Loksabha_Election_2024: आईये जाने सूबे की घोसी लोकसभा सीट का संसदीय इतिहास, वहां का जातिगत समीकरण और चुनावी आंकड़ों की गुणा-गणित
Loksabha_Election_2024: घोसी लोकसभा सीट मऊ जिले के अंतर्गत आती है और यह सीट कल्पनाथ राय के लिए भी जानी जाती है। कल्पनाथ राय प्रदेश के दिग्गज नेताओं में शुमार थे। कल्पनाथ राय ही वो शख्स थे, जिन्होने मऊ जिले को अलग बनाने की मांग छेड़ी और अंतिम दम तक लड़े। अलग जिला बनने के बाद अपने संसदीय काल में कल्पनाथ राय ने मऊ का कायाकल्प कराया।
मऊ जिले को बुनकरों का शहर कहना गलत नहीं होगा क्योंकि यह सीट बुनकर बहुल इलाका है और शहर के हर हिस्से में पहले हथकरघा मिल जाता था। जिस पर साड़ी की बुनाई की जाती थी, लेकिन अब हथकरघे की जगह पावरलूम ने ले ली है। मऊ से बनी साड़ियां पूरे देश में मशहूर हैं। साथ ही मऊ जिले से ही बाहुबली मुख्तार अंसारी भी चुनाव जीतते आ रहे हैं। घोसी लोकसभा सीट मऊ जिले के अंतर्गत आती है। यह जिला बुनकरों का शहर माना जाता है क्यों शहर के हर हिस्से में पहले हथकरघा मिल जाता था। जिस पर साड़ी की बुनाई की जाती थी, लेकिन अब हथकरघे की जगह पावरलूम ने ले ली है। यहां से बनी साड़ियां पूरे देश में मशहूर हैं।
लोकसभा घोसी सीट का संसदीय इतिहास
जब पूरे देश में कांग्रेस की लहर हुआ करती थी। तब भी इस सीट पर कांग्रेस इक्का दुक्का ही जीती। साल- 1957 के चुनाव में कांग्रेस के उमराव सिंह यहां से सांसद बने। इसके बाद यह सीट सीपीआई के हाथों में चली गई। साल- 1962 और साल- 1967 के चुनाव में जय बहादुर यहां से सीपीआई के झंडे तले सांसद बने। साल- 1971 के चुनाव में सीपीआई से ही झारखंडे राय चुनाव जीत कर संसद पहुंचे।
साल- 1977 में पहली बार जनता पार्टी को जीत
साल- 1977 के चुनाव में जनता पार्टी से शिवराम सांसद बने, लेकिन साल- 1980 के चुनाव में झारखंडे दुबारा सीपीआई को यहां लाने में कामयाब रहे। साल- 1984 में पीएम इंदिरा कि हत्या के बाद हुए चुनाव में यहां कांग्रेस दुबारा वापसी कर पाई और राजकुमार राय सांसद बने। साल- 1989 के चुनाव में कल्पनाथ राय कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े। जब पूरे देश में राम मंदिर की लहर में बीजेपी को जीत मिल रही थी। तब भी कल्पनाथ राय अपने दम पर इस सीट से कांग्रेस को विजय दिलाई और संसद पहुंचे। इसके बाद हुए साल- 1996 और साल- 1998 के चुनाव में कल्पनाथ राय एक बार निर्दलीय और एक बार समता पार्टी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव जीते।
साल- 1999 के चुनाव में यहां से बसपा उम्मीदवार बालकृष्ण जीते थे, चुनाव
पहली बार साल- 1999 के चुनाव में यहां से बसपा उम्मीदवार बालकृष्ण चुनाव जीते। साल- 2004 के चुनाव में समाजवादी पार्टी का खाता खुला और चंद्रदेव राज भर संसद पहुंचे। साल- 2009 के चुनाव में बसपा के खाते से दारा सिंह चौहान सांसद बने। वहीं मोदी लहर पर सवार होकर हरिनारायण राजभर 2014 में इस सीट से सांसद बने। साल- 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने हरि नारायण राजभर को उम्मीदवार बनाया है। जबकि बसपा से अतुल राय चुनावी बाज मारने में सफल रहे और घोसी के सांसद बने।
लोकसभा घोसी सीट की 5 विधानसभा सीटें
इस लोकसभा सीट के अंतर्गत 5 विधानसभा सीटें आती हैं। जिनमें मधुबन, घोसी, मुहम्मदाबाद-गोहना, मऊ सदर और बलिया की रसड़ा सीटें शामिल हैं। रसड़ा विधान सभा का आधा हिस्सा घोसी लोकसभा में आता है। जबकि आधा हिस्सा बलिया लोकसभा में इससे इस विधानसभा के लोग खुद को ठगे से महसूस करते हैं। साल- 2017 के विधानसभा चुनाव में इनमें से तीन सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज कि जबकि मऊ सदर सीट पर बसपा से मुख्तार अंसारी विधायक हैं, जबकि रसड़ा सीट पर भी बसपा का ही कब्जा है।
लोकसभा सीट घोसी में मतदाताओं की संख्या
लोकसभा चुनाव में घोसी सीट पर कुल 20 लाख, 55 हज़ार, 880 वोटर अपने मत का प्रयोग करेंगे। जिनमें पुरूष मतदाताओं की संख्या- 10 लाख, 90 हज़ार, 327 है। जबकि महिला वोटरों की संख्या- 9 लाख, 1 हज़ार, 865 है। वहीं ट्रांस जेंडर वोटरों की संख्या- 96 है। महिला मतदाता 9 लाख 65 हज़ार 407 है। थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या 84 हैं।
साल- 2004 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
साल- 2004 के लोकसभा चुनाव में सपा के चंद्रदेव प्रसाद राजभर चुनाव जीते। चंद्रदेव प्रसाद राजभर को कुल 2 लाख, 1 हज़ार, 468 वोट मिले। दूसरे नंबर पर बसपा के बाल कृष्ण रहे। बाल कृष्ण को कुल 1 लाख, 80 हज़ार, 456 वोट मिले। तीसरे नंबर पर कांग्रेस की सुधा राय रही। सुधा राय को कुल 1 लाख, 36 हज़ार, 794 वोट मिले।
साल- 2009 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
साल- 2009 के लोकसभा चुनवा में बसपा के दारा सिंह चौहान यहां से सांसद बने। दारा सिंह चौहान को इस चुनाव में कुल 2 लाख, 20 हज़ार, 695 वोट मिले। दूसरे नंबर पर सपा के अरशद जमाल अंसारी रहे। अंसारी को कुल 1 लाख, 59 हज़ार, 750 वोट मिले। तीसरे नंबर पर कांग्रेस से सुधा राय रही। सुधा राय को कुल 1 लाख, 50 हज़ार, 242 वोट मिले।
साल- 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
घोसी लोकसभा सीट पर 2014 में पहली बार मोदी लहर में बीजेपी ने जीत पाई थी और हरि नारायण राजभर यहां से सांसद बने। इस चुनाव में हरि नारायण राजभर को कुल 3 लाख, 79 हज़ार, 797 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर बसपा से दारा सिंह चौहान रहे। दारा सिंह चौहान को कुल 2 लाख, 33 हज़ार, 782 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर कौमी एकता दल से चुनाव लड़ रहे मुख्तार अंसारी रहे। इस चुनाव में माफिया मुख्तार अंसारी को कुल 1 लाख, 66 हज़ार, 443 वोट मिले।
साल- 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
साल- 2019 के लोकसभा चुनाव में अतुल राय ने घोसी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी मैदान में कूदे और सांसद बने और साल- 2019 में बसपा के अतुल राय जीत का परचम फहराया था। घोसी लोकसभा सीट पर साल- 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा के अतुल राय को 5 लाख, 73 हजार, 829 वोट मिले थे। भाजपा के हरि नारायण राजभर को 4 लाख, 51 हजार, 261 वोट मिले थे। अतुल राय ने हरि नारायण राजभर को 1 लाख, 22 हजार 566 मतों से हराया था। यहां सपा-बसपा का गठबंधन होने का फायदा अतुल राय को मिला था और वह सांसद बने थे।
लोकसभा चुनाव-2024 के चुनाव में घोसी सीट पर राजभर बनाम राय की है, लड़ाई
उत्तर प्रदेश की घोसी लोकसभा सीट पर मुकाबला बेहद रोचक है, क्योंकि इस सीट पर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर, दारा सिंह चौहान व एके शर्मा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। यदि यहां पर एनडीए प्रत्याशी सुभासपा के अरविंद राजभर विजयी रहे तो इसका श्रेय सभी लेना चाहेंगे, लेकिन अगर हार हुई तो इसका ठिकरा इन्हीं तीनों पर फूटेगा। अरविंद राजभर, सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर के बेटे और घोसी से प्रत्याशी हैं।
यूपी की घोसी लोकसभा सीट पर तीन कैबिनेट मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर, कद्दावर नेताओं की नाक का सवाल
घोसी लोकसभा सीट भारतीय जनता पार्टी और उत्तर प्रदेश सरकार के तीन कद्दावर मंत्रियों के लिए नाक का सवाल बन गई है। घोसी लोकसभा सीट पर एनडीए प्रत्याशी डॉ अरविंद राजभर की सियासी नैय्या पार लगाने के लिए उनके पिता उत्तर प्रदेश सरकार के पंचायती राज्य मंत्री ओमप्रकाश राजभर, कारागार मंत्री दारा सिंह चौहान और ऊर्जा एवं नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने मऊ जनपद में जमकर पसीना बहाया है। घोसी सीट पर सपा के राजीव राय, सुभासपा के अरविंद राजभर और बसपा के प्रत्याशी पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान आमने सामने हैं।
योगी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर मैदान में हैं, जबकि सपा ने राजीव राय के सहारे भूमिहार दांव खेला है। बसपा ने नोनिया समुदाय से आने वाले पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान है। इस तरह से घोसी सीट का चुनाव जातीय समीकरणों पर आ टिका गया है। हालांकि, बदले समीकरणों में राय और राजभर के बीच सिमटी इस जंग में ओम प्रकाश राजभर की साख दांव पर है, लेकिन जातीय से बिसात पर पूरा चुनाव सिमटा हुआ नजर आ रहा है।घोसी लोकसभा सीट पर मुकाबला रोचक है और यूपी के तीन मंत्री इस सीट पर जीत दिला पाएंगे यह कह पाना मुश्किल है। इस सीट पर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की निगाहें बनी हुई है।
लोकसभा सीट घोसी पर जातीय समीकरण
इस सीट पर सबसे ज्यादा आबादी मुस्लिम और दलित मतदाताओं की है। अनुसूचित जाति 5 लाख मतदाता, मुस्लिम 3 लाख, 50 हजार मतदाता, यादव 2 लाख, 50 हजार मतदाता, चौहान 2 लाख, 30 हजार मतदाता, राजभर 2 लाख मतदाता, वैश्य 1 लाख मतदाता, मौर्या 1 लाख, ब्राह्मण 80 हजार मतदाता, राजपूत 1 मतदाता, निषाद 80 मतदाता, भूमिहार 80 हजार मतदाता, शेष अन्य जाति के मतदाता हैं।