उमेश पाल हत्याकांड: जंगल में किधर से आया अरबाज और कैसे चलाई गोलियां, कब हुई मौत न्यायिक टीम ने जवाबों से परखा पुलिस मुठभेड़ का सच
प्रयागराज। उमेश पाल शूटआउट के बाद हुए दो शूटआउट की जांच के लिए प्रयागराज पहुंची न्यायिक टीम ने बाराकी से छानबीन की है। दोनों स्थल पर टीम ने मुठभेड़ में शामिल रहे पुलिसकर्मियों और अधिकारियों से तमाम सवाल पूछे। ऐसे-ऐसे सवाल कि पता चल जाए कि मुठभेड़ असली थी या बनावटी। कौंधियारा से लौटकर दो सदस्यीय आयोग टीम ने नेहरू पार्क जंगल में एसओजी और धूमनगंज थाना प्रभारी राजेश कुमार मौर्या से 27 फरवरी की दोपहर अरबाज से मुठभेड़ का पूरा विवरण सुना। कैसे एसओजी को अरबाज की इस इलाके में मौजूदगी की सूचना मिली थी। वह किस तरफ से बाइक पर आया।
पुलिस ने किस ढंग से चलाई गोलियां…
उसके साथ कोई और था या वह अकेले था, एसओजी ने किस तरह से उसे रोकने का प्रयास किया, फायरिंग होने पर पुलिस टीम ने किस ढंग से अपना बचाव करते हुए गोलियां चलाई, अरबाज से कितनी दूरी पर एसओजी और पुलिस के जवान थे। किसने कितने फायर किए। अरबाज को कहां गोली लगी थी। कितनी देर तक यह मुठभेड़ चली थी। गोली से घायल अरबाज को उठाकर किस अस्पताल ले जाया गया था। उसकी मौत कब हुई। इस तरह के सवाल टीम ने किए। करीब 25 मिनट तक न्यायिक आयोग की टीम ने नेहरू पार्क जंगल में एनकाउंट का पूरा सीन जाना। एसओजी और पुलिस ने एक तरह से क्राइम सीन री-क्रिएट करते हुए टीम को अरबाज के मारे जाने का पूरा घटनाक्रम बताया।
पुलिस अधिकारियों से किया गया सवाल…
फोरेंसिक विभाग के अफसरों से टीम ने तमाम जानकारी ली। मुठभेड़ स्थल से बाहर आकर भी न्यायिक आयोग ने पुलिस अधिकारियों से कई सवाल किए। न्यायिक टीम के आने से पहले नेहरू पार्क जंगल के बाहर पुलिस-पीएसी ने रस्से से सुरक्षा घेरा बनाया था। मीडिया को यहीं रोक दिया गया था।