जिन ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य मतदाताओं के मतों से विनोद सोनकर माननीय सांसद बने, अक्सर उन्हीं पर करते हैं, छीटाकशी
भाजपा के कौशाम्बी सांसद विनोद सोनकर अक्सर विवादित बयान देकर पहले सुर्खियां बटोरते हैं और बाद में हाथ जोड़कर माफी मांगने के हो गए हैं, आदी…
कौशांबी सांसद विनोद सोनकर ने दिया विवादित बयान, ब्राम्हण, क्षत्रिय और वैश्य ने किया धर्म परिवर्तन, दलितों ने नहीं ! लोगों ने किया विरोध तो मांगी माफी, भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री भी हैं, सांसद विनोद सोनकर…
भाजपा में कुछ कमीने लुच्चे किस्म के नेता पार्टी की छवि को खराब कर रहे हैं, वह पीएम मोदी के नाम पर माननीय तो बन गए, परन्तु उनमें मानवीय संवेदनाएं समय के साथ न आ सकी। पीएम मोदी के साथ तस्वीर खिंचवा लेने से उनके संस्कार और उनकी सभ्यता नहीं बदल जाती। उनकी असलियत कभी न कभी कहीं पर प्रदर्शित हो ही जाती है। समय रहते हुए यदि इन दो मुंह वाले सांपों के फन को नहीं कुचला नहीं गया तो भाजपा का सत्यानाश होने से कोई बचा नहीं सकता। भाजपा में भी जिंदा चमड़ी के सप्लायर, दलालों के सरगना और भूमाफिया किस्म के लोग जुड़ गए हैं। उनके आगे भाजपा के मूल कार्यकर्ताओं को लगातार उपेक्षित किया गया, जिससे वह हासिये पर चले गए। भाजपा में ऐसे बहुरूपिये लोग लगातार भाजपा का नुकसान कर रहे हैं।
मोदी की सुनामी में कौशाम्बी संसदीय सीट से विनोद सोनकर चुनाव लड़ने के लिए चुनावी मैदान में उतरे तो लोगों ने यह नहीं देखा कि यह खटिक जाति से है और इसका चुनाव करके इसे माननीय बना देने पर यह उल्टे हमारी ही भावनाओं से खेलने का कार्य करेगा। हमारा इतिहास हमें अपने अनुसार बतायेगा। वर्ष-2014 और वर्ष-2019 में जिन ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य मतों से चुनाव जीतकर ये माननीय बना, वह माननीय बनते ही पता नहीं किस पुस्तक का ज्ञान अर्जित किया, यह तो वही जाने। परन्तु उसकी इस ओझी हरकत से भाजपा का सत्यानाश करने से कोई बचा नहीं सकता। इसलिए भाजपा शीर्ष नेतृत्व उसका पर कतर कर उससे सार्वजनिक रूप से माफी माँगने के लिए उन पर दबाव बनाये। ताकि जिनकी भावनाओं को उसने आहत किया, उनकी पीड़ा कम हो सके। हालांकि जन दबाव के आगे विनोद सोनकर स्वयं माफी मांग लिए हैं। परन्तु उनकी यह आदत किसी भी रूप में ठीक नहीं है।
सच बात तो यह है कि भारतीय जनता पार्टी का मूल वोटर वैश्य, ब्राह्मण और क्षत्रिय ही हुआ करता था। पिछड़ी जाति और एससी एवं एसटी को मोदी और अमित शाह के जमाने में जोड़कर भाजपाई वोटर बनाया गया जो महज 7 साल के अंदर अति महत्वाकांक्षा ने उन्हें उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव-2022 में उनका भाजपा से मोह भंग हो गया और पिछड़ी जाति के लोग बहुत कम समय में समाजवादी पार्टी पर फिदा हो गए हैं। भाजपाई नेताओं द्वारा समाज पर किए जा रहे उल्टी सीधी टिप्पणी पर सुधार नहीं किया गया तो भविष्य में उनकी राजनीतिक उपलब्धि को शून्य होने से कोई नहीं रोक सकता। क्योंकि भाजपा सांसद विनोद सोनकर पहली बार सवर्ण जातियों पर अपनी तुच्छ मानसिकता का प्रदर्शन नहीं किया। इसके पहले भी अगड़ी जातियों पर जमकर अपनी भड़ास निकाल चुके हैं। ये सांसद होने से पहले रसोई गैस की एजेंसी संचालित करता था और गैस चोरी करना और करवाना इसका मुख्य ब्यवसाय था। जो ब्यक्ति जैसा कार्य किया रहता है, उसे सब वैसे ही दिखता है, जैसा वह स्वयं रहता है।