भाजपा के चाणक्य अमित से बन गई बात, पत्नी श्रीकला भाजपा में होगी शामिल, गृहमंत्री से हुई श्रीकला की मुलाकात, भाजपा के समर्थन का बाहुबली नेता धनंजय सिंह ने किया ऐलान

आखिर जौनपुर में भाजपा को अपना समर्थन दे दिया। अब सवाल उठता है कि जिस भाजपा को  बाहुबली नेता धनंजय सिंह पानी पी पीकर कोस रहे थे और भाजपा शीर्ष नेतृत्व को अपने खिलाफ हुए न्यायिक निर्णय को एक साजिश बता रहे थे। क्योंकि जैसे ही बाहुबली नेता धनंजय सिंह जौनपुर से चुनाव लड़ने का ऐलान किया, वैसे ही उनके खिलाफ न्यायिक निर्णय कराकर उन्हें सजा दिलाते हुए जेल भेजकर उनके राजनीतिक कैरियर पर विराम लगाने का कार्य किया गया और उसका सूत्रधार भाजपा शीर्ष नेतृत्व ही था, ऐसा आरोप धनंजय सिंह और उनके समर्थकों ने लगाया था।

दो बाहुबलियों में एक का साथ और समर्थन मिला, दूसरा बाहुबली दिया दांव…

राजनीति में संभावनाएं कभी खत्म नहीं होती 

बाहुबली नेता धनंजय सिंह पहले जौनपुर जेल भेजे गए और बाद में बरेली जेल भेज दिए गए। इसी बीच बसपा ने धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी को अपना उम्मीदवार बनाया और जौनपुर संसदीय से उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया। इसीबीच धनंजय सिंह को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई और जमानत मिलते ही बसपा ने श्रीकला रेड्डी का टिकट काटकर अपने वर्तमान सांसद श्याम सिंह यादव को टिकट दे दिया। बाहुबली नेता धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला सिंह का बहुजन समाज पार्टी ने टिकट काटा तो जौनपुर की सियासत में हलचल तेज गई। जौनपुर के सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई कि अब धनंजय सिंह क्या करेंगे ?

भाजपा के चाणक्य अमित शाह और बाहुबली नेता धनंजय सिंह से हो गयी डील 

ठाकुरों की नाराजगी के बीच अमित शाह के साथ राजा भईया की मुलाकात ने सियासी रंग दिखाना शुरू कर दिया था। परन्तु भाजपा चाणक्य अमित शाह से राजा भईया की राजनीतिक डील न हो सकी। परन्तु अमित शाह और धनंजय सिंह की डील दिल्ली में तय हो गई। दोनों नेताओं के बीच मुलाक़ात की खबर लीक होते ही तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे। आखिर गहन-मंथन के बाद धनंजय सिंह ने अपना इरादा साफ कर दिया। आख़िरकार धनंजय सिंह ने जौनपुर में भारतीय जनता पार्टी को समर्थन देने का ऐलान किया है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि धनंजय सिंह ने आखिर यह फैसला क्यों लिया ?

बसपा से नाराज हैं, धनंजय सिंह ?

आपको बता दें कि रंगदारी और अपहरण मामले में जब धनंजय सिंह जेल में बंद थे, तब उनकी पत्नी श्रीकला सिंह को बसपा ने जौनपुर से अपना उम्मीदवार घोषित किया था। उसके कुछ दिनों बाद एक नाटकीय अंदाज में बसपा ने उनका टिकट काट दिया। बसपा ने श्रीकला पर धोखा देने का आरोप लगाया, जिसके बाद से धनंजय सिंह बसपा से नाराज हो गए। उसके बाद फिर धनंजय सिंह ने भाजपा को  समर्थन देने का फैसला लिया।

आखिर भाजपा को ही समर्थन क्यों दे रहे हैं, धनंजय सिंह ?

मंगलवार को धनंजय सिंह ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुआ कहा कि वो सत्ताधारी भाजपा को अपना समर्थन देंगे। धनंजय सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने समर्थकों से सुझाव मांगा था। उन्होंने कहा कि 70% से अधिक सुझाव यही था कि सत्तापक्ष का समर्थन किया जाए।

बसपा सुप्रीमों के निर्णय से धनंजय समर्थक हुए थे, आहत

धनंजय सिंह ने कहा कि उनके समर्थक आहत थे। अपने समर्थकों की बात और सुझाव को अमल में लाते हुए उन्होंने यह फैसला लिया है। उन्होंने आगे बताया कि उनकी भाजपा शीर्ष नेतृत्व से कोई बातचीत नहीं हुई है। आगे उन्होंने विपक्ष पर भी निशाना साधा और कहा कि विपक्ष बार-बार संविधान बदलने की बात करता है। संविधान कोई बदल नहीं सकता है। ना तो कांग्रेस संविधान बदल सकती है, न भाजपा संविधान बदल सकती है। संविधान में समय-समय पर संशोधन हो सकते हैं। देश के संविधान में अभी 106 बार संशोधन किये जा चुके हैं। समय और परिस्थितियों के मद्देनजर संविधान में संशोधन किये जाते रहे।

भाजपा को ही समर्थन क्यों कर रहे हैं, धनंजय सिंह ? जानें परदे के पीछे की कहानी…

जौनपुर में पत्नी श्रीकला सिंह का टिकट कटने के बाद से बाहुबली नेता धनंजय सिंह चर्चा में आये और समर्थकों के साथ विचार विमर्श करके उन्होंने भाजपा को ही समर्थन देने का फैसला सार्वजानिक कर दिया। भाजपा के चाणक्य अमित शाह के द्वारा जौनपुर के मूल निवासी और आर्थिक राजधानी मुंबई के उद्योगपति और कांग्रेस की सरकार महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री कृपा शंकर सिंह को टिकट दिया गया था। शायद यही वजह थी कि गृहमंत्री अमित शाह और धनंजय सिंह की मीटिंग दिल्ली में हुई। मीटिंग में एक दूसरे के स्वार्थ को समझने के बाद समर्थकों के साथ बैठक कर समर्थन देने मात्र की औपचारिकता शेष रह गई थी, जो कल शाम पूरी हो गई।

लोकसभा सीट जौनपुर सहित पूर्वांचल के अन्य लोकसभा सीटों पर धनंजय सिंह का प्रभाव

जौनपुर सीट से लेकर प्रतापगढ़, गाजीपुर, बलिया, अयोध्या, भदोही, चंदौली जैसे सीटों पर ठाकुर मतदाता ठीक-ठाक है। धनंजय सिंह की खामोशी बीजेपी के लिए सियासी मददगार साबित होंगे। ठाकुर मतदाताओं में धनंजय सिंह का असर पूर्वांचल की 12 सीटों पर है। इनमें जौनपुर, मछलीशहर, घोसी, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, आजमगढ़, लालगंज, वाराणसी, मिर्जापुर, सोनभद्र और भदोही शामिल हैं। बीजेपी ने जिस तरह धनंजय सिंह को साधा है, उससे पार्टी पूर्वांचल में लाभ मिल सकता है।

बाहुबली नेता धनंजय सिंह की सियासी पकड़

जौनपुर की सियासत में धनंजय सिंह के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है। धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी जौनपुर की जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। इतना ही नहीं उनके करीबी बृजेश सिंह प्रिंसू जौनपुर से एमएलसी हैं। धनंजय सिंह खुद जौनपुर से सांसद रह चुके हैं और दो बार विधायक रहे हैं। इसके अलावा धनंजय सिंह जब भी चुनाव लड़े हैं, उनके चुनाव लड़ने से बीजेपी चुनाव हार जाती है और इसका फायदा सपा और बसपा के उम्मीदवार उठा लेते हैं। इसके पीछे वजह यह की है कि जौनपुर की सियासत में उनकी मजबूत पकड़ है। ऐसे में जौनपुर लोकसभा सीट से धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी के चुनावी मैदान में उतरने से बीजेपी की राह मुश्किल हो सकती थी।

धनंजय का राजनीतिक असर

धनंजय सिंह की पकड़ जौनपुर में सिर्फ ठाकुर समुदाय तक सीमित नहीं है, बल्कि दलित और ओबीसी की कई जातियों के बीच अच्छी पकड़ मानी जाती है। जौनपुर के मुस्लिमों में भी उनका अपना जनाधार है। धनंजय सिंह की सबसे बड़ी सियासी मदद ठाकुरों के बाद किसी ने की है तो वो मल्लाह समुदाय के लोग रहे हैं। राजनीतिक जीवन में आने के बाद धनंजय ने उनका साथ नहीं छोड़ा और जाति के प्रभावी नेताओं को अपनी टीम में भी शामिल किया और लोकल कनेक्ट तो हमेशा बनाए रखा। जौनपुर ही नहीं बल्कि मछली शहर और भदोही लोकसभा सीट पर भी धनंजय का अच्छा खासा असर है।

पूर्वांचल के बाहुबलियों से केमिस्ट्री

पूर्व सांसद धनंजय सिंह की छवि एक बाहुबली और ठाकुर नेता की है। धनंजय सिंह पूर्वांचल के उन बाहुबली नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने शुरू से ही मुख्तार अंसारी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। इसके चलते धनंजय सिंह के रिश्ते बृजेश सिंह से लेकर विनीत सिंह और रघुराज प्रताप सिंह जैसे ठाकुर बाहुबलियों के साथ रहे हैं। पूर्वांचल में इन ठाकुर बाहुबली की तूती बोलती है। मुख्तार अंसारी के निधन और विजय मिश्रा पर कानूनी शिकंजा कसने के बाद अब धनंजय सिंह से लेकर बृजेश सिंह का दबदबा बढ़ा है। ऐसे में ठाकुर बाहुबलियों की एकता बीजेपी के लिए लोकसभा चुनाव में सियासी फायदा दिला सकती है।

राजा भईया का धनंजय कनेक्शन

रघुराज प्रताप सिंह के साथ धनंजय सिंह के रिश्ते काफी मजबूत हैं। मई के प्रथम सप्ताह में राजा भईया की अमित शाह से बेंगलुरु में मुलाकात हुई। इसके मायने भी ठाकुरों की नाराजगी से जोड़कर निकाले जा रहे हैं। यूपी में योगी आदित्यनाथ के हाथों में सत्ता की कमान आने के बाद से राजा भईया खुलकर बीजेपी की मदद कर रहे हैं। हालांकि, राजा भईया चाहते थे कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन हो, लेकिन बात नहीं बनी। रघुराज प्रताप सिंह को धनंजय सिंह अपने बड़े भाई की तरह मानते हैं। फिलहाल धनंजय सिंह जहाँ अपना समर्थन भाजपा को देने का ऐलान किया, वहीं राजा भईया ने अपने समर्थकों के साथ बैठक करके किसी भी दल को समर्थन न देने का ऐलान किया है। जिसके बाद से सियासी तूफ़ान खड़ा हो गया है।

पूर्व सांसद बाहुबली नेता धंनजय सिंह…

माफिया बाहुबली तभी तक, जब तक सरकार का संरक्षण रहता है, संरक्षण हटते ही बाहु बचता है और बल गायब हो जाता है

वहीं जौनपुर सहित पूर्वांचल के अन्य लोकसभा सीटों पर धनंजय सिंह ने अपना समर्थन भाजपा को देने का ऐलान कर दिया है। बाहुबली नेता धनंजय सिंह को एहसास हो गया कि वह तब तक बाहुबली हैं, जब तक सरकार का संरक्षण उनके साथ है। चूँकि सरकार का संरक्षण हटते ही बाहु बचता है और बल गायब हो जाता है। क्योंकि जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर उनकी पत्नी श्रीकला रेड्डी तभी काबिज हो सकी थी, जब सूबे की योगी सरकार की मौन स्वीकृत उनके साथ थी, अन्यथा एक निर्दलीय उम्मीदवार सत्ताधारी दल के आगे जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी नहीं हथिया सकता। अंतिम दिन बसपा के टिकट कटने के बाद से विकल्प के तौर पर धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी के पास निर्दलीय उम्मीदवार होना भी खत्म हो गया था।

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