Loksabha Election 2024: मुरादाबाद लोकसभा सीट का राजनीतिक इतिहास, वहां का जातिगत समीकरण और चुनावी आंकड़ों की गुणा गणित

Loksabha Election 2024: उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीटों में से एक सीट मुरादाबाद है। पश्चिमी यूपी का ये शहर रामगंगा नदी के किनारे बसा है। दुनियाभर में पीतल नगरी के नाम से जाना जाता है। यहां के पीतल के बर्तन और मूर्तियां पूरे विश्व में पसंद किए जाते हैं। यहां से पीतल के बने सामानों का बाहर के देशों में निर्यात भी होता है। इस जिले में कई सारे दर्शनीय स्थल भी हैं।

पीतल नगरी मुरादाबाद में एक बार फिर भाजपा और सपा उम्मीदवार के बीच मुकाबला होने के हैं, आसार

इस सीट पर साल- 1952 में पहली बार चुनाव हुआ। साल- 1952 से 1967 तक ये सीट कांग्रेस के खाते में रही, लेकिन 1967 और 1971 में हुए चुनाव में जनसंघ ने इस सीट पर कब्जा जमाया था। साल- 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी ने इस सीट को पहली बार जीता। साल- 1980 में जनता दल सेक्युलर के हाथ ये सीट आई और दोनों बार गुलाम मोहम्मद खान ही यहां से सांसद चुने गए।

मुरादाबाद संसदीय सीट

हिन्दू बहुसंख्यक सीट होने के बाद भी मुरादाबाद सीट पर 12 बार निर्वाचित हो चुके हैं, मुस्लिम उम्मीदावर

साल- 1984 में राजीव गांधी की लहर में ये सीट फिर से कांग्रेस के हाथ आई और हाफिज मोहम्मद सिद्दीक चुनाव जीते, लेकिन ये कामयाबी बहुत ज्यादा समय तक टिकी नहीं रह सकी। साल- 1989 व साल- 1991 में ये सीट फिर से जनता दल के गुलाम मोहम्मद के खाते में ही चली गई। साल 1996 व 1998 में समाजवादी पार्टी का खाता इस सीट पर खुला और शफीकुर्रहमान बर्क सांसद चुने गए। साल- 1999 में कांग्रेस से टूटकर बनी जगदंबिका पाल की अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी। यहां हिंदू आबादी ज्यादा है, लेकिन सत्ता की चाभी हमेशा मुस्लिमों के हाथ में रही है। फिलहाल, सपा के एसटी हसन यहां से सांसद हैं। यहां पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होना है। मतगणना 4 जून को होगी।

पांच विधानसभा सीट, जिसे मिलकर बना है मुरादाबाद संसदीय सीट 

मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र में कुल पांच विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें बढ़ापुर, कांठ, ठाकुरद्वारा, मुरादाबाद ग्रामीण और मुरादाबाद नगर शामिल हैं। अब तक 17 बार हुए लोकसभा चुनाव में मुरादाबाद सीट से 12 मुस्लिम प्रत्याशी जीत हासिल कर चुके हैं।साल- 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में तीन सीटें कांठ, ठाकुरद्वारा और मुरादाबाद ग्रामीण समाजवादी पार्टी ने जीती हैं। जबकि दो सीटें मुरादाबाद नगर और बढ़ापुर पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। मुरादाबाद नगर सीट पर बहुत मामूली अंतर से बीजेपी प्रत्याशी चुनाव जीते हैं।

आईये जाने कि लोकसभा चुनाव में मुरादाबाद सीट पर वोटरों की संख्या 

साल- 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में मुरादाबाद सीट पर  कुल 19 लाख, 58 हजार, 939 वोटर हैं। जिनमें पुरूष मतदाताओं की संख्या- 10 लाख, 48 हज़ार, 819 है। जबकि महिला वोटरों की संख्या- 9 लाख, 10 हज़ार, 23 है। वहीं ट्रांस जेंडर वोटरों की संख्या- 120 है। देश में आम चुनाव-1952 के साथ पहली बार मुरादाबाद में भी लोकसभा का चुनाव हुए था। अब तक कुल 17 बार लोकसभा का चुनाव हो चुके हैं। हिन्दू बहुसंख्यक सीट होने के बाद भी मुरादाबाद सीट पर 12 बार मुस्लिम सांसद निर्वाचित हुए, जबकि 5 बार हिन्दू सांसद निर्वाचित हो सके।

साल- 2019 लोकसभा चुनाव परिणाम

मुरादाबाद लोकसभा सीट पर साल 2019 में 13 प्रत्याशी थे। हालांकि, मुख्य मुकाबला भाजपा के सर्वेश कुमार, कांग्रेस के इमरान प्रतापगढ़ी और सपा के एसटी हसन के बीच था। साल- 2019 में हुए चुनाव में इस सीट पर सपा के डॉ. एसटी हसन ने 6 लाख, 49 हजार, 416 वोट पाकर जीत हासिल की थी तो वहीं बीजेपी के कुंवर सर्वेश सिंह 5 लाख, 51 हजार 538 वोट ही हासिल हुए थे। जबकि कांग्रेस के इमरान प्रतापगढ़ी को 59 हजार, 198 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे। जीत हर का अंतर- 97 हजार, 878 का रहा।

साल- 2014 लोकसभा चुनाव परिणाम

मुरादाबाद सीट पर साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव पर नज़र डालें तो इस सीट पर बीजेपी के कुंवर सर्वेश सिंह ने पहली बार जीत दर्ज की थी। उन्होंने सपा के डॉ. एसटी हसन को लगभग 87 हजार वोटों से हराया था। कुंवर सर्वेश सिंह को कुल 4 लाख, 85 हज़ार, 224 वोट मिले थे। जबकि  दूसरे स्थान पर रहे सपा के एसटी हसन को 3 लाख, 97 हजार, 720 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर बीएसपी के हाजी याकूब कुरैशी रहे थे। जिन्हे 1 लाख, 60 हज़ार, 945 वोट मिले थे।

साल- 2009 लोकसभा चुनाव परिणाम

साल- 2009 में मुरादाबाद लोकसभा सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस से पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने बीजेपी के कुंवर सर्वेश को हराकर इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा जमाया था।  कांग्रेस के अज़हरुद्दीन को इस चुनाव में 3 लाख, 1 हज़ार, 283 वोट मिले थे।  वहीं दूसरे स्थान पर रहे बीजेपी के कुंवर सर्वेश को 2 लाख, 52 हजार, 176 वोट मिले थे।

साल- 2004 लोकसभा चुनाव परिणाम

साल- 2004 में मुरादाबाद लोकसभा सीट पर हुए चुनाव में डॉ शफीकुरहमान बर्क समाजवादी पार्टी से जीत दर्ज की थी। उन्हें 2 लाख, 18 हज़ार, 79 वोट मिले थे। वहीं बीजेपी के चंद्र विजय सिंह उर्फ बेबी राजा को 1लाख, 82 हजार, 239 मत मिले। इस बार जीत का अंतर 35 हजार, 840 मत रहा।

सपा के वर्तमान सांसद एसटी हसन और वर्तमान उम्मीदवार रूचि बीरा में बढ़ गई दूरियां

अखिलेश जी के सम्मान में जा सकता हूं, प्रचार में नहीं जाऊंगा…” रुचि वीरा से नाराजगी जताते हुए बोले मुरादाबाद सांसद एसटी हसन

मुरादाबाद के वर्तमान सांसद एसटी हसन को सपा ने अपना उम्मीदवार घोषित किया, परन्तु नामांकन के समय उनका टिकट सपा सुप्रीमों ने काट दिया और उनके स्थान पर सपा ने अपना उम्मीदवार रुचि वीरा को बनाया। एक बार टिकट मिलने के बाद यदि किसी उम्मीदवार का टिकट काटकर दूसरे उम्मीदवार को पार्टी टिकट देती हैं तो उस दशा में उस पार्टी में भीतरघात होना तय रहता है। सपा सांसद एसटी हसन ने सपा उम्मीदवार रूचि बीरा के पक्ष में प्रचार करने से इनकार कर दिया है। मुरादाबाद से सपा सांसद एसटी हसन ने कहा है कि “अगर अखिलेश यादव जी मुझे बुलाते या मेरे घर आते तो जाहिर है कि मेरी तहजीब मजबूर करेगी कि मैं उनके साथ जाऊं। मेरे नेता हैं, मैं उनकी बहुत इज्जत करता हूं और उनसे प्यार करता हूं”।

 

मुरादाबाद संसदीय सीट में भाजपा व सपा में होती दिख रही है, सीधी टक्कर

 पीतल नगरी मुरादाबाद के लोकसभा चुनाव- 2024 में सपा में भितरघात होना तय है, जिसका फायदा भाजपा उम्मीदवार को मिलना तय है 

लोकसभा चुनाव को लेकर सासंद एसटी हसन ने कहा है कि रुचि वीरा ने उनसे प्रचार करने के लिए नहीं कहा है। मैं अखिलेश जी के सम्मान में जा सकता हूं, प्रचार में नहीं जाऊंगा। जनता को सब मालूम है क्योंकि जनता खुद दुखी है। अगर मैं प्रचार में खड़ा हो जाता हूं तो वो सारी जनता मेरे खिलाफ हो जाएगी। जो मेरी वजह से दुखी है। जो मेरी वजह से आज कंफ्यूज है कि क्या करें। साल- 2004 में इस सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा था, लेकिन साल- 2009 में पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन यहां से कांग्रेस के सिंबल पर सांसद चुने गए। साल- 2014 में मोदी लहर पर सवार बीजेपी के खाते में ये सीट आई और कुंवर सर्वेश यहां से सांसद बने। साल- 1971 में जीती तब की बीजेपी (जनसंघ) को उसके बाद साल- 2014 में इस सीट पर जीत मिली थी, लेकिन अगला ही चुनाव बीजेपी यहां सपा से चुनाव हार गई।

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