#Loksabha_Election_2024: आईये जाने कानपुर नगर लोकसभा सीट का इतिहास, वहां का जातिगत समीकरण और चुनावी आंकड़ों की गुणा-गणित
Kanpur Lok Sabha seat: एशिया का मैनचेस्टर के नाम से जाना जाने वाला नगर है, कानपुर। इसे हम लेदर सिटी के नाम से भी जानते हैं, क्यों कि यहां चमड़े उद्दोग भी काफी फैला हुआ है। कानपुर अपने व्यापारिक पृष्ठभूमि के साथ-साथ राजनीतिक पृष्ठभूमि के लिए भी काफी मशहूर है। मौजूदा समय में बीजेपी के सत्यदेव पचौरी यहां से सांसद हैं।
लोकसभा सीट कानपुर नगर का संसदीय इतिहास
अगर बात करें इस सीट के इतिहास कि तो यहां अब तक 17 बार लोकसभा के चुनाव हुए हैं। पहली बार साल- 1952 में हुए चुनाव में कांग्रेस के हरिहरनाथ शास्त्री ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद साल- 1957 में हुए चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी एसएम बनर्जी ने जीत हासिल की। इसके बाद साल- 1961, 19967 और साल- 1971 के चुनाव में बनर्जी निर्दलीय ही चुनाव जीतते रहे, लेकिन 1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल के मनोहर लाल ने बनर्जी से ये सीट छीन लिया।
वहीं साल- 1980 और साल- 1984 के चुनाव में कांग्रेस के मोहम्मद अहमद ने सीट कांग्रेस के पास रखी, लेकिन कारखानों की धरती वाले इस जमीन पर साल- 1989 में हुए चुनाव में सीपीएम के सुभाषनी अली ने कांग्रेस से ये सीट छीन ली। इसके बाद यहां बीजेपी ने राम मंदिर आंदोलन के दौरान साल- 1991 में चुनाव जीता और जगतवीर सिंह सांसद बने। जगतवीर साल- 1996 और साल- 1998 के चुनाव में भी जीते, लेकिन कांग्रेस ने साल- 2004 में श्रीप्रकाश जायसवाल को चुनाव में उतारा और बीजेपी के हाथ से सीट छीन ली।
श्रीप्रकाश जायसवाल साल- 2004 और साल- 2009 में भी यहां से जीतने में कामयाब रहे, लेकिन साल- 2014 के चुनाव में मोदी लहर में बीजेपी का इस सीट पर फिर से कब्जा हो गया और मुरली मनोहर जोशी यहां से सांसद बने। साल- 2019 में भी ये सीट भाजपा के खाते में ही गई और बीजेपी के सत्यदेव पचौरी ने इस सीट पर जीत का परचम लहराया।
कानपुर लोकसभा के तहत पांच विधानसभा सीटें आती हैं
लोकसभा सीट कानपुर जिले की पांच विधानसभा सीटें से गठित किया गया है। कानपुर संसदीय सीट के अंतर्गत किदवई नगर, गोविंदनगर, आर्यनगर सिसामऊ और कानपुर कैंट विधानसभाएं आती हैं। साल- 2022 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ गोविंद नगर सीट और किदवई नगर सीट बीजेपी की खाते में गई, जबकि बाकी तीनों सीटों पर सपा ने जीत दर्ज की थी।
कानपुर लोकसभा सीट पर मतदाताओं की स्थिति
इस बार साल- 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में कानपुर लोकसभा सीट पर 16 लाख, 52 हजार, 314 वोटर अपने मत का प्रयोग करेंगे, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 8 लाख, 80 हज़ार, 07 है, जबकि महिला वोटरों की संख्या 07 लाख, 72 हजार, 180 है। वहीं ट्रांस जेंडर वोटरों की संख्या 126 है।
साल- 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
अब एक नजर पिछले लोकसभा चुनाव के के नतीजों पर डालें तो साल- 2019 में इस सीट पर बीजेपी के सत्यदेव पचौरी ने 4 लाख, 68 हजार, 937 वोट हासिल कर जीत का परचम लहराया था, तो वहीं कांग्रेस श्रीप्रकाश जायसवाल 3 लाख, 13 हजार, 3 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे। जबकि सपा के रामकुमार 48 हजार, 275 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे।
साल- 2009 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
साल- 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के श्री प्रकाश जायसवाल तीसरी बार चुनाव जीते। जायसवाल ने बीजेपी के सतीश महाना को चुनाव हराया। श्रीप्रकाश को कुल 2 लाख, 14 हज़ार, 988 वोट मिले थे। जबकि बीजेपी के सतीश महाना को कुल 1 लाख, 96 हज़ार, 82 वोट मिले, वहीं तीसरे नंबर पर बसपा की सुखदा मिश्रा रही। सुखदा को 48 हज़ार, 374 वोट मिले थे।
साल- 2004 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
साल- 2004 में कानपुर लोकसभा सीट से श्री प्रकाश जायसवाल ही सांसद थे। जायसवाल ने बीजेपी के सत्यदेव पचौरी को चुनाव हराया। इस चुनाव में श्रीप्रकाश जायसवाल को 2 लाख, 11 हज़ार, 109 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी के सत्यदेव पचौरी को 2 लाख, 5 हज़ार, 471 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर सपा के हाजी मुश्ताक सोलंकी थे। सोंलकी को कुल 1 लाख 59 हज़ार 361 वोट मिले थे।
लोकसभा सीट कानपुर पर जातिगत समीकरण
कानपुर लोकसभा सीट उन सीटों में शामिल है, जहां से बसपा और सपा का कभी खाता नहीं खुला। अब कानपुर नगर संसदीय सीट के जातिगत समीकरण को देखें तो इस क्षेत्र को ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र कहा जाता है। ब्राह्मण वोटर्स की संख्या- करीब 7 लाख है और ये चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं। हालांकि यहां मुस्लिम वोटरों की भी अच्छी खासी संख्या है।
इस सीट पर 5 लाख से अधिक मुस्लिम वोटर्स हैं। इनके अलावा दलित और अन्य पिछड़े वर्गों की संख्या- 2 लाख से अधिक है। इस बार चुनाव में एक बार फिर मुकाबला कड़ा होने का आसार है, क्योंकि इस बार सपा और कांग्रेस गठबंधन में चुनाव लड़ रहे है और ये सीट कांग्रेस के खाते में आई है। ऐसे में इस बार बीजेपी इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगाएगी या फिर कांग्रेस पिछले 10 सालों का सूखा खत्म करेगी, ये तो 4 जून को ही मतगणना के बाद पता चलेगा।