक व ग्राम प्रधान पर कार्रवाई के निर्देश भी दिए थे। इसके अलावा खेड़ा अपरोला में भी मनरेगा में धांधली की शिकायत की गई थी।
पंचायत सचिव बिजेंद्र कुमार के अनुसार उनको पिछले साल अगस्त में इस गांव में तैनाती मिली है। तभी ग्राम प्रधान के परिजनों के जॉब कार्ड को निरस्त कर दिया गया है। बड़ा सवाल यह भी है कि अगर उसी समय इस तरह की जानकारी उच्चाधिकारियों को हो गई थी, तो रिकवरी व दूसरी कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
मनरेगा योजना के तहत गांवों में मिट्टी का कच्चा काम कराया जाता है। इसके लिए त्रिस्तरीय निगरानी की जाती है। पंचायत स्तर पर रोजगार सेवक, तकनीकी सहायक व पंचायत सचिव, ब्लॉक स्तर पर अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी व कार्यक्रम अधिकारी (बीडीओ) व जिला स्तर पर डीसी मनरेगा, मुख्य विकास अधिकारी निगरानी करते हैं। गड़बड़ी पाए जाने पर पंचायत स्तर पर ही कार्रवाई की जाती है। जबकि, अन्य जिम्मेदारों को कार्रवाई से बचा लिया जाता है।
पलौला में ग्राम प्रधान के परिजनों के मनरेगा में मजदूरी करने का मामला संज्ञान में आया है। डीएम के निर्देश पर मामले की जांच शुरू कर दी गई है। बीडीओ को जांच के लिए गांव भेजा गया था। जांच रिपोर्ट मिलने पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। – अमरेंद्र प्रताप सिंह, डीसी मनरेगा/ परियोजना निदेशक
मामले की जांच कराई जा रही है। परियोजना निदेशक को जांच सौंपी गई है। जांच रिपोर्ट में जो भी दोषी मिलेगा या जिस स्तर पर पर लापरवाही हुई होगी। उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई के साथ ही वसूली भी जाएगी।- निधि गुप्ता वत्स, डीएम
हमारी बहन की शादी पलौला गांव में हुई है। वह परिवार के साथ वहां रहती हैं। वहां क्या प्रकरण हुआ है, इसकी जानकारी हमें नहीं है। मोहम्मद शमी का नाम इस प्रकरण से जोड़कर गलत छवि बनाई जा रही है, जो सही नहीं है। पलौला गांव के प्रकरण से मोहम्मद शमी को कोई मतलब ही नहीं है।-हसीब अहमद, मोहम्मद शमी के भाई