राम मंदिर के मुख्य शिखर लगा 44 फिट ऊंचा ध्वज दंड, जय श्रीराम के जयकारों से गूंज उठी रामनगरी
अयोध्या। रामनगरी अयोध्या के लिए मंगलवार का दिन काफी अहम रहा।आज राम मंदिर के इतिहास में एक और नया अध्याय जुड़ गया।राम मंदिर में 500 साल बाद ध्वज दंड की स्थापना की गई। राम मंदिर के मुख्य शिखर पर गुजरात में तैयार किया गया 44 फिट ऊंचा ध्वज दंड लगाया गया,इसका वजन लगभग 5 टन है। शिखर कलश समेत राम मंदिर की ऊंचाई 161 फीट है। अब इसमें 44 फीट का ध्वज दंड भी जुड़ गया है।
वैशाख शुक्ल की द्वितीया के दिन सुबह 6:30 बजे विधिवत वैदिक मंत्रोच्चार और पूजा-अर्चना के बीच प्रक्रिया शुरू हुई।
प्रातः 8 बजे राम मंदिर के मुख्य शिखर पर विधि विधान पूर्वक ध्वज दंड स्थापित कर दिया गया।जैसे ही ध्वज दंड प्रतिष्ठित हुआ रामनगरी जय श्रीराम के जयकारों से गूंज उठी।यह ध्वज दंड सिर्फ एक प्रतीक नहीं है,बल्कि यह धर्म,संस्कृति और भक्ति का अद्वितीय चिन्ह है,यह ध्वज प्रभु श्रीराम के अद्भुत, मर्यादा और आदर्शों का प्रतिनिधित्व करता है।
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने इस ऐतिहासिक क्षण की तस्वीरें शेयर कीं।इन तस्वीरों में राम मंदिर का गौरवमय स्वरूप और दिव्यता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। चंपत राय ने बताया कि ध्वज दंड स्थापना का यह काम शास्त्रोक्त विधि और गुरुजनों के मार्गदर्शन में पूरा हुआ,जिससे मंदिर की आभा और भी निखर उठी है। इस खास अवसर पर मंदिर परिसर में मौजूद संतों,पुजारियों और राम भक्तों ने सामूहिक रूप से वैदिक मंत्रोच्चार और प्रभु श्रीराम के भजन-कीर्तन से वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
बता दें कि इस मौके पर लार्सन एंड टुब्रो व टाटा कंसल्टेंसी के इंजीनियर के साथ ध्वज दंड निर्माता गुजरात निवासी भरत भाई,पत्थरों की नक्काशी करने वाले ठेकेदार नरेश मालवीय,पत्थरों के कार्य का सुपरविजन करने वाले चंद्रशेखर सोमपुरा के साथ एक बड़ी टीम मौजूद रही। 160 फीट की ऊंचाई पर शिखर के पास लार्सन एंड टुब्रो व टाटा कंसलटेंसी के इंजीनियर ऊपर चढ़कर मौजूद रहे,दो क्रेन से ध्वज दंड को ट्राला के ऊपर से उठाया गया,धीरे-धीरे वर्टिकल खड़ा हुआ। इसके बाद टावर क्रेन के माध्यम से ध्वज दंड को शिखर पर स्थापित कर दिया गया।