यूपी से 3 दशक बाद कांग्रेस के लिए अच्छी खबर, अमेठी-रायबरेली जीत के साथ ही 6 सीटों में मिली बढ़त
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पिछले करीब तीन दशक से अपनी खोयी राजनीतिक जमीन तलाश रही कांग्रेस के लिये मौजूदा लोकसभा चुनाव किसी संजीवनी से कम नहीं माने जा सकते हैं। पार्टी राज्य में 17 में से छह सीट पर लगभग निर्णायक बढ़त ले चुकी है। साल-2019 में हुए पिछले लोकसभा चुनाव और उसके बाद साल-2022 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में अपना सबसे बदतर प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस इस बार लोकसभा चुनाव में ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के तहत समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में सूबे की 80 में से 17 सीट पर चुनाव लड़ी और मंगलवार को हो रही मतगणना में वह छह सीट पर जीत की तरफ मजबूती से बढ़ रही है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी रायबरेली सीट पर तीन लाख मतों से ज्यादा की निर्णायक बढ़त बना चुके हैं। इसके अलावा नेहरू-गांधी परिवार के एक अन्य प्रमुख सियासी गढ़ अमेठी में भी पार्टी उम्मीदवार किशोरी लाल शर्मा केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से डेढ़ लाख से ज्यादा मतों से आगे हैं। इसके अलावा कांग्रेस बाराबंकी में एक लाख 77 हजार से ज्यादा मतों से, सहारनपुर में 96 हजार से ज्यादा, सीतापुर में करीब 78 हजार और इलाहाबाद में 35 हजार से अधिक मतों से बढ़त बनाये हुए है।
11 सीटों पर कांग्रेस की जमानत जब्त हुई थी पिछले चुनाव में…
कांग्रेस के लिये ये रूझान उत्साह बढ़ाने वाले हैं। कांग्रेस इस बार उत्तर प्रदेश की जिन 17 सीट पर मैदान में है, उनमें से तीन सीट पर पिछले लोकसभा चुनाव में दूसरे स्थान पर रही थी जबकि 11 सीट पर उसकी जमानत तक जब्त हो गयी थी। उस चुनाव में उसे मात्र 6.4 फीसद वोट मिले थे। साल-2019 में हुए पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में अपना सबसे खराब प्रदर्शन किया था और उसे रायबरेली के रूप में एकमात्र सीट हासिल हुई थी। पार्टी को सबसे बड़ा झटका अमेठी में लगा था जहां पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भाजपा की स्मृति ईरानी से 55 हजार से ज्यादा मतों से पराजित हो गये थे।
साल-2022 में भी कांग्रेस की हालत खराब थी, विधानसभा चुनाव में मिलीं थीं 2 सीटें…
कांग्रेस साल-1989 के बाद से उत्तर प्रदेश की सत्ता से बाहर है। उसके बाद से उसका जनाधार लगातार घटा है और साल-2022 के विधानसभा चुनाव में उसकी हालत और भी खराब हो गयी थी। कांग्रेस को उस चुनाव में सिर्फ 2.33 प्रतिशत वोट के साथ मात्र दो सीट– रामपुर खास और फरेंदा पर ही संतोष करना पड़ा था। समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस ने साल-2017 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव भी साथ मिलकर लड़ा था, मगर उन्हें करारी पराजय का सामना करना पड़ा था। हालांकि इस बार यह गठबंधन बेहतर प्रदर्शन करता दिख रहा है।
साल-2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव और साल-2017 तथा 2022 के विधानसभा चुनाव हारने वाली सपा के लिये भी मौजूदा लोकसभा चुनाव बेहद उत्साहजनक हैं। राज्य की 62 सीट पर चुनाव लड़ रही सपा 37 सीट पर बढ़त बनाये हुए है। कांग्रेस ने इस बार सहारनपुर सीट पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से निष्कासित किये गये इमरान मसूद पर दांव लगाया है। यह सीट साल-1952 से 1977 तक कांग्रेस के ही कब्जे में रही। बाद में साल-1984 के चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार ने यहां से जीत दर्ज की थी. उसके बाद यहां से कांग्रेस कभी नहीं जीती. कांग्रेस के सामने 40 साल बाद इस सीट पर जीत हासिल करने की चुनौती है। साल-2019 में यह सीट बसपा के हाजी फजलउर्रहमान ने जीती थी।
मुस्लिम-दलित बहुल अमरोहा सीट पर कांग्रेस ने बसपा छोड़कर आये सांसद दानिश अली को टिकट दिया है। इसके अलावा पार्टी ने बुलंदशहर से शिवराम वाल्मीकि, गाजियाबाद से डॉली शर्मा, मथुरा से मुकेश धनगर, फतेहपुर सीकरी से रामनाथ सिंह सिकरवार, सीतापुर से राकेश राठौर, कानपुर से आलोक मिश्रा, झांसी से प्रदीप जैन आदित्य, बाराबंकी से तनुज पुनिया, इलाहाबाद से उज्ज्वल रमण सिंह, महराजगंज से वीरेंद्र चौधरी, देवरिया से अखिलेश प्रताप सिंह, बांसगांव से सदल प्रसाद और वाराणसी से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय को मैदान में उतारा है।