19 साल की उम्र में पति को पुलिस एनकाउंटर में खोया, 29 साल बाद पुलिस बोली- फर्जी थी मुठभेड़
पंजाब में फेक एनकाउंटर के मामले में एक महिला को न्याय की उम्मीद जगी है। दरअसल, पुलिस ने साल-1994 में कथित तौर पर दलबीर कौर के पति सुखपाल सिंह की हत्या कर उनके शव को आतंकवादी के रूप में पेश कर दिया था। दलबीर उस समय महज 19 साल की थीं और दो महीने की गर्भवती थीं। हालांकि, दलबीर के पति के शव को जिस आतंकी गुरनाम सिंह बंडाला का बताया गया था, चार साल बाद वह आतंकी जीवित पाया गया। इसके बावजूद दलबीर और उनका सास को इंसाफ पाने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। मामले की जांच कर रहे एक विशेष जांच दल ने पंजाब- हरियाणा हाई कोर्ट को बताया कि सुखपाल की हत्या फर्जी मुठभेड़ में हुई थी। इसके साथ ही 29 साल बाद पुलिस के एक पूर्व महानिरीक्षक और अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी मामला दर्ज कर लिया गया।
इनाम का दावा करने के लिए मारी गोली…
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, दलबीर कौर के पति सुखपाल सिंह गुरदासपुर जिले के काला अफगाना गांव के निवासी थे। कौर का कहना है कि साल-1994 में पुलिस अधिकारियों ने उनका अपहरण कर लिया था और फिर वॉन्टेड आतंकवादी गुरनाम सिंह बंडाला पर 25 लाख के इनाम पर दावा करने के लिए गोली मार दी थी।
29 साल बाद इंसाफ…
कौर ने एबीपी पंजाबी से कहा, “मेरी सास न्याय के लिए दर-दर भटकती रहीं। उन्होंने ही इस कानूनी लड़ाई की शुरुआत की थी। इसमें 30 साल लग गए और एक एसआईटी ने आखिरकार अब कहा है कि मुठभेड़ फर्जी थी, लेकिन इस लड़ाई में मैंने अपनी सास और बेटे को खो दिया।
आतंकी बंडाला को मारने का दावा…
साल-1994 में पंजाब पुलिस अधिकारियों की एक टीम ने बंडाला को मारने का दावा किया था। सुखपाल सिंह के परिवार ने उस साल 29 जुलाई को मामला दर्ज कराया, जिसमें आरोप लगाया गया कि कुछ पुलिस अधिकारियों ने सुखपाल का अपहरण कर लिया और फर्जी मुठभेड़ में उनकी हत्या कर दी। बंडाला को साल-1998 में जिंदा पकड़ लिया गया था। मुठभेड़ के 13 साल बाद साल-2007 में तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक जेपी विर्दी के तहत जांच का आदेश दिया गया था. साल-2010 में विर्दी की मौत हो गई, जिससे जांच में सुस्ती आ गई।
साल-2013 में एसआईटी का गठन…
इसके बाद साल-2013 में दलबीर कौर ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और मामले में सीबीआई की जांच की मांग की। इसके बाद पंजाब पुलिस ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आईपीएस सहोता के नेतृत्व में फिरसे जांच शुरू की। साथ उसी साल पुलिस ने एक विशेष जांच दल का भी गठन किया।
एफआईआर में तथ्योंं को गलत पता कर केस किया था दर्ज…
जांच में 10 साल और लग गए। आखिरकार 10 दिसंबर 2023 को विशेष डीजीपी गुरप्रीत कौर देव के नेतृत्व में एसआईटी ने हाई कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया, जिसमें कहा गया कि सुखपाल का एनकाउंटर योजनाबद्ध तरीके से गया था और शुरुआत में पुलिस ने एफआईआर में तथ्यों को गलत बताकर मामला दर्ज किया था। एसआईटी ने अदालत को यह भी बताया गया कि अक्टूबर में पूर्व महानिरीक्षक परमराज सिंह उमरानंगल, मोरिंडा के तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक जसपाल सिंह और सहायक सब-इंस्पेक्टर गुरदेव सिंह (जो अब मर चुके हैं) के खिलाफ सबूतों को नष्ट करने और गढ़ने के आरोप में भारतीय दंड संहिता की विभिन्न अन्य धाराओं के तहत एक नया मामला दर्ज किया गया था ।