भजन गाते-गाते गोपाल कृष्ण महाराज को आया हार्ट अटैक, बैठे-बैठे चली गई जान
धार्मिक नगरी उज्जैन के दमदमा में श्रीमद् भागवत कथा, शिव महापुराण व अन्य धार्मिक आयोजनों के माध्यम से पंडित गोपाल कृष्ण महाराज ने अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है। उज्जैन के साथ ही महाराज जी धीरे-धीरे प्रदेश के अन्य नगरों में भागवत कथा करते हुए प्रभु की भक्ति में रमे रहे, लेकिन गुरु पूर्णिमा पर प्रभु की भक्ति के दौरान अचानक भागवताचार्य पंडित गोपाल कृष्ण महाराज को भगवान का अंतिम बुलावा आ गया। भगवान का ये बुलावा इतने चुपके से आया कि कोई भी कुछ समझ ही नहीं पाया।
महाराज जी भागवत कथा के दौरान मीठे रस से भरियो राधा रानी का भजन गा रहे थे, तभी अचानक उन्हें हार्ट अटैक आया और उन्होंने व्यास की गादी पर ही अपने प्राण त्याग दिए। उनके प्राण त्यागने के बाद हर कोई हैरान था। भगवान की पूजा और भक्ति में लीन रहते हुए ही महाराज जी की मौत हो गई। भगवान के भक्त भगवत भजन करते-करते ही भगवान को प्यारे हो गए।
अभ्यास की बात सुनाते-सुनाते हुई मौत
दमदमा के रहने वाले पंडित गोपाल कृष्ण महाराज राजगढ़ में स्थित अपने गुरु जी के समाधि स्थल पर श्रीमद् भागवत कथा करने गए हुए थे। आंजना समाज और श्री सद्गुरु सेवा समिति की तरफ से एक श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया था। पंडित गोपाल कृष्ण महाराज भक्तों को भगवान की कथा सुना रहे थे। श्रीमद् भागवत कथा के दौरान महाराज जी की मौत उस समय हो गई, जब महाराज जी भक्तों को “करत करत अभ्यास से जड़मति होत सुजान” की बात कहते हुए यह समझा रहे थे कि अभ्यास करने से कोई भी कार्य चाहे वह कितना भी कठिन क्यों ना हो एक दिन हमारे लिए सरल जरूर हो जाता है।
इन प्रवचनों के बाद महाराज जी ने भक्तों को मीठे रस से भरियो राधा रानी का भजन सुनाया। इस पर श्रद्धालु भक्ति में लीन होकर नृत्य करने लगे। महाराज जी इस भजन को गा रहे थे तब श्रद्धालु भी भगवान की भक्ति में लीन थे। लेकिन तभी अचानक भजन गाते-गाते महाराज जी ने बोलना बंद कर दिया। अचानक अचेत अवस्था में चले गए। श्रीमद् भागवत कथा देख रहे श्रद्धालु तुरंत पंडित जी के पास पहुंचे और उन्हें व्यास गादी से नीचे उतरकर तुरंत अस्पताल ले गए। डॉक्टरों ने बताया कि हार्ट अटैक आने से उनकी मौत हो गई।
उज्जैन में हुआ अंतिम संस्कार
गुरुजी के समाधि स्थल यानी कि राजगढ़ पर पंडित गोपाल कृष्ण महाराज की मौत हार्ट अटैक से हो गई थी। उनके निवास स्थान दमदमा उज्जैन पर लाया गया। उनकी अंतिम यात्रा नगर भर में निकालकर चक्रतीर्थ ले जा गई। उनका अंतिम संस्कार किया गया।इस अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में महाराज श्री के अनुयायी शामिल हुए, जिन्होंने महाराज जी श्रद्धा सुमन अर्पित किया।