काशी का मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र महाश्मशान घाट दिखेंगे नए रूप में, बदलेगी सूरत
वाराणसी। देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी को मोक्ष की नगरी भी कहा जाता है। काशी में मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र महाश्मशान घाट है, इनका पौराणिक इतिहास है। जल्द ही दोनों महाश्मशान घाट नए रूप में दिखने वाले हैं। दोनों का निर्माण का काम तेजी से जारी है। दोनों महाश्मशान घाट पर शवों के अंतिम संस्कार के लिए नया प्लेटफार्म बनेगा। खास बात यह है कि पुराने भवन के टूटे मलबे से इन दोनों महाश्मशान घाट पर प्लेटफार्म को बनाया जाएगा। इसके अलावा दोनों घाटों पर चुनार और जयपुर का पत्थर भी लगाया जाएगा, जो इनकी खूबसूरती में चार चांद लगाएंगे।
फिलहाल दोनों महाश्मशान घाटों पर मलबे का अंबार है, लिहाजा इसके निर्माण की कार्यदायी संस्था घाटों पर पड़े मलबों को क्रूज की मदद से गंगा उसपर डोमरी ले जाएगी। फिर जैसे जैसे जरूरत होगी वैसे वैसे इन मलबे को वापस लाकर यहां नए प्लेटफॉर्म का निर्माण होगा।क्रूज से मलबे को गंगा उस पार ले जाने की तैयारी पर मंथन जारी है। मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र महाश्मशान घाट के पुनः निर्माण पर कुल 34 करोड़ 86 लाख रुपये खर्च होगा। इसमें मणिकर्णिका घाट पर 18 करोड़ और हरिश्चंद्र घाट पर 16 करोड़ 86 लाख रुपये खर्च होगा।
इन रुपये से मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर नए प्लेटफार्म, शव यात्रियों के बैठने के लिए व्यवस्था सहित दूसरे सभी इंतजाम होंगे। ताकि यहां आने वाले शवयात्री को किसी तरह की कोई परेशानी न हो। नए कलेवर में श्मशान घाट के पुनः निर्माण का काम पूरा होने के बाद यहां खुले में शवों का अंतिम संस्कार नहीं होगा। जिस जगह अंतिम संस्कार की व्यवस्था होगी। उसे चारों तरफ से कवर किया जाएगा। इसके अलावा सर्विस एरिया और दूसरी सभी सुविधाएं यहां उपलब्ध होंगी। पुरानी काशी अब नए लुक में दिखेगी।