महाराष्ट्र के नांदेड़ में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है। यहां के एक सरकारी अस्पताल में पिछले 24 घंटों में 12 शिशुओं सहित कम से कम 24 लोगों की मौत हो गई। सोमवार को मामले को लेकर विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने कड़ी प्रतिक्रिया की। अधिकारियों के अनुसार, डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में मरने वालों में 2 से 4 दिन की उम्र के कम से कम 12 शिशु शामिल हैं, जबकि बाकी वयस्क हैं।
अस्पताल के अधिकारी इतने कम समय में बड़ी संख्या में मौतों पर टालमटोल कर रहे हैं। लेकिन, विपक्षी दलों ने स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत को बर्खास्त करने या इस्तीफे की मांग करते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार पर हमला किया है। अस्पताल के डीन एस. वाकोडे ने मीडियाकर्मियों को बताया कि छह बालक और छह बालिका शिशुओं की अलग-अलग कारणों से मौत हो गई। जबकि अन्य 12 वयस्कों की मौत हुई है, जिनमें से ज्यादातर सांप के काटने से मारे गए।
उन्होंने दावा किया कि कई मरीज दूर-दूर से आए थे। अस्पताल को बजट की कमी और अन्य मुद्दों के बीच समय पर उनके लिए सही दवाएं खरीदने की समस्याओं का सामना करना पड़ा। पूर्व सीएम और नांदेड़ के वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने कहा कि इन मौतों के अलावा, जिले के अन्य निजी अस्पतालों से रेफर किए गए अन्य 70 मरीज ‘गंभीर’ बताए गए हैं।
चव्हाण ने कहा कि मैंने अस्पताल के डीन से बात की, जिन्होंने कहा कि नर्सिंग और मेडिकल स्टाफ की कमी है। कुछ उपकरण काम नहीं कर रहे हैं और कुछ विभाग कई कारणों से चालू नहीं हैं। यह बहुत गंभीर मुद्दा है। शिवसेना (यूबीटी) की उप नेता सुषमा अंधारे ने लापरवाही का आरोप लगाया और अगस्त के मध्य में ठाणे के छत्रपति शिवाजी महाराज सरकारी अस्पताल में 18 मरीजों की इसी तरह की मौत का जिक्र किया।
अंधारे ने कहा कि यह साफ है कि स्वास्थ्य मंत्री सावंत अप्रभावी हैं और सीएम को या तो उनका इस्तीफा लेना चाहिए या उन्हें बर्खास्त करना चाहिए। सरकार की आलोचना करते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले ने सामूहिक मौतों की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह ट्रिपल इंजन सरकार सभी 24 निर्दोष व्यक्तियों की मौत के लिए जिम्मेदार है।
एनसीपी के प्रवक्ता विकास लवांडे ने कहा कि ये मौतें सरकार की लापरवाही और मेडिकल सप्लाई की कमी के कारण हुई हैं। यह त्योहारों और आयोजनों का विज्ञापन करने वाली सरकार के लिए दुर्भाग्य है।
रमेश राज़दार एक वरिष्ठ पत्रकार हैं, जो खुलासा इंडिया के संस्थापक एवं मुख्य संपादक हैं। उन्हें शैक्षिक जीवन में लोकतंत्र के चतुर्थ स्तम्भ के प्रति ऐसा आकर्षण हुआ कि वर्ष 2000 में पत्रकारिता जगत में स्वयं को स्थापित करने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं को त्यागकर समाचार पत्र को ही अपना कैरियर चुन लिया। कालांतर में समाचार पत्र को छोड़ मासिक और पाक्षिक पत्रिकाओं में कार्य किया। कुछ दिनों तक सत्यकथा और मनोहर कहानियां जैसी पत्रिकाओं में भी अपना योगदान दिया। डिजिटलाइजेशन का दौर शुरू हुआ तो खुलासा इंडिया वेब न्यूज़ पोर्टल की स्थापना किया। लॉ ग्रेजुएट होने के बाद पत्रकारिता जगत में ही कार्य करने की इच्छा से खुलासा इंडिया की स्थापना कर आज इस मुकाम तक पहुँच सका हूँ। वें जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन में पीजी डिप्लोमा धारक हैं।