मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुनी फरियाद, बोले-थाने पर ही निपटाया जाए मामला
गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को एक बार फिर दोहराया कि थाना और तहसील स्तर के मामलों का निस्तारण वहीं किया जाए। इसमें लापरवाही करने वाले अफसरों को चिह्नित करके उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। उन्होंने पुलिस व प्रशासन के आला अफसरों से कहा कि छोटे-छोटे मामलों का निस्तारण यदि जिला, तहसील और थाना स्तर पर होता तो लोग इतनी दूर से यहां जनता दरबार में नहीं आते। उन्होंने अधिकारियों को हिदायत दी कि जिला कार्यालयों, तहसीलों और थानों में आने वाली शिकायतों को गंभीरता से लेकर उनका गुणवत्तापूर्ण ढंग से त्वरित निस्तारण करें। सूबे के अफसर अपने कार्य के प्रति गंभीर ही नहीं हैं। ऐसे में उनसे जनता की शिकायतों का निस्तारण इमानदारी के साथ करने की बात करना बेईमानी होगी। गुणवत्तापूर्ण ढंग से त्वरित सुनवाई तो तब संभव है जब सूबे के अफसरों में दृढ़ इच्छाशक्ति होगी। यहाँ तो उनमें अपने कार्य के प्रति कायरता कूट-कूट कर भरी हुई है। जनता की समस्याओं से उन्हें कोई लेना-देना नहीं होता, उन्हें तो सिर्फ अपनी जेब कैसे भर ली जाये, सारा दिमाग उसमें लगा रहता है।
मुख्यमंत्री ने बुधवार सुबह गोरखनाथ मंदिर के हिन्दू सेवाश्रम में जनता दरबार लगाया और फरियादियों की समस्याएं सुनी। गुरु गोरखनाथ के दर्शन-पूजन के बाद मुख्यमंत्री सुबह करीब आठ बजे जनता दरबार में आए। उन्होंने 100 से अधिक फरियादियों से उनकी समस्याएं सुनी और शिकायती पत्र लेकर संबंधित अफसरों को तत्काल निस्तारण कराने का निर्देश दिया। महिला फरियादियों के साथ आए छोटे बच्चों को उन्होंने चाकलेट देकर दुलारा। मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात तो फरियादी रख पाता है, परन्तु उनके नकारे अफसरों से मिलना बहुत कठिन है। अफसरों की दशा यह है कि वह जनता दर्शन के समय भी अपने दफ्तरों में नहीं बैठते तो सुनवाई क्या खाक करेंगे ? सूबे की नौकरशाही भ्रष्ट और बेलगाम हो चुकी है। सिर्फ धनार्जन के चक्कर में सुबह से शाम तक अफसर गुणा गणित लगाते रहते हैं। जिसमें धन मिलने के आसार रहते हैं, उस कार्य को वह अपने आवास/बंगले पर भी देर रात्रि करने में संकोच नहीं करते। सूबे के अफसरों को इस बात की चिंता ही नहीं कि उनके ऐसे कृत्यों से सरकार की बदनामी होती है।