नूह हिंसा के दो आरोपियों के साथ पुलिस की हुई मुठभेड़ में एक के पैर मे लगी गोली, जिसे अस्पताल में कराया गया भर्ती
नूह हिंसा के बाद हरियाणा पुलिस की कार्रवाई जारी है। गुरूवार, 10 अगस्त को पुलिस की नूह हिंसा के दो आरोपियों के साथ मुठभेड़ हो गई। इंडिया टुडे से जुड़े अरविंद ओझा की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ एनकाउंटर के दौरान एक आरोपी के पैर में गोली लगी है। उसे घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया है। ये एनकाउंटर नूंह से 16 किलोमीटर दूर तावड़ू इलाके में हुआ। हरियाणा पुलिस के मुताबिक उसे सूचना मिली थी कि नूह हिंसा में शामिल रहे राजस्थान के दो लोग तावडू जा रहे हैं। जब पुलिस ने उन्हें तावडू में रोका तो उन्होंने गोलियां चला दीं। जवाबी कार्रवाई में पुलिस अधिकारियों ने भी आरोपियों पर गोलियां चलाईं। एक आरोपी सैकुल के पैर में गोली लगी और पुलिस ने तुरंत उसे इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया। पुलिस के मुताबिक तावडू के पहाड़ी इलाके में दूसरे आरोपी मुनसैद की तलाश जारी है। नूह-मेवात में 31 जुलाई को बृजमंडल यात्रा के दौरान हिंसा हुई थी। यात्रा के दौरान दो समुदायों के लोग आमने-सामने आ गए। देखते ही देखते ये विवाद दो समुदाय के लोगों के बीच हिंसा में बदल गया।
बड़े स्तर पर हुई हिंसा में 2 पुलिस कर्मियों समेत 6 लोगों की मौत हो गई। हिंसा के बाद से अब तक पूरे हरियाणा में 100 से ज्यादा FIR दर्ज की गई हैं। इनमें से कई केस सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैलाने के लिए दर्ज हुए हैं। पुलिस ने अलग-अलग इलाकों से अब तक 200 से ज्यादा लोगों को अरेस्ट किया है और 80 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया है। हिंसा के कुछ रोज बाद ही हरियाणा सरकार ने कुछ लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाना शुरू कर दिया. प्रशासन का कहना था कि मुख्यमंत्री के आदेश पर वो उन मकानों को गिरा रहे हैं, जिनसे हिंसा के दौरान पथराव किया गया था। नूह के पुन्हाना, पिंगनवा, नगीना, टौरू और फिरोजपुर झिरका में अर्धसैनिक बल और पुलिस की उपस्थिति में बुलडोजर एक्शन हुआ। नूह में 37 जगहों पर 57.5 एकड़ जमीन से कथित अवैध निर्माण हटाए गए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ कुल 1208 निर्माणों को जमींदोज किया गया। इनमें से ज्यादातर निर्माण मुस्लिम समुदाय के लोगों के थे।
बुलडोजर पर कोर्ट ने क्या कहते हुए लगवाई रोक…
बुलडोजर की कार्रवाई जारी थी, तभी पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने 7 अगस्त की सुबह बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को एक नोटिस जारी किया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “मुद्दा ये भी है कि क्या कानून-व्यवस्था की आड़ में किसी एक खास समुदाय की इमारतों पर बुलडोज़र चलाया जा रहा है? और क्या राज्य सरकार जातीय संहार की कोशिश कर रहा है?” जातीय संहार को अंग्रेज़ी में ‘एथनिक क्लिनसिंग’ कहा जाता है। इसका मतलब है किसी जगह से एक खास समुदाय को हटाने के लिए बल या धमकी का इस्तेमाल करना। कोर्ट हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज के बयान पर टिप्पणी कर रहा था। इसमें उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार सांप्रादयिक हिंसा की जांच कर रही है और बुलडोज़र इलाज का हिस्सा है। कोर्ट ने हरियाणा सरकार को हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है। इसमें उन्हें बताना होगा कि नूह और गुरुग्राम में पिछले 2 हफ्तों में उन्होंने कितनी इमारतें गिराई हैं? क्या इससे पहले मालिकों को कोई नोटिस दिया गया था?