दोषियों पर हो एक्शन, जयपुर टैंकर हादसे में हाईकोर्ट का पेट्रोलियम मंत्रालय के सचिव को नोटिस
राजस्थान हाईकोर्ट की एकलपीठ के न्यायाधीश अनूप ढंढ ने एक स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए अजमेर-जयपुर हाईवे पर भांकरोटा में एलपीजी ब्लास्ट के मामले में राज्य सरकार से दोषी अधिकारियों के ख़िलाफ जांच कराने एवं दोषियों को दंडित करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने कहा कि ऐसे अधिकारी जिनकी लापरवाही व जिनकी अकर्मण्यता के कारण ऐसी दुर्घटना हुई है। ऐसे अधिकारियों को जांच के बाद दंडित किया जाना चाहिए, साथ ही इस दुर्घटना में घायल एवं मृतक के परिवारों को उचित मुआवजा दिए जाने की व्यवस्था तत्काल की जानी चाहिए।
कोर्ट ने पेट्रोलियम मंत्रालय और आपदा प्रबंधन के मुख्य सचिव को नोटिस दिया है। इसके साथ ही राजस्थान के पेट्रोलियम सचिव को भी नोटिस देकर जवाब मांगा है कि ज्वलनशील गोदाम को शहरी क्षेत्र से बाहर क्यों नहीं किया जा रहा है? एकलपीठ मामले की सुनवाई को खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने के निर्देश दिए हैं।
आबादी क्षेत्र से दूर स्थापित हो कारखाने…
अदालत ने कहा कि ऐसे फ़ैक्ट्री कारख़ाने आबादी क्षेत्र से हटाकर दूर स्थापित किए जाने चाहिए, कैमिकल एवं ज्वलनशील कारख़ाने के आबादी स्थान क्षेत्र से दूर किए जाने चाहिए। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि हाईवे पर बन रहे ब्रिज का काम तय समय सीमा में जल्द से जल्द आम नागरिक की सुविधा के लिए किया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट ने दिए ये सुझाव…
अदालत ने कहा कि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अत्यंत ज्वलनशील पदार्थ एवं वस्तु ले जाने वाले वाहनों के लिए एक अलग से रास्ता बनाने की व्यवस्था करनी चाहिए। ब्लैक स्पॉट और डेंजरस यू टर्न पर अलार्म की व्यवस्था की जानी चाहिए और इसके लिए बोर्ड लगाने चाहिए। कोर्ट ने इस मामले में बार के अध्यक्ष महेंद्र शांडिल्य, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया राज दीपक रस्तोगी, संदीप पाठक समेत अन्य अधिवक्ताओं को इस मामले में कोर्ट को सहायता करने के भी आदेश दिए हैं। अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार और भारत सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है, साथ ही इस मामले को 10 जनवरी को सूचीबद्ध करने के आदेश दिए हैं।