उत्तराखंड की नहीं, झांसी की रहने वाली हैं हर्षा रिछारिया, महाकुंभ में इसलिए छिड़ा था विवाद
प्रयागराज। गंगा की धरा पर 13 जनवरी से विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुंभ शुरू हो गया है।हाल ही में सोशल मीडिया पर ट्रोल होने वाली एंकर और मॉडल हर्षा रिछारिया मूल रूप से झांसी जिले के मऊरानीपुर कस्बे की रहने वाली हैं।भगवा कपड़ों में अखाड़ों के साथ स्नान करने के बाद से हर्षा को लेकर महाकुंभ में विवाद छिड़ गया था।इसकी वजह से हर्षा महाकुंभ से जाने का मन बना लिया था।
हर्षा रिछारिया मूल रूप से यू-ट्यूबर हैं।हर्षा का जन्म झांसी के मऊरानीपुर में हुआ। बाद में हर्षा परिवार भोपाल चला गया। हर्षा अब उत्तराखंड में रहती हैं।हर्षा ने निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि से गुरु दीक्षा ली थी। मकर संक्रांति के दिन हर्षा ने अखाड़ों के अमृत स्नान के दौरान भगवा वस्त्र पहनकर संगम में डुबकी लगाई थी।इसके बाद से महाकुंभ में विवाद छिड़ गया।
ज्योतिष पीठ पीठाधीश्वर एवं शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरनंद ने इसकी निंदा करते हुए इसे सनातन धर्म का अपमान बताया। उनके साथ ही शांभवी पीठाधीश्वर आनंद स्वरूप ने भी मोर्चा खोल दिया।उन्होंने हर्षा के भगवा वस्त्र पहनकर स्नान करने को त्याग की परंपरा को भोग की परंपरा में तब्दील होना ठहराया। संतों के विरोध से सोशल मीडिया पर भी मामले ने तूल पकड़ लिया।
बृहस्पतिवार रात इन बातों पर दुख जताते हुए हर्षा ने महाकुंभ से जाने की घोषणा कर दी थी। हर्षा ने एक वीडियो के जरिये कहा कि एक युवा होने के नाते वह यहां सनातन धर्म को करीब से समझने आई थी, लेकिन वह अपने गुरु को अपमानित होते नहीं देख सकती। इस वजह से वह समय से पहले ही कुंभनगरी को छोड़कर यहां से जाने का मन बना रही हैं।
आचार्य महमंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि ने इस पूरे विवाद को गैरजरूरी ठहराया। उनका कहना है कि जिस तरह से उनके अन्य अनुयायियों ने स्नान किया, उसी तरह से हर्षा ने भी स्नान किया था। उसे साध्वी की कोई दीक्षा नहीं दी गई है।
भगवा चोला ओढ़कर संन्यासिनी बनने का ढोंग फैलाने के आरोपों के बाद निरंजनी अखाड़े के आचार्य शिविर से आंखों में आंसू लेकर लौटने का दावा करने वाली हर्षा शुक्रवार को महाकुंभ में घूमती नजर आईं। हर्षा सेक्टर 11 के पास तस्वीरों में कैद कर ली गईं। सेक्टर 11 हर्षा के गुरु निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि के शिविर के सामने है।
प्रथम अमृत स्नान में निरंजनी अखाड़े के आचार्य रथ पर हर्षा के साध्वी वेश में शाही सवारी करने का शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप की ओर से विरोध किए जाने के बाद दो दिन पहले रो-रोकर महाकुंभ से वापस जाने का हर्षा का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
साध्वी वेश में माथे पर त्रिपुंड और भगवा वस्त्र धारण कर महाकुंभ में शुक्रवार को हर्षा रिछारिया गंगेश्वर पांटून पुल से आगे सेक्टर 11-12 के बीच सफेद रंग की कार पर सवार होकर निकलीं। सेक्टर 12 के पास हर्षा ने गंगा दर्शन भी किया। तिलक लगाकर कार में मोबाइल पर चैटिंग करती रहीं।इसी दौरान छायाकारों ने उन्हें कैमरे में कैद कर लिया।
हर्षा रिछारिया की महाकुंभ में मौजूदगी की जानकारी मिलने पर शांभवी पीठाधीश्वर आनंद स्वरूप ने निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद को महाकुंभ से बाहर कर उनका बहिष्कार करने की संत समाज के बीच आवाज उठाई।
शांभवी पीठाधीश्वर ने आरोप लगाया कि कैलाशानंद को सनातन की संत संस्कृति और निरंजनी अखाड़े की परंपरा का ज्ञान नहीं है। मॉडल को भगवा वस्त्र में शाही सवारी कराकर उन्होंने परंपरा को धूमिल किया है। शांभवी पीठाधीश्वर ने बताया कि इस मामले को लेकर उन्होंने अखाड़ा परिषद और निरंजनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी से मुलाकात कर स्वामी कैलाशानंद को आचार्य महामंडलेश्वर पद से हटाने और अखाड़े से बाहर करने का आग्रह किया है।
शांभवी पीठाधीश्वर ने बताया कि हर्षा की मां किरन रिछारिया ने उन्हें सुबह फोन पर बताया कि अगले महीने उनकी पुत्री की शादी होने वाली है। अपने जीते जी वह उसे कभी संन्यास नहीं लेने दे सकतीं। स्वामी आनंद स्वरूप का कहना है कि जिस मॉडल की महीने भर बाद ही शादी होने वाली हो उसे संन्यासिनी बनाकर महाकुंभ में प्रचारित करने की छूट किसी को नहीं दी जा सकती,
जो महिला अभी यह भी नहीं तय कर पाई है कि उसे संन्यास की दीक्षा लेनी है या शादी करनी है, तो उसे संत- महात्माओं के शाही रथ पर जगह दिया जाना उचित नहीं है। श्रद्धालु के तौर पर शामिल होती तब भी ठीक था, लेकिन भगवा कपड़े में शाही रथ पर बिठाना पूरी तरह गलत है।-स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, शंकराचार्य, ज्योतिष्पीठ।