दुष्कर्म की धारा हटाने के लिए महिला दरोगा ने मांगे थे 20 हजार रुपये, डीआईजी ने की सख्त कार्रवाई
बागपत में दहेज उत्पीड़न के मामले में दुष्कर्म की धारा हटाने के नाम पर 20 हजार रुपये की रिश्वत लेने वाली महिला उपनिरीक्षक अमृता यादव को डीआईजी कलानिधि नैथानी ने नौकरी से बर्खास्त कर दिया। अदालत दरोगा को दोषी पाते हुए सात साल की सजा सुना चुकी है। अमृता यादव वर्तमान में मेरठ जिला कारागार में बंद है।
डीआईजी कलानिधि नैथानी ने बताया कि महिला उपनिरीक्षक अमृता यादव वर्ष 2017 में मेरठ थाना कोतवाली में नियुक्त और बुढ़ाना गेट चौकी इंचार्ज थी। 13 जून 2017 को एंटी करप्शन की टीम ने अमृता यादव को बुढ़ाना गेट चौकी में सीकरी मोदीनगर निवासी समीर से 20 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। महिला दरोगा ने समीर से दहेज उत्पीड़न के मुकदमे में दुष्कर्म की धाराएं हटाने की एवज में 20 हजार की रिश्वत मांगी थी।
समीर ने इसकी शिकायत एंटी करप्शन से की थी। थाना कोतवाली में अमृत यादव के खिलाफ मामला दर्ज कर जेल भेजा गया था। डीआईजी ने बताया कि न्यायालय, विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम/ अपर सत्र न्यायाधीश ने इस मामले में 5 सितंबर 2024 को महिला उपनिरीक्षक अमृता यादव को दोषी पाते हुए सात वर्ष के कठोर कारावास और 75 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई थी। तभी से वह मेरठ जिला कारागार में बंद है।
इस अधिकार से की कार्रवाई
डीआईजी कलानिधि नैथानी ने इस मामले में पुलिस अधिकारियों की (दंड एवं अपील) नियमावली-1991 के नियम-8 (2) (क) के अंतर्गत प्रदत्त अधिकारों का राजहित में प्रयोग करते हुए यह कार्रवाई की है। डीआईजी ने वर्तमान में जिला कारागार मेरठ में निरुद्ध और एवं जनपद बागपत में नियुक्त महिला उपनिरीक्षक अमृता यादव को शासन एवं पुलिस मुख्यालय की मंशानुसार लंबित पत्रावली तलब कर तत्काल प्रभाव से 4 मई को सेवा से पदच्युत (बर्खास्त) के आदेश जारी किए।
कृत्य ने विभाग की छवि को किया धूमिल
डीआईजी ने बताया कि महिला उपनिरीक्षक अमृता यादव ने पुलिस जैसे अनुशासित बल में नियुक्त रहते हुए इस प्रकार का निंदनीय कृत्य कर पुलिस विभाग की छवि को धूमिल किया है।