यूपी नगर निकाय चुनाव अधिसूचना पर लगी रोक जारी, हाईकोर्ट में सरकार ने एक दिन का मांगा समय, कल फिर होगी सुनवाई
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ द्वारा प्रदेश के नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना पर सोमवार को लगाई गई रोक कल तक जारी रहेगी। राज्य सरकार सरकार मामले को लेकर बुधवार को कोर्ट में हलफनामा देगी। इस तरह निकाय चुनाव का इंतजार और बढ़ गया है। मंगलवार को हुई सुनवाई में सरकार ने मांगा समय नगर निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण लागू करने में प्रक्रिया का पालन नहीं करने का आरोप राज्य सरकार पर लगाते हुए दाखिल जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यह आदेश दिया है।मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से जवाब देने के लिए एक दिन का और समय देने की मांग की गई थी,जिसे न्यायालय ने मंजूर कर लिया। HC ने सोमवार को लगाई थी रोक इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इससे पहले सोमवार को यूपी में नगर निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान करने पर मंगलवार तक रोक लगा दी थी।कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को निकाय चुनाव की अधिसूचना मंगलवार तक जारी करने से रोका था। कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि सरकार ने ओबीसी कोटे का आरक्षण तय करने में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए ट्रिपल टेस्ट फामूर्ले का अनुपालन नहीं किया है।
वैभव पांडे सहित कई याचीगणों ने अलग-अलग याचिका दायर करके नगर निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण लागू करने में प्रक्रिया का पालन न करने का राज्य सरकार पर आरोप लगाया है। इससे पहले प्रदेश सरकार ने 762 में 760 नगर निकायों में महापौर और चेयरमैन के सीटों के आरक्षण की अनंनतिम अधिसूचना जारी कर दी है। इनमें 17 नगर निगमों में महापौर के अलावा 199 नगर पालिका परिषद और और 544 नगर पंचायतों के चेयरमैन की सीटें शामिल हैं। हालांकि आरक्षण सभी 762 नगर निकायों के लिए निर्धारित कर दिए गए हैं। लखनऊ, कानपुर व गाजियाबाद समेत महापौर की आठ सीटों को अनारक्षित रखा गया है। 2017 में ये तीनों सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित थीं। 70 लाख बढ़ गई निकायों की आबादी साल-2017 में हुए निकाय चुनाव की तुलना में इस बार निकाय की सीमा में लगभग 70 लाख अधिक आबादी शामिल हो गई है। 2017 में निकाय क्षेत्रों की आबादी 4.16 करोड़ थी, जो इस बार 4.85 करोड़ हो गई है। इसकी वजह 10 नगर निगमों समेत कुल 130 नगर निकायों का सीमा विस्तार और 111 नई नगर पंचायतों का का गठन किया जाना है।
जानें याचिकाकर्ताओं ने क्या लगाए थे आरोप याचिका करने वालों की ओर से दलील दी गई कि सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल सुरेश महाजन के मामले में दिए गए निर्णय में स्पष्ट तौर पर आदेश दिया था कि स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण जारी करने से पहले ट्रिपल टेस्ट किया जाएगा और यदि ट्रिपल टेस्ट की औपचारिकता नहीं की जा सकी है तो एससी और एसटी सीटों के अलावा बाकी सभी सीटों को सामान्य सीट घोषित करते हुए चुनाव कराए जाएंगे। आरोप लगाया गया कि शीर्ष अदालत के स्पष्ट दिशानिर्देशों के बावजूद राज्य सरकार ने बिना ट्रिपल टेस्ट के 5 दिसंबर 2022 को ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया, जिसमें ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को भी शामिल किया गया। सरकार से जवाब तलब निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण देने के मुद्दे पर दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सरकार से जवाब तलब किया था।ओबीसी को आरक्षण देने के नियमों का पूरा ब्यौरा मंगलवार को पेश होने तक राज्य निर्वाचन आयोग को निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने से रोका था।