राजस्थान में भी राजनीतिक हलचल पर लगा विराम, भाजपा हाईकमान ने पहली बार निर्वाचित विधायक भजन लाल शर्मा को बनाया राजस्थान का मुख्यमंत्री, बीजेपी आलाकमान का तीसरी बार रहा चौंकाने वाला फैसला
भाजपा आलाकमान के निर्देश पर पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह ने राजस्थान में मुख्यमंत्री के नाम का एलान करते हुए सांगानेर से पहली बार निर्वाचित हुए विधायक भजन लाल शर्मा राजस्थान के नए मुख्यमंत्री होंगे…
जयपुर। राजस्थान में नए मुख्यमंत्री का ऐलान कर दिया गया है। भजन लाल शर्मा, राजस्थान में नए सीएम होंगे। शर्मा सांगानेर से विधायक हैं। यह नही वे पहली बार विधायक बने हैं। आज शाम चार बजे भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल की बैठक हुई। विधायक दल की इस बैठक के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान किया गया। इसी के साथ 9 दिनों से चली आ रही रस्साकशी भी खत्म हो गई। इस बैठक में राजस्थान के लिए नियुक्त किए गए पर्यवेक्षक भी मौजूद थे। बीजेपी ने राजस्थान के लिए वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह, विनोद तावड़े और सरोज पांडे को पर्यवेक्षक बनाया था। सबसे अधिक पेंच राजस्थान में ही फंसा था। इसीलिये सबसे पहले छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री पद का रास्ता साफ हो सका और दूसरे नम्बर पर मध्य प्रदेश था, जहाँ मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान कार्य कर रहे थे और उनके ही नेतृत्व मव मध्य प्रदेश का चुनाव लड़ा गया और प्रदेश की जनता ने मध्य प्रदेश में भाजपा को प्रचंड बहुमत दिया। फिर भी भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व मध्य प्रदेश में भी शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद नहीं दिया और वहाँ भी न्य चेहरा पेश किया। मध्य प्रदेश के बाद यह तय हो गया था कि भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व राजस्थान में भी नया चेहरा देगा, किसी पुराने चेहरे पर भरोसा नहीं करेगा, परन्तु पहली बार के विधायक भजन लाल शर्मा के नाम पर कोई उम्मीद नहीं थी। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व लगातार सबको चौकाने का काम किया है।
राजस्थान में 15 दिसंबर को होगा शपथ ग्रहण समारोह, भजनलाल शर्मा ने सरकार बनाने का दावा पेश किया, दो डिप्टी सीएम और स्पीकर के नाम का भी एलान, वसुंधरा राजे ने किया था, नाम का प्रस्ताव…
भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान में मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताए बिना ही चुनाव लड़ा था। चुनाव में मिली बंपर जीत के बाद से ही बीजेपी में मुख्यमंत्री पद को लेकर रार छिड़ गई थी। बीजेपी में मुख्यमंत्री पद को लेकर कई दावेदार हैं। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि बीजेपी ने इस बार कई सांसदों को भी विधानसभा का चुनाव लड़वाया है। हालांकि बीजेपी को मुख्य चुनौती पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की ओर से मिल रही थी। उन्होंने चुनाव नतीजों के बाद दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात भी की थी और उनके घर पर भी विधायकों का आना-जाना लगातार लगा हुआ था। राजस्थान में मुख्यमंत्री पर बने सस्पेंस के बीच पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया से विधायकों की मुलाकात का दौर भी जारी रहा। मंगलवार को विधायक दल की बैठक से पहले विधायक काली चरण सराफ, बाबू सिंह राठौर और गोपाल शर्मा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मिलने पहुंचे थे। इससे पहले कल यानी सोमवार को भी 10 विधायक वसुंधरा राजे से मिलने उनके घर पहुंचे थे। विधायक दल की बैठक से पहले वसुंधरा राजे से कई विधायक मिलने पहुंचे थे। 3 दिसम्बर को जब चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में गया तभी से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया द्वारा लगातार मुख्यमंत्री पद के लिए लगातार दबाव बनाने की चाल चली गई, परन्तु भाजपा के चाणक्य अमित शाह के आगे उनकी एक भी चाल काम न आ सकी।
राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के लिए एक सप्ताह से पूर्व मुख्मंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया, दीया कुमारी, किरोड़ी लाल मीणा, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, गजेंद्र सिंह शेखावत, अश्विनी वैष्णव, ओम बिरला, योगी बालकनाथ, निंबाराम और सुनील बंसल के नाम पर हो रहा था, मंथन…
जयपुर पहुँचने से पहले पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह ने सबसे पहले राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे से मुलाकात की और दोनों के बीच बंद कमरे में बैठक हुई। वसुंधरा राजे और राजनाथ सिंह की बंद कमरे में वन टू वन बैठक होती रही। इसी बीच सूत्रों से जानकारी मिली कि उनकी फोन पर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी बातचीत हुई है। इस बातचीत के दौरान वसुंधरा ने एक साल तक उन्हें ही राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाने की मांग की थी। वहीं नड्डा ने उन्हें राजस्थान विधानसभा का स्पीकर बनने की सलाह दी तो वसुंधरा ने इससे इंकार कर दिया। राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे चाहती थी कि उन्हें तीसरी बार राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया जाए, भले ही लोकसभा चुनाव-2024 के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा दिया जाए। इसी बात से केन्द्रीय नेतृत्व से पूर्व सीएम वसुंधरा राजे नाराज थी। वहीं केन्द्रीय नेतृत्व भी राजस्थान में सत्ता परिवर्तन में सहयोग ण देने से पूर्व सीएम वसुंधरा राजे से ख़ासा नाराज था। इस बीच पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की नाराजगी पर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि शक्ति प्रदर्शन से कुछ नहीं होगा, जो हाईकमान तय करेगा, वही सर्वमान्य होगा। हफ्ते भर से चल रही रस्साकसी का अंत हुआ और राजस्थान में भाजपा हाईकमान और वसुंधरा राजे के बीच मुख्यमंत्री पद के लिए सुलह समझौता हो ही गया।