लोकसभा चुनाव के मैदान में भाजपा के संगम लाल गुप्ता व सपा के डॉ. एस. पी. सिंह पटेल के बीच होगा सीधा मुकाबला
भाजपा प्रत्याशी को इस बार जीत के लिए करनी होगी कड़ी मशक्कत
प्रतापगढ़। मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने अधिसूचना जारी होने से पहले उत्तर प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों में अपने लोकसभा उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर सभी विपक्षी दलों को चौका दिया है। पहली लिस्ट में प्रतापगढ़ के सांसद संगम लाल गुप्ता का नाम फाइनल होने से बहुत सारे नेता जो भाजपा के टिकट के लिए हैरान व परेशान थे, उनके मंसूबों पर पानी फिर गया और वह मन मसोस कर घर बैठ गए हैं। वहीं लोकसभा सीट पर पुनः भाजपा से सांसद संगम लाल गुप्ता को प्रत्याशी बनाये जाने पर सोशल मीडिया पर अलग-अलग प्रतिक्रिया देखी गई। जो नेता भाजपा से टिकट के लिए आश्वानित थे, जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो उनके समर्थक अपने अंदाज में प्रतिक्रिया देते नजर आये। एक तरफ विरोध तो दूसरी तरफ सांसद संगम लाल गुप्ता का नाम फाइनल होते ही सोशल मीडिया पर बधाई संदेशों की झड़ी लग गई।
लोकसभा सीट पर सीटिंग सांसद के सामने मुख्य विपक्षी दल सपा ने बाहरी उम्मीदवार उम्मीदवार डॉ. एस. पी. सिंह पटेल के नाम पर मुहर लगा दी है। हलांकि अभी डॉ. एस. पी. सिंह पटेल को अधिकृत उम्मीदवार के रूप में घोषित नहीं किया है। पूरे देश में I.N.D.I.A. गठबंधन भले ही असफल रहा, परन्तु उत्तर परदेश में कांग्रेस और अन्य स्थनीय दलों के साथ सपा ने गठबंधन पर मुहर लगा लिया है। फिलहाल समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव जिन्हें भरोसा है कि प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र में पटेल विरादरी यदि उनके उम्मीदवार को स्वीकार कर लेगा तो मुस्लिम और यादव यानि एमवाई मिलकर उनके उम्मीदवार को इस बार वैतरणी पार करा देंगे।
इसके पीछे की खास वजह यह है कि विधानसभा चुनाव-2022 में पट्टी के विधायक व कैबिनेट मंत्री मोती सिंह और रानीगंज के विधायक धीरज ओझा को समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार रामसिंह और डॉ आर के वर्मा ने शिकस्त देकर पटेल वोटबैंक का लोहा मनवाया। उधर प्रतापगढ़ विधानसभा सीट पर सपा और अपना दल कमेरावादी की अध्यक्ष कृष्णा पटेल ने भी पटेल वोटबैंक के सहारे भाजपा उम्मीदवार राजेंद्र मौर्य को कड़ी टक्कर दी थी। विश्वनाथगंज विधानसभा से अपना दल एस और भाजपा के संयुक्त उम्मीदवार जीत लाल पटेल भी पटेल पहली बार में चुनाव जीत गए। उनसे पहले डॉ आर के वर्मा विश्वनाथगंज विधानसभा से दो बार विधायक निर्वाचित हुए।
समाजवादी पार्टी को लगता है कि वह पटेल उम्मीदवार पर दांव लगाती है तो प्रतापगढ़ संसदीय सीट उसकी झोली में आ जायेगी। क्योंकि प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र में पटेल वोट की संख्या काफी मात्र में है। रामपुरखास विधानसभा में भी काफी तादात में पटेल वोटबैंक है। इसीलिए बसपा ने विधानसभा चुनाव में कई बार हीरामणि पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया था। इन सबके बीच सपा से डॉ. एस. पी. सिंह पटेल अभी तक महज पटेल वोट बैंक के सहारे चुनावी नैय्या पार लगाने के जुगत में हैं जो आसान नहीं दिख रही है। क्योंकि प्रतापगढ़ की जनता उन्हें पैराशूट उम्मीदवार कहने लगी है। वहीं सांसद संगम लाल गुप्ता को पुनः प्रत्याशी घोषित होने पर प्रतापगढ़ के सवर्ण की राजनीति पर प्रश्न वाचक चिन्ह लग गया है। सवर्ण मतदाता और सवर्ण नेता एवं उनके समर्थको द्वारा सोशल मीडिया पर अपने-अपने अंदाज में संगम लाल गुप्ता के टिकट को रिपीट करने पर आक्रोश प्रकट कर रही है।
जनपद प्रतापगढ़ के लिए तत्कालीन पुलिस अधीक्षक शैलेन्द्र सिंह ने कवी सम्मलेन के मंच पर कहा था कि जहाँ राजा ही राजा और किला ही किला, वह कौन सा जिला, प्रतापगढ़ जिला। प्रतापगढ़ जनपद में एक से बढ़कर एक बड़े चेहरे राजनीति की पटल पर पहुँचे और अपना लोहा मनवाया, परन्तु प्रतापगढ़ का दुर्भाग्य रहा है कि वह आज भी थर्ड क्लास के जनपदों से स्वयं को बाहर न कर सका। प्रतापगढ़ के जनप्रतिनिधियों के नकारेपन की वजह से जिले का विकास न हो सका। एक एटीएल फैक्ट्री की स्थापना हुई तो कालाकांकर रियासत के राजा दिनेश सिंह जो केंद्र सरकार में कई बार कैबिनेट मंत्री रहे, वह और तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने एटीएल फैक्ट्री को बेंच खाया। पृथ्वीगंज में हवाई अड्डा है जिसकी जमीन भी अब सुरक्षित नहीं है, चारो तरफ से लोग उस पर कब्जा करते चले आ रहे हैं। सवाल उठता है कि आखिर जनपद प्रतापगढ़ की इस बदहाल ब्यवस्था का जिम्मेदार कौन है ?
फिलहाल लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी संगम लाल गुप्ता को इस बार जीत के लिए कड़ी मशक्कत करनी होगी। वहीं I.N.D.I.A. गठबंधन के उम्मीदवार डॉ. एसपी सिंह पटेल के लिए अपने ऊपर लगे बाहरी होने के ठप्पे को हटाकर पार्टी के कार्यकर्ताओं व समर्थकों को साथ लाने की बड़ी चुनौती होगी। सपा व भाजपा प्रत्याशियों को रूठों को मनाने फिर साथ लाने के साथ ही जातीय समीकरण साधने में कड़ी मशक्मेंकत करनी होगी। प्रतापगढ़ लोकसभा सीट के तहत आने वाली पांच विधानसभा सीटों में से दो पर सपा का कब्जा है तो वही एक सीट पर कांग्रेस वर्षों से काबिज है। रामपुरखास से आराधना मिश्रा कांग्रेस से विधायक हैं और कांग्रेस का सपा से गठबंध है। लोकसभा अंतर्गत आने वाली तीन विधान सभा सीटों पर भाजपा के प्रतिद्वंद्वी सपा व कांग्रेस पार्टी का कब्जा है। सपा ने पूर्व एमएलसी डॉ. एस. पी. सिंह पटेल को लोकसभा प्रत्याशी बनाया है।
अपना दल सोनेलाल और भाजपा के कोर वोटर कहे जाने वाले पटेल विरादरी के लोग संगमलाल को वोट करेंगे या फिर डॉ. एस. पी. सिंह पटेल को स्वजातीय होने का लाभ मिलेगा। चूंकि जिले में पटेल बिरादरी का सियासी असर पट्टी, रानीगंज व विश्नाथगंज विधान सभा क्षेत्र में दिखता है। लोकसभा क्षेत्र में पटेल वोटर किंग मेकर की भूमिका में हैं। पट्टी, रानीगंज व रामपुरखास विधान सभा में भाजपा को वोट पाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी होगी। इन तीनों विधान सभा क्षेत्र में वोटरों को अपने पक्ष में करने में भाजपा अगर कामयाब होती है, तभी संगम लाल गुप्ता की दूसरी बार जीत की राह आसान हो पाएगी। वहीं संगमलाल को कांग्रेस के कथित दिग्गज नेता और राज्यसभा सांसद प्रमोद कुमार के गढ़ रामपुरखास में भी वोटों के लिए पिछली बार की तरह कड़ी मशक्कत करनी होगी। वर्ष 2019 की भांति इस बार भी रामपुरखास विधानसभा से भाजपा उम्मीदवार संगम लाल गुप्ता को लीड लेनी होगी।
248- प्रतापगढ़ और 249- विश्वनाथगंज विधान सभा में भाजपा व अपनादल सोनेलाल के विधायक भाजपा प्रत्याशी संगम लाल गुप्ता की राहें आसान कर सकते हैं। वहीं जिले की राजनीति में अपना जलवा कायम रखने वाले रघुराज प्रताप सिंह “राजा भईया” अपनी पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक से कोई उम्वमीदवार चुनावी मैदान में उतारते हैं अथवा भाजपा को वाकओवर दे देंगे। एक विशेष जाति के वोटबैंक पर कुण्डली मारकर कई दशकों से बैठी बसपा सुप्रीमों अभी तक बसपा से किसी को चुनावी मैदान में नहीं उतारा है। हालांकि तमाम गुणा गणित व जातीय समीकरण के साथ ही भाजपा और सपा के प्रत्याशियों के लिए अपने समर्थकों व कार्यकर्ताओं की नाराजगी को दूर कर उन्हें वास्तविक रूप से अपने साथ लाना भी बड़ी चुनौती है। 39- लोकसभा चुनाव के मैदान में भाजपा के संगम लाल गुप्ता व सपा के डॉ. एस. पी. सिंह पटेल की अभी तक सीधी टक्कर दिख रही है।