मुम्बई। देश में कई दशक तक कांग्रेस का शासन था और कांग्रेस का सबसे तानाशाह शासक नेहरू की पुत्री और फिरोज गांधी की पत्नी इंदिरा गांधी थी। साल-1977 में आपातकाल लगाना उसका जीता जागता उदाहरण है। केंद्र ही नहीं देश के अधिकांश राज्यों में कांग्रेस की सरकार थी और अपनी ही सरकर को बर्खास्त करने का महारथ पीएम के रूप में इंदिरा गांधी को प्राप्त था। फिर भी लोकतंत्र की असल रक्षक कांग्रेसी ही हैं।
एनसीपी संस्थापक शरद पवार साल- 1978 में महाराष्ट्र के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने। शरद पवार उस समय कांग्रेस में थे। शरद पवार सत्ता मिलने के बाद खुद को हाईकमान से ऊपर समझने लगे थे। उसी समय संजय गांधी मुंबई आए। संजय गांधी मुंबई हर हफ्ते जाते थे। बताया जाता है कि वहां की कई फिल्मी तारिकाओं से उनके मधुर संबंध थे। शरद पवार से पहले जो मुख्यमंत्री महाराष्ट्र के थे, वह संजय गांधी के हर दौरे पर एयरपोर्ट रिसीव करने जाते थे।
संजय गांधी को बड़ा आश्चर्य हुआ जब शरद पवार एयरपोर्ट पर उनका स्वागत करने नहीं आये। संजय गांधी दिल्ली गए, अपनी माताजी से विचार-विमर्श किया, फिर शरद पवार को तुरंत दिल्ली दरबार बुलाया गया। उसके बाद शरद पवार और इंदिरा गांधी की क्या बातचीत हुई यह तो किसी को नहीं पता चला। फिर जैसे ही शरद पवार विमान में बैठकर दिल्ली से मुंबई जा रहे थे, विविध भारती पर समाचार प्रसारित हुआ कि अभी-अभी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कानून व्यवस्था का ठीक से पालन नहीं होने के कारण महाराष्ट्र की अपनी ही सरकार को बर्खास्त कर दिया।
शरद पवार जब मुंबई एयरपोर्ट पर उतरे, तब उन्हें पता चला कि वह मुख्यमंत्री नहीं रहे। इंदिरा गांधी ने 12 साल में 35 बार और बाद के 5 साल- 1980 से साल- 1984 में 15 बार राष्ट्रपति शासन लगाया। कुल मिलाकर 50 बार राष्ट्रपति शासन लगा। इंदिरा गांधी तो अपनी ही पार्टी की सरकर के मुख्यमंत्रियों को बर्खास्त कर देती थे और उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा देती थी। कांग्रेस का जो नेता इंदिरा गांधी की दासता नहीं स्वीकार किया, वह पैदल हो जाता था। नरेंद्र मोदी ने पिछले 10 साल से किसी भी राज्य सरकार को बर्खास्त नहीं किया, लेकिन गुलामों के लिए तानाशाह तो नरेन्द्र मोदी है और नेहरू, इंदिरा, राजीव, सोनिया, राहुल लोकतंत्र के सच्चे रक्षक हैं।