दिल्ली की कच्ची कॉलोनियां कितनी पक्की, बिजली मीटर को लेकर सीएम आतिशी के ऐलान का क्या हैं मायने
नई दिल्ली। दिल्ली में 2025 में जनवरी में विधानसभा का चुनाव है।विस चुनाव से ठीक पहले दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने अनधिकृत कॉलोनियों यानी कच्ची कॉलोनियों में रहने वालों के लिए एक अहम घोषणा की है।मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि अब दिल्ली की 1731 कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को बिजली मीटर के लिए DDA से नॉन ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट यानी एनओसी नहीं लेनी पड़ेगी। यही नहीं अगले 3 महीनों तक बिजली के अस्थायी कनेक्शन का चार्ज भी कम होगा।साथ ही जेनरेटरों के इस्तेमाल पर रोक लगेगी।
वैसे जब दिल्ली में चुनाव होने को आता है तो कच्ची कॉलोनियों का मुद्दा भी उठने लगता है।केंद्र या राज्य सरकारें ऐसी घोषणाओं की झड़ी लगा देती हैं। इनसे कच्ची कॉलोनियों के बाशिंदों को बेशक कई राहतें मिलती हैं, लेकिन क्या इन कॉलोनियों में वाकई वैसी सुविधाएं हैं जिनकी बदौलत इन्हें पक्की कॉलोनियों जैसा माना जाए।दिल्ली की कच्ची कॉलोनियों को लेकर क्या सोचती है भाजपा और आम आदमी पार्टी।सीएम आतिशी की घोषणा के क्या हैं मायने।कच्ची कॉलोनियों को लेकर आप सरकार की घोषणा का क्या विधानसभा चुनावों में कोई असर दिखेगा।
मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि अब दिल्ली की कच्ची कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को बिजली के मीटर के लिए एनओसी की जरूरत नहीं होगी।ये नियम दिल्ली की सभी 1731 कच्ची कॉलोनियों में रहने वाले लोगों पर लागू होगा। सीएम आतिशी ने कहा है कि दिल्ली में अगले तीन महीने तक बिजली के अस्थायी कनेक्शन का चार्ज कम किया जाएगा। इसके लिए जल्द बिजली कंपनियों से बात की जाएगी।साथ ही बिजली के अस्थायी कनेक्शन का चार्ज कम कर जेनरेटर के इस्तेमाल पर रोकथाम लगाई जाएगी। सीएम आतिशी ने कहा कि खासतौर पर बैंक्वेट हॉल में यह देखा जाता है कि वहां बिजली के अस्थायी कनेक्शन की जगह डीजल जेनरेटर का इस्तेमाल किया जाता है।प्रदूषण बढ़ने के इस समय में कहीं भी डीजल जेनरेटर का इस्तेमाल न हो इसलिए बिजली विभाग अपनी टीमें भी तैनात करेगा।
आप सरकार की इस घोषणा के बाद सियासत भी शुरू हो गई है। भाजपा ने इसे चुनावी स्टंट करार दिया है।उत्तर पूर्वी दिल्ली से भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि दिल्ली का बिजली विभाग आम आदमी पार्टी की सरकार के तहत आता है। 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले दिल्ली में भाजपा के प्रत्याशियों के खिलाफ माहौल बने इसे लेकर आप ने नया हथकंडा अपनाया है।लोगों ने बिजली के मीटर लगाने बंद कर दिए हैं।आरोप लगाया गया है कि डीडीए ने एनओसी मांगी है। 25 हजार रुपये देने के बाद बिजली का मीटर लगाया जाता था।ये समस्या हमारे पास कई महीनों पहले आई थी।हमने एनओसी की जरूरत खत्म कर दी।इसके लिए नोटिफिकेशन भी निकाला गया था।
बता दें कि दिल्ली की 2 करोड़ से ज़्यादा आबादी में से 30% से ज़्यादा लोग 1731 से ज़्यादा अनधिकृत कॉलोनियों में रहते हैं।ये बस्तियां पूरे शहर में फैली हुई हैं,लेकिन उत्तर-पश्चिम, पश्चिम, दक्षिण और उत्तर-पूर्व संसदीय क्षेत्रों में इनकी संख्या अपेक्षाकृत ज़्यादा है।दिल्ली के हर विधानसभा में कच्ची कॉलोनियों और लैंडफिल का मुद्दा जरूर उठता है। 2008, 2013, 2015 और 2020 के बाद 2025 विधानसभा चुनाव से पहले कच्ची कॉलोनी का मुद्दा उठाया गया था। 2019 में केंद्र सरकार ने कच्ची कॉलोनी में रह रहे लोगों को उनके मकान का मालिकआना हक देने के लिए PM-UDAY योजना की शुरुआत की थी।इस स्कीम के लिए 5 साल में कुल 1.22 लाख आवेदन मिले। 24 हज़ार लोगों को उनके मकान का मालिकआना हक दिया गया है।हालांकि अभी भी ज्यादातर लोग मालिकाना हक लेने के लिए उत्सुक नहीं दिखते इसके कई कारण हैं।
1- दस्तावेज की समस्या.
2- मालिकाना हक मिलने के बाद भी सरकारी बैंक आसानी से लोन नहीं दे रहे.
3- मालिकाना हक लेने के लिए पैसा देना भी लोगों को महंगा लग रहा.
4- नए बिजली और पानी कनेक्शन मिलने में दिक्कत आ रही है.
कच्ची कॉलोनियों को नियमित करके उन्हें पक्की कॉलोनियां बनाने के लिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना जरूरी है। इसके लिए कॉलोनी का ले-आउट प्लान होना चाहिए।इसमें कहां कितनी चौड़ी सड़क होगी,कहां पार्क,अस्पताल, स्कूल और मार्केट होगा यह तय होता है।ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि किसी तरह की इमरजेंसी में कॉलोनी के अंदर एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड आसानी से मौके पर पहुंच सके,लेकिन मौजूदा कच्ची कॉलोनियों में ऐसी कोई सुविधा नहीं है, क्योंकि यहां की गलियां बेहद संकरी हैं।पार्क, अस्पताल, स्कूल और मार्केट बनवाने के लिए यहां स्पेस ही नहीं है।
सरकार की तरफ से अनधिकृत कॉलोनी की कैटेगिरी अनुसार सर्कल रेट पर स्टांप ड्यूटी भी तय है। 100 वर्ग मीटर तक के प्लॉट पर 0.5% स्टांप ड्यूटी, 100 से 250 वर्ग मीटर तक के प्लॉट पर 1% स्टांप ड्यूटी और 250 वर्ग मीटर से ज्यादा के प्लॉट पर 2.5% स्टांप ड्यूटी तय हुई है। दिल्ली की 30% से अधिक जनसंख्या अनधिकृत कॉलोनियों में रहती है।दिल्ली सरकार ने अनधिकृत कॉलोनियों में बेहतर सड़क नेटवर्क, नल से पीने का पानी देने और सीवर लाइनें बनाने पर काम किया है।इसके लिए पिछले 9 साल में करीब 5,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
आप सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक इन क्षेत्रों में करीब 4000 किलोमीटर सड़कें और संकरी गलियों को फिर से बनाया गया है। 2,484 किलोमीटर पानी की लाइनों और 2,091 किमी सीवर लाइनों की मरम्मत की गई है।अनधिकृत कॉलोनियों के लिए 900 करोड़ से ज्यादा का फंड रखा गया है। 2024-25 वित्तीय वर्ष में ज्यादातर अनधिकृत कॉलोनियों को अपग्रेड किया जाएगा। जाहिर तौर पर अगर दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार कच्ची कॉलोनियों में बाकी बचे सड़क, बिजली और पीने के पानी के काम को पूरा कर लेती है तो उसे चुनाव में इसका फायदा मिल सकता है।