मतदान घटने से भाजपा और कांग्रेस में किसका फायदा, कांग्रेस खेमे में खुशी का माहौल क्यों
मतदान घटने से कांग्रेस को फायदा…
एकदम परिणाम उलट की संभावना कम…
बता दें कि साल-2009 में साल-2004 के मुकाबले एक फीसदी वोट घटा था। जिससे यूपीए-2 सरकार को फायदा हुआ था। साल-2004 में भाजपा को 21 और कांग्रेस को 4 सीटें मिलीं थीं, जो साल-2009 में बदलकर कांग्रेस को 20 और भाजपा की 4 हो गईं थी। एक सीट पर निर्दलीय की जीत हुई थी। दरअसल, साल-2004 में कई सीटों पर जीत का मार्जिन कम था, इसलिए एक फीसदी मतदान कम होने से ही परिणाम पलट गया। वहीं साल-2014 चुनाव में वोटिंग 14% बढ़ा तो भाजपा ने सभी सीटें जीत ली थीं। साल-2019 में भी ऐसा ही दिखा था और जीत का मार्जिन और बढ़ गया। ऐसे में साल-2024 में साल-2019 की तुलना में करीब 6 प्रतिशत मतदान की कमी आने से परिणाम एकदम उलट होने जैसी संभावना कम दिखती है।
बडी मार्जिन वाली सीटों पर नुकसान…
मतदान प्रतिशत में कमी से भाजपा को इतने ही वोटों का नुकसान होता है या कांग्रेस को इतने ही वोटों का फायदा होता है तो बड़े मार्जिन वाली सीटों पर मार्जिन घटेगा। जिससे एक लाख से कम मार्जिन वाली भाजपा की जीती दौसा व करौली- धौलपुर सीट में कांग्रेस मुकाबले में आ सकती है।
मतदान कम होने की ये रही वजह…
माना जा रहा है कि प्रदेश में मतदान प्रतिशत इसलिए गिरा क्योंकि चुनाव भले ही राष्ट्रीय मुद्दों पर लड़ा गया हो, लेकिन चुनाव पूरी तरह जातियों के ध्रुवीकरण पर आधारित रहा। छत्तीस कौम के वोटों के उत्साह की जगह हर सीट पर प्रत्याशी नेता की जाति के वोटों का उत्साह ज्यादा दिखा। बड़ी संख्या में नेताओं के पलायन से भी मतदाता असमंजन की स्थिति में रहा।