मिशन 2024:पूजा पाल थाम सकती हैं भाजपा का दामन,पति राजू पाल की हत्या में आया था माफिया अतीक का नाम
लखनऊ। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी सियासी पिच को सही करने में जबरदस्त तरीके से जुट गई है। भाजपा यूपी में मिशन-80 का लक्ष्य लेकर चल रही है। भाजपा जल्द ही उत्तर प्रदेश में सियासी पिच पर समाजवादी पार्टी का एक और बड़ा विकेट चटका सकती है। भाजपा राजू पाल की पत्नी सपा से विधायक पूजा पाल को अपनी पार्टी में शामिल कर सकती है। इससे पहले भाजपा ने मऊ की घोसी विधानसभा से सपा विधायक दारा सिंह को एक बार फिर अपनी पार्टी में शामिल कर लिया है। 2022 विधानसभा चुनाव में सपा के सहयोगी रहे सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओमप्रकाश राजभर भी एनडीए में शामिल हो गए हैं। एक हफ्ते पहले सपा के कई नेता भाजपा का दामन थाम चुके हैं। भाजपा से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया है कि प्रयागराज में अतीक गैंग द्वारा मारे गए राजू पाल की पत्नी पूजा पाल को भाजपा अपने साथ ला सकती है।
माना जा रहा है कि पूजा पाल भाजपा में शामिल होने से पहले अपने पद से इस्तीफा देंगी। भाजपा पूजा पाल को भविष्य में मंत्री पद या सांसद के टिकट जैसी अहम जिम्मेदारी भी दे सकती है। इतना ही नहीं पूजा पाल के भाजपा में आने से पार्टी पिछड़ों के बीच और भी मजबूत होगी। बरहाल पूजा पाल सपा में हैं। पति राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल की हत्या के मामले में माफिया अतीक अहमद के बेटे असद का एनकाउंटर कर दिया गया है, जबकि अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या कर दी गई है। ऐसे में पूजा पाल के भाजपा में शामिल होने से 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रयागराज क्षेत्र में भाजपा को बड़ा फायदा मिल सकता है। साथ ही वह इस क्षेत्र में पार्टी के लिए काफी अहम सीट होने वाली है।
सूत्रों के मुताबिक भाजपा पूजा पाल को सराथू या फिर प्रयागराज सीट से उम्मीदवार बना सकती है। साथ ही पूजा पाल को अगले हफ्ते तक भाजपा में आने की संभावना है। इससे पहले प्रावधान के मुताबिक पूजा पाल विधायक पद से इस्तीफा देंगी।पूजा के साथ-साथ सपा के कई अन्य नेता भी जल्द ही भाजपा में शामिल हो सकते हैं। भाजपा आक्रामक तेवर के साथ विपक्ष के मजबूत नेताओं को पार्टी में लाने के लिए विचार कर रही है। भाजपा की चुनौतीपूर्ण सीट पर जमीन मजबूत करने की मंशा है।यहां तक कि अतीक अहमद और अशरफ के शूटआउट के बाद प्रयागराज महत्वपूर्ण सीट बन गई है, जिससे सूबे की राजनीति में एक बड़ा बदलाव आया है।