Loksabha_Election_2024: आईये जाने सूबे की सबसे हॉट सीट वाराणसी लोकसभा सीट का संसदीय इतिहास, वहां का जातिगत समीकरण और चुनावी आंकड़ों की गुणा-गणित
Loksabha_Election_2024: यूपी की 80 सीटों में सबसे हॉट सीट वाराणसी है। दुनिया के प्राचीनतम जीवित शहरों में से एक शहर है, वाराणसी। वाराणसी को काशी और बनारस भी कहते हैं। काशी को शिव की नगरी कहा जाता है। ये भी मान्यता है कि ये शहर भगवान शिव के त्रिशुल पर टिका है। गंगा नदी के किनारे यह शहर जितना पुरातन है। उतने ही इसके रहस्य हैं।
हिन्दुओं की पवित्र सप्तपुरियों में से एक शहर भी है। स्कंद पुराण, रामायण और महाभारत सहित प्राचीनतम ऋग्वेद सहित कई हिन्दू ग्रन्थों में इस नगर का उल्लेख आता है। सामान्यतः वाराणसी शहर को कम से कम 3000 साल पुराना तो माना ही जाता है। यह शहर मलमल और रेशमी कपड़ों, इत्रों, हाथी दांत और शिल्प कला के लिये व्यापारिक औद्योगिक केन्द्र रहा है।
भगवान शिव की नगरी काशी वर्षों से सांस्कृति एवं धार्मिक का केंद्र रही है। सियासत के लिहाज से भी काशी का नाम दुनियाभर में लिया जाता है। इसकी वजह भी साफ है कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह संसदीय क्षेत्र है। एक बार फिर पीएम मोदी इसी सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। ऐसे में वाराणसी लोकसभा सीट आकर्षण का केंद्र बनती जा रही है। वाराणसी लोकसभा सीट कई मायनों में खास है।
भोले नगरी काशी लोगों को करती हैं, आकर्षित
गौतम बुद्ध के काल में वाराणसी काशी राज्य की राजधानी हुआ करता थी। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने इस शहर को धार्मिक, शैक्षणिक और कलात्मक गतिविधियों का केन्द्र बताया है और इसका विस्तार गंगा नदी के किनारे 5 किलोमीटर तक लिखा है। यह शहर धर्म की नगरी है। यहां के लोग सुबह से लेकर शाम तक मस्त अल्हड़पन में अपना जीवन जीते है। इस शहर में मृत्यु का दुख नहीं, जीवन की खुशी नहीं बल्कि इन दोनों के बीच मिलने वाले आनंद को लोग जीते हैं। शहर में चाय कि चुस्कियों के साथ बनारसी पान खाए लोग धर्म के साथ राजनीति की अलग फिजा बांधते हैं।
मंदिरों और गलियों का यह शहर पूरे दुनिया के लोगों को आकर्षित करता है और पूरे साल भारी संख्या में सैलानी इस शहर में मौजूद रहते हैं। बनारसी साड़ी, बनारसी पान, लस्सी समेत ढेरों खान पान की स्वादिष्ट चीजें लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। इस शहर में बौद्ध धर्म का प्रसिद्ध धर्म स्थल सारनाथ भी मौजूद है यहां न तो कोई हिंदू होता है न कोई मुसलमान न कोई बौद्ध यहां बस बनारसीपने के साथ लोग अपना जीवन जीते हैं। यही वजह है कि 2014 में नरेंद्र मोदी को पहला लोकसभा चुनाव लड़ना हुआ तो वो गुजरात छोड़कर गंगा के इस शहर में आए और चुनाव जीत कर यहां से सांसद बने और फिर प्रधानमंत्री।
लोकसभा वाराणसी सीट का संसदीय इतिहास
बात करें वाराणसी के लोकसभा इतिहास कि तो यहां 1952 में हुए पहले चुनाव में रघुनाथ सिंह यहां से सांसद बने। साल- 1957 और साल- 1962 में भी रघुनाथ सिंह सांसद रहे। साल- 1967 के चुनाव में सीपीआई ने यहां चुनाव जीता और एस एन सिंह सीपीआई से सांसद बने। साल- 1971 के चुनाव में कांग्रेस से राजाराम शास्त्री चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। साल- 1977 में हुए चुनाव में भारतीय लोकदल से चंद्रशेखर ने चुनाव जीता और सांसद बने। साल- 1980 के चुनाव में कांग्रेस से कमलापति त्रिपाठी यहां से सांसद बने। साल- 1984 के चुनाव में कांग्रेस से श्याम लाल यादव सांसद बने।
साल- 1989 के चुनाव में जनता दल से अनिल शास्त्री यहां से चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। साल- 1991 के चुनाव में बीजेपी का यहां खाता खुला और शीश चंद्र दीक्षित चुनाव जीते। साल- 1996 के चुनाव में बीजेपी के शंकर प्रसाद जायसवाल यहां से सांसद बने। साल- 1998 और साल- 1999 के चुनाव में भी शंकर प्रसाद ही सांसद बने। साल- 2004 के चुनाव में कांग्रेस से राजेश कुमार मिश्रा चुनाव जीते। साल- 2009 के चुनाव में यहां से डॉ मुरली मनोहर जोशी ने चुनाव जीता और साल- 2014 में नरेंद्र मोदी यहां से चुनाव जीते और प्रधानमंत्री बने। साल- 2019 के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुबारा यहीं से चुनाव लड़े और उनके सामने गठबंधन के खाते से सपा उम्मीदवार शालिनी यादव और कांग्रेस से अजय राय चुनावी मैदान में रहे।
सात बार कांग्रेस तो सात बार ही बीजेपी जीती
वाराणसी सीट पर साल- 1952 से लेकर अब तक भाजपा 7 बार जीत दर्ज कर चुकी है। वहीं कांग्रेस भी 7 बार चुनाव जीतने इतिहास रचा है। जनता दल ने 1 बार, सीपीएम ने 1 बार और भारतीय लोक दल ने भी 1 बार वाराणसी से जीत दर्ज की है। बनारस सीट पर बीजेपी को सबसे मजबूत और प्रबल दावेदार बनाता है। यह इसलिए भी कहा जा रहा है, क्योंकि यहां दो बार के विधानसभा चुनावों में 8 की 8 सीटें बीजेपी ने जीती है। लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी का ही जलवा साल- 2009 से कायम है। बनारस की हर सीट पर भाजपा ही काबिज है। इसलिए कहते हैं कि बनारस भारतीय जनता पार्टी की पूरे देश में सबसे सुरक्षित सीट है।
लोकसभा वाराणसी सीट की 5 विधानसभा सीटें
बात करें विधानसभा सीटों की तो इस लोकसभा में 5 विधानसभा सीटें शामिल हैं। लोकसभा सीट वाराणसी में रोहनिया, वाराणसी उत्तरी, वाराणसी दक्षिण, वाराणसी छावनी और सेवापुरी सीटें शामिल है। साल- 2017 के विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर बीजेपी का कब्जा है। सेवापुरी सीट पर बीजेपी गठबंधन अपना दल ने चुनाव लड़ा और जीता। इस तरीके से सभी सीटें बीजेपी के पास ही है।
लोकसभा सीट वाराणसी में मतदाताओं की संख्या
2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में वाराणसी सीट पर कुल 17 लाख 96 हज़ार 930 वोटर अपने मत का प्रयोग करेंगे। जिनमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 95 हज़ार 263 है। जबकि महिला वोटरों की संख्या 8 लाख 1 हज़ार 563 है। वहीं ट्रांस जेंडर वोटरों की संख्या 104 है।
24 साल बाद साल- 2004 में कांग्रेस के प्रत्याशी राजेश कुमार मिश्रा ने कांग्रेस के पंचे को प्रदान की थी, मजबूती
2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से राजेश कुमार मिश्रा चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। राजेश को कुल 2 लाख 6 हज़ार 904 वोट मिले। दूसरे नंबर पर बीजेपी के शकंर प्रसाद जायसवाल रहे। शंकर प्रसाद को कुल 1 लाख 49 हज़ार 468 वोट मिले। तीसरे नंबर पर अपना दल के अतहर जमाल लारी रहे। अतहर जमाल को कुल 93 हज़ार 228 वोट मिले।
संगम नगरी से मोहभंग हुआ तो साल- 2009 में भोले नगरी पहुँचे थे, डॉ मुरली मनोहर जोशी और हासिल की थी, शानदार जीत
साल- 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी से चुनाव लड़ रहे मुरली मनोहर जोशी यहां से चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। डॉ मुरली मनोहर को कुल 2 लाख, 3 हज़ार, 122 वोट मिले। दूसरे नंबर पर बसपा से चुनाव लड़ रहे मुख्तार अंसारी रहे। मुख्तार अंसारी को कुल 1 लाख, 85 हज़ार, 911 वोट मिले। तीसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ रहे अजय राय रहे। अजय राय को कुल 1 लाख, 23 हज़ार, 874 वोट मिले।
साल- 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
वाराणसी लोकसभा सीट पर साल- 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी से नरेंद्र मोदी चुनाव लड़े और जीत कर देश के प्रधानमंत्री बने। नरेंद्र मोदी को इस चुनाव में कुल 5 लाख, 81 हज़ार, 22 वोट मिले। वहीं दूसरे नंबर पर उनके खिलाफ चुनाव लड़े रहे आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल रहे। केजरीवाल को कुल 2 लाख, 9 हज़ार, 238 वोट मिले। तीसरे नंबर पर कांग्रेस से अजय राय रहे। अजय राय को कुल 75 हज़ार, 614 वोट मिले।
साल- 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
साल- 2019 के संसदीय चुनाव में वाराणसी लोकसभा सीट से नरेंद्र मोदी बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे। मोदी के सामने समाजवादी पार्टी की ओर से शालिनी यादव मैदान में थीं तो कांग्रेस ने अजय राय को मैदान में उतारा। लोकसभा चुनाव- 2019 में सपा और बसपा का गठबंधन था, इसलिए बसपा ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था। फिर भी लोकसभा च- 2019 का चुनाव एक तरफा रहा था और पीएम मोदी ने 4 लाख, 79 हजार, 505 मतों के अंतर से यह चुनाव जीत लिया था।
लोकसभा सीट वाराणसी में 33 प्रत्याशियों का नामांकन किया गया खारिज
वाराणसी लोकसभा सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 41 लोगो ने अपना नामांकन 14 मई तक जमा किया था। जिसमें से कुल 33 लोगो का नामांकन जिला निर्वाचन अधिकारी ने खामियों की वजह से रद्द कर दिया है। ऐसे में अब वाराणसी लोकसभा सीट पर प्रधानमंत्री के साथ कुल 8 लोग चुनावी मैदान में हैं। वाराणसी लोकसभा सीट पर 1 जून को मतदान होना है।
बीजेपी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस से अजय राय, बीएसपी से अतहर जमाल लारी, अपना दल कमेरवादी से गगन प्रकाश, युग तुलसी पार्टी से कोली शेट्टी शिवकुमार, राष्ट्रीय समाजवादी जनक्रांति पार्टी से पारस नाथ केशर के अलावा निर्दल प्रत्याशी के रूप में दिनेश कुमार यादव और संजय कुमार यादव का नामांकन वैध हुआ है। ऐसे में अब वाराणसी लोकसभा सीट से कुल 8 प्रत्याशी चुनावी मैदान में होंगे।
पीएम मोदी जीत की हैट्रिक लगाने के लिए वेताब हैं तो हार की हैट्रिक लगा चुके कांग्रेस के अजय राय चौथी बार किस्मत आजमा रहे हैं
लोकसभा चुनाव-2024 के अंतिम चरण में सबकी निगाहें पीएम मोदी की वाराणसी सीट पर लगी है। पीएम मोदी जीत की हैट्रिक लगाने के लिए चुनावी रणभूमि में उतरे हैं तो वाराणसी सीट पर हार की हैट्रिक लगा चुके कांग्रेस के अजय राय चौथी बार किस्मत आजमा रहे हैं। पीएम मोदी के खिलाफ दो बार और वाराणसी लोकसभा सीट पर तीन बार चुनाव लड़ चुके अजय राय हर बार तीसरे नंबर पर रहे थे, लेकिन इस बार उनके ‘नंबर अच्छे’ आ सकते हैं। इसकी वजह है कि सपा-कांग्रेस का गठबंधन और इंडिया गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार हैं। ऐसे में इस बार अजय राय का सीधा मुकाबला पीएम मोदी से है।
लोकसभा सीट वाराणसी पर जातीय समीकरण
अगर वाराणसी लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा कुर्मी वोटरों की संख्या सबसे अधिक है। इसके बाद ब्राह्मण और भूमिहार की संख्या है। यहां वैश्य, यादव, मुस्लिम वोटरों की संख्या जीत के लिए निर्णायक साबित होती है। यहां 3 लाख से ज्यादा गैर यादव ओबीसी वोटर हैं। वहीं, 2 लाख से ज्यादा वोटर कुर्मी हैं। करीब इतने ही वैश्य वोटर हैं। डेढ़ लाख के आसपास भूमिहार वोटर हैं।