Loksabha_Election_2024: आईये जाने बदायूं लोकसभा सीट का इतिहास, वहां का जातिगत समीकरण और चुनावी आंकड़ों की गुणा-गणित
Loksabha Election 2024: उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में एक बदायूं लोकसभा सीट है। ये सीट समाजवादी पार्टी की मजबूत सीट मानी जाती है। क्योंकि साल -1998 के बाद से लगातार ये सीट सपा के पास ही रही। लहर कोई रही हो लेकिन यहां से सपा का ही सांसद रहा। हालांकि पिछले चुनाव में बीजेपी की संघमित्रा मौर्य से सपा के धर्मेंद्र यादव हार गए थे। इससे पहले साल- 2009 व साल- 2014 में धर्मेंद्र यादव का ही इस सीट पर कब्जा था।
बदायूं संसदीय सीट का इतिहास
अगर बात करें इस सीट के इतिहास की तो आजादी के बाद साल- 1952 और साल- 1957 के चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। लेकिन अगले दो चुनाव साल- 1962 और सा- 1967 में भारतीय जनसंघ ने इस सीट पर कब्जा किय। हालांकि साल- 1971 में कांग्रेस ने इस सीट पर वापसी की। लेकिन फिर साल- 1977 के चुनाव में जनता पार्टी ने यहां चुनाव जीता, साल- 1980 और साल- 1984 के चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट पर फिर वापसी की। साल- 1989 के चुनाव में जनता दल के शरद यादव ने इस सीट को कांग्रेस छीन लिया था। साल- 1991 की राम लहर के आम चुनाव में बीजेपी के चिन्मयानंद ने जीत दर्ज की थी।
लेकिन साल- 1996 के अगले ही चुनाव में समाजवादी पार्टी के सलीम इकबाल शेरवानी ने इस सीट को जीत लिया। उसके बाद से ये सीट सपा का अभेद्य किला बन गई। सलीम इकबाल शेरवानी यहां से लगातार 4 बार सांसद रहे। साल 1996, 1998, 1999 और 2004 के चुनाव में सलीम शेरवानी यहां से सांसद चुने गए। साल 2009 में सैफई परिवार के धर्मेंद्र यादव की एंट्री इस सीट पर हुई और वो लगातार दो बार समाजवादी पार्टी के सांसद रहे।
बदायूं संसदीय सीट का जातीय समीकरण
बदायूं लोकसभा उत्तर प्रदेश की सीट नंबर-23 है। ये यादव, मुस्लिम और अन्य ओबीसी बाहुल्य सीट मानी जाती है। जबकि वैश्य और ब्राह्मण मतदाता भी इस सीट पर महत्वपूर्ण भूमिका में हैं। ओबीसी वोटों की ताकत के बूते ही वर्तमान में बीजेपी यहां काबिज है। जबकि आम चुनाव में इस सीट को सपा का गढ़ कहा जाता है। साल- 1992 में बनने वाली समाजवादी पार्टी साल- 1996 से अब तक हुए कुल 7 चुनाव में 6 बार इस सीट पर जीत चुकी है। आजादी के बाद से हुए चुनाव में पांच बार कांग्रेस ने यहां जीत दर्ज की है और बीजेपी और जनसंघ 2-2 बार सांसद बनाने में कामयाब रही है। बाकी बसपा का अभी यहां खाता नहीं खुल पाया है।
बदायूं संसदीय सीट में पांच विधानसभा की सीटें
आपको बता दें कि इस लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा की कुल पांच सीटें आती हैं। जिनमें 4 सीटें बदायूं जिले की हैं। जबकि एक सीट संभल जिले की गुन्नौर आती है।बदायूं जिले की बिसौली सुरक्षित, सहसवान, बिल्सी और बदायूं शामिल है। साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में पांच सीटों में से तीन समाजवादी पार्टी ने जीती हैं जबकि दो सीट बीजेपी के खाते में गई। संभल की गुन्नौर और बदायूं की बिसौली सुरक्षित और सहसवान को सपा ने जीता है। जबकि बिल्सी और बदायूं पर बीजेपी का कब्जा है।
लोकसभा सीट बदायूं में 18 लाख से अधिक हैं, मतदाता
अगर बात मतदाताओं की करें तो बदायूं लोकसभा सीट पर कुल वोटर 18 लाख, 81 हजार, 754 हैं। जिनमें पुरूष मतदाताओं की संख्या- 10 लाख, 22 हजार, 99 है। जबकि महिला वोटरों की संख्या- 8 लाख, 59 हजार, 552 है। वहीं ट्रांसजेंडर वोटर 103 हैं।
साल- 2004 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
अगर बात साल- 2004 में हुए लोकसभा चुनाव की करें, तो इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगाने वाले सलीम इकबाल शेरवानी चौथी बार सांसद चुने गए थे, शेरवानी ने बीजेपी के बृजपाल सिंह शाक्य को हराकर जीत दर्ज की थी। सलीम शेरवानी को इस चुनाव में 2 लाख, 65 हजार, 713 वोट मिले थे। जबकि बीजेपी के बृजपाल सिंह शाक्य को 2 लाख, 14 हजार, 391 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर रहे बसपा के प्रेमपाल सिंह यादव को महज 75 हजार, 886 वोट मिले थे।
साल- 2009 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
बदायूं लोकसभा सीट पर साल- 2009 में सपा से सैफई परिवार से धर्मेंद्र यादव की एंट्री कराई गई थी। सीट के पुराने इतिहास को देखते हुए पार्टी ने धर्मेंद्र के लिए इस सीट को सेफ माना था। धर्मेंद्र यादव ने अपने इस पहले चुनाव में बसपा के धरमपाल यादव (डीपी यादव) को हराया था। धर्मेंद्र यादव को 2 लाख, 33 हजार, 744 वोट मिले थे। जबकि बसपा के डीपी यादव को 2 लाख, 1 हजार, 202 वोट मिले थे। वहीं यहां से लगातार 4 बार सपा से सांसद रहे सलीम इकबाल शेरवानी ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था। सलीम शेरवानी तीसरे नंबर पर रहे। उनको कुल 1 लाख, 93 हजार, 834 वोट मिले थे।
साल- 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
बदायूं लोकसभा सीट पर साल- 2014 में हुए चुनाव पर नज़र डालें, तो इस सीट पर धर्मेंद्र यादव ने मोदी लहर में भी जीत दर्ज की थी। धर्मेंद्र यादव ने बीजेपी के वगीश पाठक को करीब 1 लाख, 66 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया था। धर्मेंद्र यादव को कुल 4 लाख, 98 हजार, 378 वोट मिले थे। जबकि बीजेपी के वगीश पाठक को 3 लाख, 32 हजार, 31 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर बसपा के अकमल खान थे। अकमल को कुल 1 लाख, 56 हजार, 973 वोट मिले थे।
साल- 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
बदायूं सीट पर साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव पर नज़र डालें, तो इस सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। बीजेपी प्रत्याशी संघमित्रा मौर्य ने समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव को 18 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया था। संघमित्रा मौर्य को कुल 5 लाख 11 हजार 352 वोट मिले। जबकि धर्मेंद्र यादव को 4 लाख 92 हजार 898 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर कांग्रेस के सलीम इकबाल शेरवानी थे,शेरवानी को कुल 51 हजार 947 वोट मिले।
बदायूं संसदीय सीट भाजपा और सपा के प्रत्याशियों के साथ दोनों दलों के प्रमुख नेताओं के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है। भाजपा प्रत्याशी दुर्विजय सिंह शाक्य के समर्थन में प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, रक्षामंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री तक यहां आकर जनसभा कर चुके हैं। बसपा प्रमुख मायावती भी अपने प्रत्याशी मुस्लिम खान के लिए माहौल बनाने आ चुकी हैं। सपा नेता शिवपाल सिंह तो अपने बेटे आदित्य यादव को जिताने के लिए डेरा डाले हैं, तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी जोश भर गए हैं। दोनों ओर से एक से एक पैने चुनावी तीर छोड़े जा रहे हैं।
सपा-भाजपा की टक्कर में बसपा कर सकती है, खेला ?
इस मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के लिए बसपा भी कोई कोर कसर छोड़ना चाहती। दो बार पार्टी प्रत्याशी यहां दूसरे नंबर पर रह चुके हैं। इसके साथ ही बसपा अध्यक्ष मायावती भी बिल्सी से चुनाव जीत कर मुख्यमंत्री बन चुकी हैं। उन्होंने भी अपने परंपरागत वोट और मुस्लिम मतदाताओं के दम पर प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। मायावती इस्लामनगर में चुनावी रैली कर चुकी हैं।
स्थिति ऐसी बन चुकी है कि उम्मीदवार चुनावी मैदान में सपा-भाजपा के दिग्गज नेता ज्यादा जोर लगाए हैं। गुरुवार को चुनावी सभा में गृह मंत्री अमित शाह सपा और कांग्रेस को परिवारवाद से जुड़ी और आतंकवाद तथा गुंडागर्दी को बढ़ावा देने वाली पार्टी बता चुके हैं। इसके जवाब में अखिलेश ने भाजपा पर निशाना साधने के साथ ही सरकार बनने पर कर्जमाफी, मुफ्त डाटा, स्टेडियम, नौकरियों का लॉलीपॉप दिया था। मायावती भी अपनी सभा में सपा और भाजपा पर सियासी तीर चलाने में पीछे नहीं रही थीं।
भाजपा ने मौजूदा सांसद संघमित्रा मौर्य का टिकट काटा
आम चुनाव- 2024 की चुनावी जंग में बीजेपी ने अपनी मौजूदा सांसद संघमित्रा मौर्य का टिकट काटकर दुर्विजय सिंह शाक्य को इस सीट पर अपना प्रत्याशी घोषित किया है। जबकि सपा ने अपने कद्दावर नेता शिवपाल यादव को इस बार यहां उम्मीदवार बनाया है। बदायूं सीट पर सपा और बीजेपी को मात देने के लिए बसपा ने भी मुस्लिम खाँ को अपना प्रत्याशी बनाया है। जिस तरह से बीजेपी से सपा साल- 2019 के पिछले चुनाव में पटखनी खा चुकी है। उसी को देखते हुए इस बार बदायूं से सपा ने भी अपना प्रत्याशी बदलकर शिवपाल यादव की जगह युवा चेहरे के रूप में उनके बेटे आदित्य यादव को मजबूत चेहरे के तौर पर उतारा है।
समाजवादी पार्टी की पारिवारिक सीट रही है, बदायूं संसदीय सीट
समाजवादी पार्टी के लिए बदायूं संसदीय सीट पारिवारिक सीट रही है। बदायूं लोकसभा सीट से धर्मेंद्र यादव दो बार सांसद रहे हैं। इस लोकसभा सीट के सहसवान और गुन्नौर विधानसभा सीट से सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव जीत दर्ज कर मुख्यमंत्री रह चुके हैं। साल- 2019 में भाजपा की डॉ. संघमित्रा मौर्य ने धर्मेंद्र यादव को हराकर सीट सपा से छीन ली थी।
साल- 2024 में इस सीट को दोबारा हासिल करने के लिए समाजवादी पार्टी एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए है। सपा ने दिग्गज नेता शिवपाल सिंह को मैदान में उतारा था, लेकिन कुछ दिनों बाद शिवपाल के बेटे आदित्य यादव को उम्मीदवार घोषित कर दिया। बेटे को जिताने के लिए शिवपाल मशक्कत करते नजर आ रहे हैं। अखिलेश यादव ने जनसभा में भाजपा पर महंगाई को लेकर जमकर तीरे छोड़े।
बदायूं संसदीय सीट पर कब्जा बरकरार रखना चाहती है, भाजपा
उधर, भाजपा इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखना चाहती है। भाजपा की ओर से अब तक डिप्टी मौर्य सीएम ब्रजेश पाठक, केशव प्रसाद और स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दो चुनावी सभाएं कर हैं। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी बदायूं संसदीय सीट पर अपने प्रत्याशी के पक्ष में जनसभा कर उसके लिए वोट मांग चुके हैं। गृह मंत्री अमित शाह की भी रैली हो चुकी है। बरेली के देवचरा में प्रधानमंत्री मोदी ने रैली कर बदायूं का चुनावी माहौल साधने का प्रयास किया था।