अपरहण और रंगदारी केस में बाहुबली नेता धनंजय सिंह को कोर्ट ने आज 7 साल की सुनाई सजा और 50 हजार रूपये का जुर्माना
बाहुबली नेता धनंजय सिंह के चुनाव लड़ने पर लगा ग्रहण
जौनपुर। पूर्व सांसद धनंजय सिंह को 7 साल की सजा। अपहरण और रंगदारी मामले में 7 साल की सजा। धनंजय सिंह को 7 साल सजा, 50 हजार जुर्माना। जौनपुर की MP/MLA कोर्ट ने दोषी करार दिया। अभिनव सिंघल केस में धनंजय सिंह को सजा। अभिनव सिंघल के अपहरण, रंगदारी केस में दोषी। एडीजे चतुर्थ शरद कुमार त्रिपाठी ने सुनाई सजा। इसी के साथ धनंजय के राजनीतिक करियर पर फुल स्टॉप लग गया। पूर्व सांसद धनंजय सिंह को जौनपुर की MP-MLA कोर्ट ने सात साल की सजा सुनाई है। बीते मंगलवार को कोर्ट ने धनंजय सिंह को नमामि गंगे प्रोजेक्ट के इंजीनियर के अपहरण और रंगदारी मांगने के मामले में दोषी करार दिया था।
कोर्ट से सजा मिलने के बाद अब धनंजय सिंह के लोकसभा चुनाव लड़ने पर भी संशय खड़ा हो गया। लोकसभा चुनाव से पहले जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह को बड़ा झटका लगा है। इंजीनियर के अपहरण और रंगदारी मामले में MP-MLA कोर्ट ने धनंजय सिंह को सात साल की सजा और 50 हजार रूपये का जुर्माना लगाया है। बीते मंगलवार को ही कोर्ट ने धनंजय सिंह और उनके साथी संतोष विक्रम सिंह को इस मामले में दोषी करार दिया था। कोर्ट से ही पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। अब जब धनंजय सिंह को सात साल की सजा मिली है तो उनके लोकसभा चुनाव लड़ने पर भी ग्रहण लग गया है।
पूर्वांचल के बाहुबली जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह को अपहरण-रंगदारी के मामले में दोषी पाते हुए MP-MLA कोर्ट ने सजा सुनाई है। नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने धंनजय और उनके सहयोगी संतोष विक्रम सिंह पर कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति न कराने पर अपहरण-रंगदारी और धमकी देने के मामले में केस दर्ज कराया था। 5 मार्च को कोर्ट ने दोनों को दोषी करार देते हुए न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया था। अपर सत्र न्यायधीश चतुर्थ शरद चंद्र त्रिपाठी ने दोपहर 4 बजकर 10 मिनट पर धंनजय सिंह और उनके सहयोगी संतोष विक्रम सिंह को 7 साल की सजा और 50 हजार रुपए अर्थदंड लगाया। फिलहाल सजा होने के बाद अब धनंजय सिंह के चुनाव लड़ने पर ग्रहण लग गया है।
नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर ने दर्ज कराई थी FIR
दरअसल, मुजफ्फरनगर जिले के निवासी नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को आरोप लगाया था कि जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंहकम गुणवत्ता वाली सामग्रियों की आपूर्ति कराने के लिए दबाब बना रहे थे। वादी द्वारा मना करने पर धनंजय सिंह के करीबी संतोष विक्रम सिंह, दो अन्य लोगों के साथ जाकर उसका अपहरण करके काली कुत्ती स्थित धनंजय सिंह के आवास पर ले गए, जहां पर धनंजय सिंह ने गाली-गलौज देते हुए वादी पर पिस्टल सटाकर कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति कराने के लिए दबाव बनाया था।
लाइन बाजार थाने में दर्ज हुआ था, केस
प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल की तहरीर पर बाहुबली धनंजय सिंह और उनके सहयोगी के खिलाफ लाइन बाजार थाने में अपरहण, रंगदारी और धमकी देने के मामले में केस दर्ज हुआ था। पुलिस ने धनंजय और उनके सहयोगी को कालीकुत्ती स्थित आवास से गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था।
हाईकोर्ट से मिली थी, जमानत
अपहरण-रंगदारी के मामले मे जेल जाने के बाद धनंजय सिंह को हाईकोर्ट से जमानत मिली थी। इसके बाद धनंजय सिंह और संतोष विक्रम सिंह जेल से बाहर आ गए थे। वहीं धनंजय सिंहपर अपहरण-रंगदारी और धमकी देने का आरोप लगाकर केस दर्ज कराने वाले वादी अभिनव सिंघल कोर्ट में मुकर गए थे। दरअसल, नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने अपर सत्र न्यायाधीश-6 (MP-MLA) कोर्ट में बयान देते हुए उस समय कहा था कि उसका अपहरण नहीं हुआ था, न ही पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने उससे किसी तरह की रंगदारी मांगी थी। बल्कि वह खुद अपनी स्वेच्छा से धनंजय सिंह के आवास पर गया था। हालांकि कोर्ट ने केस की गंभीरता को देखते हुए वादी के शपथपत्र पर कोई विचार नहीं किया था।
5 मार्च को कोर्ट ने दोषी करार दिया
5 मार्च को जौनपुर की MP-MLA कोर्ट ने इस केस से जुड़े धनंजय सिंह और उनके सहयोगी संतोष विक्रम सिंह को धारा 364, 386, 504, 506 और 120B आईपीसी के अपराध हेतु दोषी करार देते हुए न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया। सजा की सुनवाई के लिए अगले दिन यानि 6 मार्च की तारीख नियत की गई थी।
धनंजय सिंह के समर्थकों में मायूसी
बाहुबली धंनजय सिंह को सजा सुनाए जाने के बाद उनके समर्थकों में मायूसी छा गई है. बता दें कि धनंजय सिंह इस बार जौनपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी में थे। BJP की सहयोगी JDU ने जौनपुर सीट के लिए काफी जद्दोजहद की, लेकिन BJP यह सीट JDU को नहीं दी। BJP ने इस सीट से महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह को प्रत्याशी घोषित कर दिया। इसके बाद धनंजय सिंह की उम्मीदों पर पानी फिर गया। माना जा रहा था कि धनंजय अब JDU छोड़कर किसी अन्य दल से अथवा निर्दल चुनाव लड़ेंगे। इसके लिए धनंजय सपा-बसपा में प्रयास करते रहे, लेकिन उन्हें कहीं सफलता नहीं मिली। अखिलेश यादव से मिलने के दो दिन बाद जौनपुर की कोर्ट द्वारा अपहरण-रंगदारी के मामले में दोषी करार दिए जाने से उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं।