पूर्वांचल की सियासत का रंग में हुआ बदलाव, भगवा से हुआ लाल, समाजवादी पार्टी ने 13 में 10 सीटों पर साइकिल ने कमल को रौंद दिया
लखनऊ। पूर्वांचल के सियासी नक्शे का रंग मंगलवार को बदल गया। पूर्वांचल की सियासत का रंग भगवा से लाल हो गया है। साल- 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद भगवा छाया था। समाजवादी पार्टी ने 13 में 10 सीटें जीतीं हैं। 13 सीटों में भारतीय जनता पार्टी ने दो पर जीत दर्ज की है। उत्तर प्रदेश में सियासी उलटफेर से भाजपा में घमासान मचा हुआ है। राजनीतिक पंडित, मीडिया और एग्जिट पोल के दावे हवा हवाई साबित हुए।
पीएम मोदी ने कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय को पराजित किया है। इस बार चुनाव में पीएम के जीत का अंतर कम हुआ है। पीएम ने वाराणसी से लगातार तीन बार चुनाव जीतने के शंकर प्रसाद जायसवाल के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है। देश के दूसरे ऐसे प्रधानमंत्री बन गए हैं जो एक संसदीय सीट से तीसरी बार सांसद चुने गए। यह रिकॉर्ड अभी तक पंडित जवाहर लाल नेहरू के नाम था। नेहरू फूलपुर से लगातार तीन बार सांसद चुने गए थे।
वाराणसी से पीम मोदी तो कालीन नगरी भदोही से भाजपा के उम्मीदवार डॉ. विनोद कुमार बिंद ने जीत दर्ज की है। एनडीए में शामिल अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने मिर्जापुर से जीत दर्ज की है। बाकी सभी 10 सीटों पर सपा प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है। आजमगढ़ से सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव और लालगंज से दरोगा प्रसाद सरोज ने जीत दर्ज की है। गाजीपुर में सपा से अफजाल अंसारी ने जीत दर्ज की है।
घोसी में सपा से राजीव राय ने जीत दर्ज की है। राजीव राय ने सुभासपा के मुखिया ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर को पराजित किया है। बलिया का सांसद पहली बार कोई ब्राह्मण बना है। सपा से सनातन पांडेय ने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह के बेटे राज्यसभा सांसद नीरज शेखर सिंह को पराजित किया है। यहां नारद राय भी ऐन वक्त पर भाजपा में आए, मगर भाजपा को उसका कोई फायदा नहीं मिला।
राबर्ट्सगंज में सपा से छोटेलाल खरवार ने जीत दर्ज की है। राबर्ट्सगंज सीट से वर्तमान सांसद पकौड़ी लाल कौल का टिकट काटकर उनकी बहू रिंकी कोल को अपना दल एस ने उम्मीदवार बने था, परन्तु हार का सामना करना पड़ा। जौनपुर में सपा से बाबू सिंह कुशवाहा ने जीत दर्ज की है। भाजपा से कृपा शंकर सिंह के पक्ष में बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह का समर्थन काम न आ सका। जनता ने अपना मन पहले से बना रखा था कि उसे किसे वोट करना है ?
जबकि पूर्व सांसद धनंजय सिंह दावा कर रहे थे कि वह जौनपुर और मछलीशहर को बड़े अंतर से चुनाव जिताकर दिल्ली भेजेंगे और अगल बगल जिले से भी भाजपा के उम्मीदवारों को जिताने का कार्य करेंगे। मछलीशहर (सुरक्षित) लोकसभा से सपा से युवा प्रत्याशी अधिवक्ता प्रिया सरोज ने जीत दर्ज की है। 25 वर्षीय प्रिया पहली बार चुनावी मैदान में उतरी थीं। सलेमपुर से सपा से रमाशंकरु राजभर ने जीत दर्ज की है।
केंद्रीय मंत्री डॉ महेंद्रनाथ पांडेय हैट्रिक लगाने में असफल रहे। महेंद्रनाथ पांडेय चंदौली से चुनाव हार गए। डॉ महेंद्रनाथ पांडेय को सपा से वीरेंद्र सिंह ने पराजित किया है। जबकि डॉ महेंद्र नाथ पाण्डेय लगातार दो बार से चंदौली से चुनाव जीतते रहे। साथ ही मोदी के कैबिनेट में शामिल रहे। भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ ने साल- 2022 के उप चुनाव में सपा के धर्मेंद्र सिंह यादव को पराजित किया था, लेकिन इस बार चुनाव में निरहुआ हार गए।
गाजीपुर से भाजपा ने पारसनाथ राय को चुनावी मैदान में उतारा था। पारसनाथ राय को पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा का करीबी भी कहा जाता है, लेकिन पारसनाथ राय हार गए। गाजीपुर और घोसी जैसी संसदीय सीट पर विकास का कोई मायने नहीं रहा। साल-2019 में वहां की जनता ने माफिया मुख़्तार के भाई अफजल को पसंद किया और उन्हें अपना भाग्य विधाता चुना। उनके मुकाबले विकास पुरुष मनोज सिन्हा को नकार दिया था और इस बार भी वही हुआ है।