Loksabha_Election_2024: आईये जाने सूबे की रॉबर्ट्सगंज सुरक्षित लोकसभा सीट का संसदीय इतिहास, वहां का जातिगत समीकरण और चुनावी आंकड़ों की गुणा-गणित

Loksabha Election 2024: उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से एक और प्रदेश के पूर्व-दक्षिणी छोर पर बसी। प्रदेश की अंतिम लोकसभा सीट है रॉबर्ट्सगंज। रॉबर्ट्सगंज उत्तर प्रदेश की 17 सुरक्षित सीटों में से एक है जो साल- 1962 के परिसीमन के बाद पहली बार अस्तित्व में आई थी। सोनभद्र के अंतर्गत आने वाली यह सीट पर्यटन और राजनीतिक दोनों ही लिहाज से काफी खूबसूरत है। इस जिले में रिहंद डैम, ओबरा जलताप विद्युत गृह, ज्वाला देवी शक्ति पीठ समेत कई खूबसूरत जगहें हैं। साथ ही मशहूर महरानी चंद्रकांता का नौगढ़ और विजयगढ़ का किला भी इसी जिले के अंतर्गत आता है। 

लोकसभा रॉबर्ट्सगंज सुरक्षित सीट…

लोकसभा रॉबर्ट्सगंज सुरक्षित सीट का संसदीय इतिहास

सोनभद्र: बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और झारखंड की सीमा से लगा सोनभद्र जिला अपनी रणनीतिक स्थिति के बावजूद विकास की चुनौतियों का सामना कर रहा है। सीमित अवसरों के कारण आदिवासी समुदाय मुख्य रूप से श्रमिक प्रवास में संलग्न है। विंध्य और कैमूर पहाड़ियों में बसा यह क्षेत्र प्रचुर मात्रा में खनिज भंडार समेटे हुए है। राबर्ट्सगंज जिला मुख्यालय के रूप में कार्य करता है, जिसकी लोकसभा सीट आरक्षित है। पिछले कुछ वर्षों में, राजनीतिक दलों ने इस निर्वाचन क्षेत्र में राष्ट्रीय चुनाव के रुझानों को प्रतिबिंबित किया है।

 कांग्रेस के राम स्वरूप ने मारी थी, हैट्रिक 

कांग्रेस के राम स्वरूप ने साल- 1962, 1967 और साल- 1971 में सीट जीती, जबकि जनसंघ से शिव संपत राम ने साल- 1977 में जीत हासिल की। इसके बाद, कांग्रेस के राम प्यारे पनिका साल- 1980 और साल-1984 के चुनावों में विजयी हुए। साल- 1989 के लोकसभा चुनाव में यह सीट पहली बार भाजपा के पास आई। भाजपा के टिकट पर सूबेदार प्रसाद ने जीत दर्ज की थी, लेकिन भाजपा के पास यह सीट ज्यादा समय तक नहीं रह सकी। साल- 1991 के लोकसभा चुनाव में यह सीट एक बार फिर जनता दल पार्टी के खाते में चली गई। साल- 1991 में जनता दल पार्टी के प्रत्याशी राम निहोर राय को चुनाव में सफलता मिली थी।

भाजपा के टिकट पर लगातार तीन बार राम शकल हुए थे, निर्वाचित 

साल-1996, 1998 और साल- 1999 के लोकसभा चुनाव में यह सीट भाजपा के पास थी। भाजपा के टिकट पर प्रत्याशी राम शकल तीन बार रॉबर्ट्सगंज लोकसभा सीट से सांसद रहे। इस सीट पर साल- 2004 में बसपा को कामयाबी मिली। बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर लाल चंद्र कोल को जीत मिली थी। साल- 2009 के लोकसभा चुनाव में इस सीट का इतिहास एक फिर बदला और पहली बार समाजवादी पार्टी के अपना परचम लहराया। समाजवादी पार्टी (सपा) के टिकट पर पकौड़ी लाल ने पहली बार चुनाव जीता, लेकिन साल- 2014 में मोदी लहर के दौरान इस सीट का समीकरण बदला और भाजपा के प्रत्याशी छोटेलाल खरवार को जीत मिली।

मोदी लहर में बदला समीकरण

साल- 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और अपना दल (एस) ने गठबंधन किया। अपना दल (एस) और भाजपा गठबंधन के प्रत्याशी पकौड़ी लाल कोल ने राबर्ट्सगंज के 15 वें सांसद के रूप में जीत हासिल की। इन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी भाईलाल कोल को शिकस्त दी थी। इसके पूर्व भी इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा।

साल- 2014 में अपना दल से भाजप का गठबंधन दो सीटों पर हुआ था। एक सीट प्रतापगढ़ तो दूसरी मिर्जापुर थी। मिर्जापुर पर अनुप्रिया पटेल स्वयं चुनाव लड़ी और चुनाव जीती तो प्रतापगढ़ में कुंवर हरिवंश सिंह को टिकट दिया गया और वह भी प्रचंड बहुमत से चुनाव जीते थे। साल-2019 में अपना दल एस से गठबंधन में प्रतापगढ़ सीट भाजपा ने वापस ली और प्रतापगढ़ के स्थान पर रॉबर्ट्सगंज सुरक्षित सीट अपना दल एस को दी थी।

लोकसभा रॉबर्ट्सगंज सुरक्षित सीट की 5 विधानसभा सीटें  

रॉबर्ट्सगंज लोकसभा सीट के अन्तर्गत घोरावल, रॉबर्ट्सगंज, ओबरा सुरक्षित, दुद्धी सुरक्षित और चकिया सुरक्षित सीटें शामिल हैं। इन विधानसभा सीटों में से सोनभद्र जिले की 4 सीटें और चंदौली जिले की विधानसभा सीट चकिया सुरक्षित भी रॉबर्ट्सगंज लोकसभा सीट में ही आती है। साल- 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में रॉबर्ट्सगंज लोकसभा की सभी सीटों पर भाजपा ने अपना परचम लहराया था। इससे पहले हुए साल- 2017 के विधानसभा चुनाव में भी कुछ यही हाल रहा था। तब यहां की 4 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा किया था तो वहीं दुद्धी सीट पर अपना दल सोनेलाल ने परचम लहराया था। इस तरह से रॉबर्ट्सगंज लोकसभा की सभी सीटें भाजपा के नेतृत्व वाली एन डी ए गठबंधन के खाते में ही गई थी।

लोकसभा सीट रॉबर्ट्सगंज सुरक्षित पर मतदाताओं की संख्या

लोकसभा चुनाव- 2024 में रॉबर्ट्सगंज सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या- 17 लाख, 23 हज़ार, 538  है। जिनमें पुरूष मतदाताओं की संख्या- 7 लाख ,95 हजार, 065 है। जबकि महिला वोटर 9 लाख, 28 हजार, 430 हैं और ट्रांसजेंडर वोटरों की संख्या- 43 है।

साल- 2004 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर

साल- 2004 के लोकसभा चुनाव में बसपा के लालचंद्र कोल यहां से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। लालचंद्र को कुल 1 लाख, 89 हज़ार, 521 वोट मिले। दूसरे नंबर पर सपा से पकौड़ी लाल रहे। पकौड़ी लाल को कुल 1 लाख, 79 हजार, 159 वोट मिले। तीसरे नंबर पर बीजेपी के राम शकल रहे। राम शकल को कुल 1 लाख, 67 हज़ार, 211 वोट मिले।

साल- 2009 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर

साल- 2009 में रॉबर्ट्सगंज सुरक्षित लोकसभा सीट पर हुए पहले चुनाव में समाजवादी पार्टी से पकौड़ी लाल कोल ने जीत दर्ज की थी। पकौड़ी लाल कोल ने बीएसपी के राम चन्द्र त्यागी को हराया था। पकौड़ी लाल कोल को कुल 2 लाख, 16 हजार, 478 वोट मिले थे। जबकि बीएसपी के राम चन्द्र त्यागी को 1 लाख, 66 हज़ार, 219 वोट मिले। वहीं तीसरे नंबर पर बीजेपी के राम शकल थे। राम शकल को 1 लाख, 4 हज़ार, 411 वोट मिले थे।

साल- 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर

रॉबर्ट्सगंज सुरक्षित सीट पर साल- 2014 में हुए लोकसभा चुनाव पर नज़र डालें तो इस सीट पर बीजेपी के छोटे लाल जीते थे। उन्होंने बसपा के शारदा प्रसाद को 1 लाख, 90 हजार, 486 वोटों से हराया था। छोटे लाल को कुल 3 लाख, 78 हज़ार, 211 वोट मिले थे। जबकि बसपा के शारदा प्रसाद को 1 लाख, 87 हजार, 725 वोट मिले। वहीं तीसरे नंबर पर रहे सपा उम्मीदवार पकौड़ी लाल कोल को 1 लाख, 55 हजार, 966 वोट मिले थे।

साल- 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर

रॉबर्ट्सगंज सुरक्षित सीट पर साल- 2019 में हुए पिछले लोकसभा चुनाव पर नज़र डालें तो इस सीट पर अपना दल सोनेलाल के उम्मीदवार पकौड़ी लाल कोल 4 लाख, 47 हजार, 914 वोट पाकर जीते थे। उन्होंने सपा के भाई लाल को 54 हजार, 336 वोटों के अंतर से हराया था। दूसरे स्थान पर रहे भाई लाल को 3 लाख 93 हजार 578 वोट मिले थे। यहां तीसरे स्थान पर बसपा के भगवती प्रसाद चौधरी रहे थे। जिनके खाते में केवल 35 हजार, 269 वोट ही आए थे।

लोकसभा सीट रॉबर्ट्सगंज सुरक्षित पर जातीय समीकरण 

तकरीबन 35 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति की कोल, गोड़, खरवार, चेरो, बैगा, पनिका, अगरिया, पहरिया आदि जातियों के अलावा राबर्ट्सगंज सीट पर वंचित समाज का दबदबा है। कुर्मी-पटेल, निषाद-मल्लाह, अहीर-यादव, कुशवाहा, विश्वकर्मा आदि अन्य पिछड़े वर्ग की जातियों का भी ठीक-ठाक प्रभाव है। छह प्रतिशत के लगभग ब्राह्मण और इसी के आसपास राजपूत और मुस्लिम समाज की आबादी भी मानी जाती है।

रॉबर्ट्सगंज सुरक्षित पर अपना दल एस और सपा उम्मीदवार के बीच है, टक्कर 

एक दशक पहले भाजपा से सांसद चुने गए छोटेलाल खरवार राबर्ट्सगंज लोकसभा से अब सपा के सिम्बल से चुनावी मैदान में हैं। बसपा ने धनेश्वर गौतम को चुनावी मैदान में उतारा है। पूर्व में सपा से सांसद रहे पकौड़ी लाल कोल ने साल- 2019 में अपना दल (एस) से जीत दर्ज की थी। सांसद पकौड़ी लाल कोल के विवादित बोल से खासतौर से सवर्णों में नाराजगी को देखते हुए अपना दल (एस) ने अबकी उन्हें टिकट न देते हुए मिर्जापुर की छानबे विधानसभा सीट से उनकी विधायक बहू रिंकी कोल को चुनाव मैदान में उतारा है। लोकसभा चुनाव-2024 के चुनाव में भाजपा और अपना दल एस की संयुक्त उम्मीदवार रिंकी कोल और सपा उम्मीदवार पूर्व सांसद छोटेलाल खरवार के बीच है।

रॉबर्ट्सगंज सीट पर ‘कमल’ न होने से सपा-कांग्रेस गठबंधन को अपनी जीत की राह आसान दिख रही है। लेकिन जिस तरह से रविवार को मीरजापुर की चुनावी जनसभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘कप-प्लेट’ से अपना नाता जोड़ा। अब सपा की चुनौती बढ़ती दिख रही है। ‘पावर कैपिटल आफ इंडिया’ माने जाने वाले रॉबर्ट्सगंज लोकसभा सीट के चुनावी परिदृश्य पर पेश है। मध्य प्रदेश से लेकर बिहार, झारखंड व छत्तीसगढ़ की सीमाओं से लगने वाले सोनभद्र जिले में उत्तर प्रदेश की आखिरी लोकसभा सीट राबर्ट्सगंज है। अनुसूचित जाति-जनजाति आदिवासी बहुल 75 प्रतिशत वन व पहाड़ वाले संसदीय क्षेत्र के चुनाव में न ‘कमल’ है और न ही ‘हाथ का पंजा’।

मुख्य लड़ाई सपा की ‘साइकिल’ और अपना दल (एस) के ‘कप-प्लेट’ के बीच ही है। ‘कमल’ न होने से सपा-कांग्रेस गठबंधन को अपनी जीत की राह आसान दिख रही है। लेकिन जिस तरह से रविवार को मीरजापुर की चुनावी जनसभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘कप-प्लेट’ से अपना नाता जोड़ते हुए सिर्फ एमपी ही नहीं पीएम चुनने की बात कही, उससे अब सपा की चुनौती बढ़ती दिख रही है। अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व रॉबर्ट्सगंज संसदीय सीट का अधिकतर हिस्सा सोनभद्र जिले में आता है। सोनभद्र उत्तर प्रदेश का एकमात्र ऐसा जिला है, जिसकी सीमाएं 4 राज्यों  बिहार के अलावा छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और झारखंड से लगती है। यह क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है।

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