काशी में बदली परंपरा,दशाश्वमेध घाट की सीढ़ियों से ऊपर आया पानी, अब छत पर होने लगी विश्वप्रसिद्ध गंगा आरती
वाराणसी। आध्यात्मिक नगरी काशी में गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी जारी है। जलस्तर में बढ़ोतरी से काशी की परंपराएं भी प्रभावित होने लगी है। दशाश्वमेध घाट की सीढ़ियां जलमग्न होने के बाद विश्व प्रसिद्ध मां गंगा की आरती अब घाट की बजाय गंगा सेवा निधि कार्यालय की छत पर हो रही है। बता दें कि बीते कुछ दिनों से गंगा में उफान के कारण पांच बार गंगा आरती का स्थान बदला था। अब गंगा आरती छत पर की जा रही है। यह फैसला गंगा सेवा निधि द्वारा लिया गया। गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा ने बताया कि मां गंगा के जलस्तर बढ़ने और इस वर्ष सावन दो माह का होने के कारण श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने के कारण सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आरती कार्यालय की छत पर की जा रही है। नौका का संचालन अभी बंद चल रहा है।
बता दें कि आध्यात्मिक नगरी काशी में सबसे पहले गंगा आरती की शुरुआत 1991 में दशाश्वमेध घाट से शुरू हुई थी। तब से लगातार सुबह ब्रह्ममुहुर्त में और शाम के समय सूर्यआस्त के बाद आरती की जाती है। गंगा नदी के साथ गंगा आरती की मान्यता धार्मिक तौर पर बहुत है। ऐसे में काशी की गंगा आरती बहुत खास होती है। यही वजह है कि देश के कोने-कोने और विदेशी लोग गंगा आरती देखने आते हैं। काशी में बुधवार रात गंगा के जलस्तर की बढ़ने की रफ्तार तीन सेंटीमीटर प्रति घंटा हो गई। रात 10 बजे तक जलस्तर 63.22 मीटर तक पहुंच गया। इससे पहले शाम तक ही कई घाटों की सीढ़ियां डूब गई तो दशाश्वमेध घाट पर पानी सीढ़ियों से ऊपर आ गया। इससे नैत्यिक सांध्य गंगा आरती के प्लेटफार्म जलाजल हो गए। घाटों की सीढ़ियां डूबने के कारण अब आरती देखने आने वाले भक्तों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।